अजवायन का किस तरह से सेवन करने से पेट और कमर की चर्बी को हमेशा के लिए कम किया जा सकता है?

  • अजवायन लिवर को क्रियाशील बनाकर फेटी लिवर की समस्या से निजात दिलाती है।
  • जुबान में हकलाहट हो, तो रोज रात को 4 दाने अजवायन के गुड़ में मिलाकर जीभ के नीचे रखकर सो जाएं और सुबह उठते ही लील जाएं। ऊपर से 2 गिलास पानी पीएं।
  • वीर्य शुद्धि के लिए जवान मर्द को रोज 25 एमजी3 अजवायन गुड़ में मिलाकर लेना चाहिए।
  • मोटापा घटाने में अजवायन अत्यंत लाभकारी है। अजवायन के कद्रदान इसके लाभ से परिचित हैं।
  • अजवायन, अग्निदीपक, पाचक, उष्ण, उद्वेष्ठन निरोधी, उत्तेजक, पत्य, कृमिघ्न, संक्रमण निरोधी, दुर्गन्धिनाशक एवं सड़न को दूर करने वाली है।
  • अजवायन का उपयोग कुचपन, अजीर्ण, उदरशूल, आध्मान, विसूचिका आदि रोगों में किया जाता है।
  • अतिसार, आदि विकार में अजवाइन में सरसों और मिर्चा का तीतापन, चिरायते का कडुआपन एवं हींग का उद्वेष्ठन निरोधी गुण तीनों एक साथ है।
  • अजवायन का उपयोग अनेक औषधियों विशेषतया एरंड तेल की दुर्गन्ध को दूर करने के लिए किया जाता है।
  • अजवायन पुरानी खाँसी में जब कफ बहुत कम रहता है तब अजवाइन के प्रयोग से कफ गीला होकर निकल जाता है।
  • कास यानि सुखी खांसी में गरम पानी के साथ अजवाइन का चूर्ण दिया जाता है या इसको चिलम में रखकर पीते हैं।
  • अजवायन का चूर्ण और सेंधानमक अजीर्ण से उत्पन्न विकारों को परेलू दवा है।
  • उदरशूल, आध्मान आदि विकारों में अजवायन, सेंधानमक, सौचरननक, यवक्षार, हींग और आंवला इनके चूर्ण को ०.५ प्रा. की मात्रा में मधु के साथ दिया जाता है।
  • प्राचीनकाल में शराबियों को मघ की आदत छुड़ाने के लिये शराब पीने की इच्छा होने पर इसे चबाने को दिया जाता था।
  • बच्चों के रोगों में तथा हैजे में इसका अर्क बहुत उपयोगी है।
  • अजवायन का सत्-बहुत अच्छा कृमिघ्न, सड़न को दूर करने वाला प्रतिदूषक पदार्थ है। इसका उपयोग घोत के रूप में व्रण प्रक्षालन के लिये किया जाता है।
  • भावप्रकाश ग्रन्थ के पृष्ठ 24 एवं वनोषधि चंद्रोदय के अनुसार अजवाइन अमृतम बूटी व ओषधि है। अजवाइन को संस्कृत में यवानी खाण्डव कहते हैं।
  • द्रव्यगुण विज्ञान नामक आयुर्वेदिक ग्रन्थ में अजवायन को घर का वैध बताया है।

!!दुष्ट यव: यवानी!! (भावप्रकाश निघण्टु)

  • यह दूषित यव की तरह दिखती है। अजवाइन को यवनिका, उग्रगन्धा, ब्रह्मदर्भा, अजमोदिका, दीप्या आदि नामों से भी जाना जाता है। एक खुरासानी अजवायन भी होती है।

