पानी की परंपरा पुरानी है।
आयुर्वेद सहिंता, भैषज्य रत्नाकर, द्रव्यगुण विज्ञान, जल सूत्रम आदि ग्रन्थों में
जल धरना या ग्रहण करने के तरीकों जा वर्णन मिलता है।
पसीना आने पर, कड़ी धूप में पानी पीने से बचना चाहिए।
यदि थकान हो, तक गए हों, हांफनी आ रही है, तो पानी कभी न पिएं।
किसी भी तरह के फल खाने के बाद, जूस पीने के पश्चात, दही, लस्सी, चाय, गर्म दूध,
गर्म भोजन, मूंगफली, चना, चिरौंजी, मेवा आदि खाने के तुरन्त बाद जल नहीं लेना चाहिए।
व्यायाम या घूमने के समय या बाद में एक से 2 घण्टे तक पानी पीने से बचना श्रेष्ठतम रहता है।
अगर आप पक्का या तल हुआ भोजन ले रहे हैं, तो साथ में थोड़ा-थोड़ा पानी जरूर पियें,
लेकिन सामान्य भोजन के बाद पानी पीना अनुचित है।
कहते हैं कि खाने के एक से 2 घण्टे बाद कम से कम 500 से 800 ml जल ग्रहण करना हितकारी होता है।
इससे पाचनतंत्र मजबूत रहता है।
पानी से जवानी चाहते हैं, तो…
जल ही जीवन है। जल से ही जवानी है।
शराबियों के लिए पानी के कारण ही शाम मस्तानी हो पाती है।
रानी हो या महारानी सबको पानी की जरूरत है।
पानी के निकलते ही दिमाग की पुरानी गन्दगी का चेप्टर बन्द हो जाता है।
खूबसूरत बने रहने के लिए पानी का पीना और निकालना दोनों जरूरी है।
पानी पेशाब को भी कहते हैं और रज-वीर्य को भी।
वीर बने रहने हेतु तथा बेहतरीन तस्वीर (सेल्फी) पाने के लिए पानी का विसर्जन जरूरी है।
संस्कृत की लाखों वर्ष पुरानी सूक्ति या श्लोक है कि-
उपार्जितानां वित्तानां त्याग एव हि रक्षणम् तडागोदरसंस्थानां परीवाह इवाम्भसाम्
कमाए हुए धन का त्याग करने से ही उसका रक्षण होता है!
जैसे तालब का पानी बहते रहने सेे ही तालाब साफ रहता है! ऐसे ही नीचे का पानी निकलता रहेगा, तो शरीर शुद्ध रहता है।
तंदरुस्ती के लिए सेक्स क्रिया द्वारा वीर्य का निकालना जरूरी है।
नारी कामसूत्र के अनुसार स्त्रियों की सुंदरता नियमित सहवास से निरन्तर बनी रहती है।
नन्दिकेश्वर कामाचार्य के मुताबिक स्त्री का रज भी दूषित जल है।
इसे समय-समय पर निकालते रहना ही ठीक है।
पानी से मन का सीधा सम्बन्ध है।
जितना धीरे-धीरे शांतिपूर्ण तरीके से घूँट-घूँट करके पानी पियेंगे, तो बुढापे के लक्षण कम उम्र में प्रकट नहीं होंगे।
शनै-शनै जल धरना करने से चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़ती।
पानी को चाटकर पीने वाले सभी पशु जैसे कुत्ता, गाय, शेर, जिराफ, गधा, घोड़ा आदि कभी मोटे नहीं होते।
जल्दी जल पीने से शरीर की चर्बी बढ़ती है। मोटापा आने लगता है।
महान आयुर्वेदाचार्य बागभट्ट ने लिखा है कि सुबह उठते ही बासी मुहँ बिना श्वांस लिए पानी अवश्य पियें।
बाद में दातुन, मंजन, ब्रश करें।
सुबह सदैव सादा जल ही लेवें। गर्म पानी से शरीर की चिकनाहट कम होने लगती है,
जिससे अधेड़ावस्था में जोड़ों में दर्द, सूजन, ग्रन्थिशोथ यानि थायराइड की समस्या से झूझना पड़ सकता है।
विकिपीडिया के हिसाब से भी गर्म जल हकनिकर्क बताया है-
कयुर्वेद शरीर विज्ञान के अनुसार बासी मुख जल धारण से अनेक लाभ होते हैं।
सोने के बाद हमारे मुँह में जो रात भर लार बनता है, उसमें बहुत प्रकार के खनिज लवण होते है,
वह उदर के अनेक विकारों को ठीक करने में सहायक हैं।
अगर आंखों की कोई दिक्कत है। कम दिखता हो।
नेत्रज्योति कमजोर हो, तो सुबह उठते ही मुहँ में पानी भरकर इसी जल से आंख धोए,
तो आंखों की अनेक बीमारियों राहत मिलती है।
चरक सूत्र के अनुसार जल कभी भी खड़ा-खड़ा नहीं पीना चाहिए।
पानी जब भी पियें, धीरे धीरे आराम से बैठ पानी पियें।
खड़े होकर पानी पीने से वातरोगों की परेशानी होने लगती है।
सुबह-सुबह कभी भी गर्म पानी, निम्बू पानी, शहद, निम्बू गर्म पानी भूलकर भी न पिएं अन्यथा दिनभर देह में आलस्य बना रहेगा।
तन-मन बीमार से अनुभव करता है। भूख कम होने लगती है।
जो लोग गैस, एसिडिटी, अजीर्ण आदि से पीड़ित हों उन्हें हमेशा चाय या कॉफी के पहले एक गिलास पानी पीने की आदत बनान्त चाहिए।
जिन महिलाओं या नवयुवतियों को पीसीओडी, माहवारी की अनियमितता, सडफ़ पानी की शिकायत हो,
वे जल में 2 तुलसी के पत्ते, रोहिष घांस 1 ग्राम नीम की कोपल का एक पत्ता, जीरा, सौंफ आधा-आधा ग्राम जल में डालकर रखें और वही पानी पीते रहें।
पीसीओडी से दुःखी देवियों को 2 नग खुमानी तथा 3 नग मुनक्का दिनभर में खाते रहना चाहिए।
इन स्त्रियों को दिन भर में 4 से 5 लीटर जल पीना लाभकारी रहता है।
स्थाई इलाज के लिए आयुर्वेद की हजारों साल प्राचीन परंपरा के अनुरूप एवं अमृतम द्वारा नारी सौंदर्य माल्ट का एक मासिक चक्र तक सेवन करना लाभदायक रहेगा।
पीसीओडी स्त्रीरोग से मुक्ति के लिए सप्ताह में 4 बार पूरे शरीर का अभ्यङ्ग अवश्य करें।
मालिश हेतु नारी सौंदर्य ऑयल एक सुंगधित आयुर्वेदक तेल है।
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