लहसुन के अन्य नाम…
लसुन, लशुन, रसुन, लसुण, बेल्लूल्ली, तेल्ल लिगड्डा, सिंधी में पोम, फारसी में सीर कहते हैं।
लहसुन का सेवन मद्य, मांस, अम्ल रस युक्त पदार्थ भक्षण करने वालों के लिए अत्यंत रहता है।
अत्याधिक व्यायाम करने वाले, धूप में ज्यादा चलने वाले, क्रोधी स्वभाव वालों को लहसुन का उपयोग भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
कच्चा लहसुन खाने से पित्त की वृद्धि होती है। गर्मी बढ़ती है। रक्त पतला होने लगता है।
सुबह खाली पेट लहसुन की एक पोथी से अधिक न लेवें अन्यथा अर्श, बवासीर, कब्ज, आँतों में सूजन, लिवर में मन्दता आदि समस्याएं पैदा होती हैं।लाभकारी
सुबह लहसुन खाने वाले लोग ज्यादा जल, दूध, गुड़ का उपयोग अहितकर रहता है।
भोजन का उपभोग सब्जी, दाल फ्राई, चावल आदि में ही करें, तभी यह विशेष कारगर होता है।
लहसुन से होने वाले फायदे के लिए एक प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रन्थ निघण्टु का यह चित्र देखें।
विनम्र निवेदन-
पाठक गण बिना किसी सन्दर्भ ग्रन्थ के कोई भी लेख पर आंख मूंदकर भरोसा न करें।
यह भयंकर नुकसान दायक हो सकता है। सोशल मीडिया पर अनेकों जानकारी मनगढ़ंत लिखी जा रही हैं।
आयुर्वेद में अनुपान मात्रा का विशेष ख्याल रखें।
नीम इतना ही खाएं कि कण्ठ कड़वा हो जाये।
तुलसी में पारा होता है, इसकी 3 से 4 पत्ते ही चबाकर खाएं।
लोंकी का जूस घर में बनाकर 10 से 15 ml तक ही लेवें।
करेले के रस की मात्रा 2 से 3 ml तक पर्याप्त है अन्यथा पित्त एवं वात की वृद्धि होगी। थायराइड बढ़ेगा।
लहसुन की सम्पूर्ण जानकारी ग्रन्थानुसार…
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