अजवायन के २७ चमत्कारी फायदे, गुण, घरेलू उपयोग

  1. वात रोगियों के लिए 1 gm अजवायन का दो चम्मच काढ़ा बनाकर गुड़ के साथ पीना विशेष हितकारी है।
  2. अनुमान भेद से अजवायन के साथ सौंफ का काढ़ा बनाकर लेने से पेट से गैस साफ होने लगती है।
  3. अजवायन के साथ मुनक्का, पिंडखजूर, मुलेठी मिलकर काढ़ा लेने से शुक्राणुओं की संख्या में इजाफा होता है।
  4. 200 mg अजवायन भुंजकर हरड़ मुरब्बा के साथ खाने से आतें शुद्ध होती है।
  5. अजवायन 100 mg 10 ग्राम गुड़ में मिलाकर लड्डू की तरह खाने से सूखा और सड़ा हुआ मल रखने के द्वारा बाहर निकल जाता है।
  6. अजवायन का उपयोग उदररोग, त्वचा रोग, वातरोग आदि विकारों में कारगर है। आयुर्वेदिक निघण्टु-शास्त्रों में इसे अदभुत और असरदायक बताया है।
  7. यह अग्निदीपक, भूख बढ़ाने वाली, कृमि नाशक, पाचक, गर्म (उष्ण), उत्तेजक, संक्रमण निरोधी अर्थात हल्दी से अधिक गुणकारी।
  8. उदरशूल, आध्मान आदि विकारों में अजवाइन, सेंधा नमक, सोंचर नमक, यव क्षार, हींग और अमृतम आँवला चूर्ण सब सम भाग मिलाकर चूर्ण बनाकर खिलाने से जबरदस्त फायदा होता है।
  9. दुर्गंध नाशक, पेट के कीड़े मारने वाली, गैस नाशक, उदर रोग नाशक, शरीर की सड़न दूर करने वाली।
  10. पित्त प्रकृति वालों को अजवायन जहर की तरह हानिकारक होती है।
  11. अजवायन की गर्म पुल्टिश बनाकर दर्द वाले या ठंडक वाले स्थान पर सिकाई करें, तो तुंरत दर्द-सर्दी का अंत होता है।
  12. अजवायन के पत्ते का रस दाद, खाज आदि मिटाता है और कभी कोई कीड़ा काट ले, तो इसे लगाने से तत्काल लाभ होता है।
  13. अजीर्ण, कुपचन, अपचन, पेटदर्द, वायुविकार, विसूचिका यानि दस्तों में हितकारी है।
  14. कोरोना जैसे संक्रमण को दूर करने में सहायक।
  15. अजवाइन को अलग-अलग अनुपान और अनुपतानुसार लिया जावे, तो लगभग 55 से अधिक वात-पित्त- कफ से जुड़ी तकलीफों को दूर करने उपयोगी है।
  16. लाचार रोगी के उपचार में अजवाइन खाने से लेकर इसका धुँआ तक लाभदायक है।
  17. श्वांस की परेशानी में अजवाइन को सेंक कर गुड़ के साथ मिलकर गर्म पानी से देने से फायदा होता है।
  18. अजवाइन का सेवन फेफड़ों के संक्रमण को मिटाता है।
  19. अजवाइन को चिलम में रखकर तम्बाकू के साथ पीने की परंपरा कभी राजस्थान में बहुत थी। इससे अनेक समस्याओं का अंत होता था।
  20. पुरानी खांसी में जब कफ अधिक हो, तो कफ ढ़ीला होकर मल विसर्जन द्वारा निकल जाता है।
  21. किसी की शराब छुड़ानी हो, तो अजवायन को उपयोग ज्यादा करवाएं।
  22. हैजे में अजवायन का अर्क उपयोगी है।
  23. घर में करें-दस्त-जुकाम का इलाज…अजवायन सत्व, पिपरमेंट और कर्पूर तीनो सम मात्रा में लेकर यह पानी जैसा तरल हो जाएगा। इसे बताशे में एक से दो बूंद तक डालकर खिलाने से दस्त आदि में तुरंत राहत मिलती है।
  24. सभी कम्पनियों के अमृतधारा जैसे प्रचलित ब्रांड का यही फार्मूला है। अमृतधारा सन्धिशूल, बदन दर्द, सिरदर्द आदि में भी लाभकारी है।
  25. पेट में गैस बनना या पेट दर्द में अजवायन का लेप पेट पर करने की पुरानी रीति रही है। इस नीति को अपनाने वाली जानकार महिलाएं अजवाइन सुबह खाली पेट फांक कर सादा पानी पीती थी और 100 साल तक बिना बीमारी के जीती थी।
  26. अब वे इस धरती पर नहीं हैं।वे महान माताएं पितृमातृकाओं-मातृमात्रकाओं के रूप में ब्रह्माण्ड के किसी क्षेत्र में विचरण कर रही हैं।
  27. अजवायन, सौंफ, जीरा, लौंग, कालीमिर्च, हल्दी, सेन्धानमक, इलायची, मुलेठी, सौंठ सभी समभाग लेकर दरदरा कर लेवें। इसे 8 गुने पानी में इतना उबाले कि छनककर दोगुना रह जाये।
  • फिर छानकर काढ़ा या रस निकाल लेवें। इस रस में 50 ग्राम गुड़ में मिलाकर इसकी चटनी बनाएं और सुबह खाली पेट आधा चम्मच ओर रात में आधा चम्मच केशर युक्त दूध के साथ खिलाएं।
  • Lozenge Malt लोजेन्ज माल्ट गुगल, अमेजन, amrutam, amalaearth, Myupchar पर सर्च कर एक महीने तक सेवन करवाएं।

अजवायन का स्वभाव मान न मान…मैं तेरा मेहमान की तरह यह भी बेशर्म प्रवृत्ति की औषधि है।

आयुर्वेदिक निघंटू के अनुसार अजवायन के गुण और प्रयोग

  • अजवायन के विभिन्न भाषाओं में नाम..हिंदी में अजवायन, अजवाइन, जवायन, अजवां
  • बंगाली में यमानी, यउयान, योयान्, जोवान्।
  • मंराठी में आँबा, उंबा।
  • गुजराती में अजमा, यवान, जवाइन, अजमो।
  • कन्नड़-थोब, ओमु। तेलगु-वामु, ओममी, ओममु, ओमा।
  • तामिल में अमन, ओमम्, ओमन मा० अजवाण कच्छ० वोहरा काश्मीर-जविन्द । फारसी-नानुखा, झिनियानस नानूख्वाह, जीनान्। अरबी-कम्मे ‘मुलुकी, अमूसा, तोलिबउल खुब्जा। अंग्रेजी-The Bishop’s Weed (दी बिशप्स वीड), Ajova Seeds (अजोवा सीड्स) ले०-Carum copticum Benth. & Hook, (कॅरम् कोप्टिकम्); Syn. Trachyspermum ammi Sprague Linn. (ट्रॅकीस्पर्मम् अम्मी) | Fam. Umbelliferae (अंबेलिफेरी); Syn. Aplaceae (एपिएसी)
  • अजवायन भारतवर्ष के प्रायः सभी प्रान्तों में हर साल खेतों में यह बोई जाती है।
  • विशेषकर मप्र के इन्दौर तथा हैदराबाद राज्य में यह अधिकता से होती है।
  • अजवायन अफगानिस्तान, बलूचिस्तान, पशिया, मिश्र और यूरोप आदि देशों में भी उत्पन्न होती है।
  • अजवायन का क्षुप – ३० से ९० से. मी. तक ऊंचा पत्ते- धनिये के पत्ते के समान कंटीले, अनेक भागों में विभक्त, डालियों पर दूर-दूर आते हैं। फूल-छते से, सफेद रंग के बारीक आते हैं।

अजवायन के फल-

  • नन्हें-नन्हें रहते हैं। छत्ते पकने पर फल निकाल लिए जाते हैं। इन्हीं फलों को अजवायन कहते हैं। ये फल-बहुत छोटे, दबे हुए, गोल अंडाकार, ३ मि.मी. तक लम्बे भूरे रंग के होते हैं। इनकी ऊपरी सतह पर छोटी गाँठे एवं प्रत्येक अर्थ खण्ड पर पाँच धारियाँ होती है। इसमें अजवायन की विशिष्ट गंध होती है।

अजवायन के रासायनिक संगठन—

  • अजवायन में एक उड़नशील सुगन्धित तैल जिसे अजवाइन का तेल कहते हैं, २ से ३% पाया जाता है जिसमें से ४०-५०४ वाइमॉल रहता है।
  • अजवायन में पाये जाने वाला रवेदार पदार्थ स्टिअरोप्टिन, जिसे अजवाइन का फूल या अजवायन का सत् कहते हैं।
  • डाक्टरों के थाइमॉल के समान होता है। इसके अतिरिक्त इसमें साइमोन, टरपेन आदि पदार्थ रहते है।

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