मात्र महिलाओं के मतलब की बातें….प्रदर, सोमरोग या पीसीओडी से निजात कैसे पाएं

सोमरोग या पीसीओडी/पीसीओएस
नवयुवतियों, जवान लडकियों के लिए
खतरनाक गुप्तरोग है। जिससे
जीवन पहाड़ सा लगता है।
जीने की इच्छाशक्ति खत्म हो जाती है।
सबके प्रति रुझान, लगाव मिट जाता है।
खाने-पीने, सोने का मन नहीं करता।
जीभ स्वाद रहित हो जाती है।
हमेशा कुछ न कुछ अतृप्ति, अपूर्णता
महसूस होती है। सुंदरता, खूबसूरती
नष्ट होने लग जाती है।
 
अगर माने, तो ये तन ही वतन है —
तन बनता, बिगड़ता है मन से।
जैसा मन वैसा तन। ये पुरानी कहावत है।
तन -मन स्वस्थ्य रहने से
सारा वतन अच्छा लगता है।
मन ही मानव जीवन और अमन में बाधक है।
जब अच्छा होगा मन, तो क्यों होगा वमन।
मन को मनाने के लिए मनन, एवम मंथन
जरूरी है।
स्त्रियों की सुंदरता सोच से आती है।
अच्छी सोच से ही देह में लोच आती है।
यदि आप स्वयं को बीमार महसूस करेंगे,
तो शरीर के समस्त नाड़ी तंतु, कोशिकाएं
छिन्न भिन्न होने लगती है।
मन मस्तिष्क हमारे तन का आधार है।
मन के खराब होने से ही रोग जड़ पकड़ लेते हैं।
सर्वप्रथम मन को प्रसन्न रखो।
मन है कि तनाव दिए बिना मानता ही नही
और तनाव तन की नाव डुबो देता है।
मन मना न करे आपकी कोई भी बात या
विचार मानने के लिए। मन ही बीमारियों
का जन्मदाता है।
मन की चंचलता से ही मानसिक क्लेश,
अशांति, चिड़चिड़ापन, क्रोध, गलत निर्णय
तथा तनाव, दिल में घाव, खराब स्वभाव
ये सब मन की खराबी से होते हैं।
ताव यानी क्रोध, हर चीज का अभाव
तथा सम्मान का भाव, आत्मविश्वास की कमी,
मोह लोभ, राग रोग का कारण विकारयुक्त
मन की वजह से ही बनते हैं।
कम खाओ गम खाओ …
यह विचारधारा विविध विकारों का विनाश
करने में सहायक है।
मन में अमन जीवन में चमन चाहिए, तो
परमात्मा प्रदत प्राकृतिक संपदा जैसे
योग, महादेव का ध्यान, प्राणायाम,
आयुर्वेदिक दवाएं और अध्यात्मिक उपाय
अपनाएं।
पीसीओडी/सोमरोग की चिकित्सा
प्रदर रोग, व्हाइट डिस्चार्ज, सफेद पानी,
सोमरोग, पीसीओडी जेसी खतरनाक रोगों
से बचने के लिए
नारी सौंदर्य माल्ट एवम कैप्सूल
का नियमित सेवन करें। यह एक
असरकारक आयुर्वेदिक अमृतम औषधि है।
तन को पतन से बचाने में चमत्कारी….
 नारी सौंदर्य माल्ट/कैप्सूल
पीसीओडी एवं मासिक धर्म से संबंधित
बीमारियां जैसे दर्द ऐठन अतिरिक्त
रक्त स्त्राव मूत्राशय तथा गर्भाशय
के संक्रमण, देह में सूजन,
मासिक धर्म के समय
कमर दर्द, श्वेत प्रदर,
योनि की शिथिलता,
योनि का ढीलापन,
रक्त प्रदर, काम
यानि सेक्स
से अरुचि
समयपूर्व रजोनिवृत्ति के लक्षण
आदि अनेक रोगों में उपयोगी है।
नारी सौंदर्य माल्ट एवं कैप्सूल
मैं पूर्ण प्राकृतिक 20 से अधिक
गुणकारी वनस्पति जड़ी बूटी रस
औषधियों का मिश्रण है, जो अनेक
आधि व्याधियों को ठीक कर महिलाओं
का मासिक धर्म समय पर लाकर तन के
रोगों का पतन कर मानसिक शांति देता है।
नारी सौंदर्य माल्ट एवम कैप्सूल
युवतियों के भावनात्मक संतुलन बनाकर
रक्त की शुद्धि, त्वचा की कांति, शारीरिक
एवं मानसिक ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है।
 नई नारियों में नकारात्मक नखरे का नाश
कर तन मन में नजाकत नवीनता नाजुकता
में वृद्धि करके नारी को बुरी नजर से बचाता है।
नारी सौंदर्य माल्ट व कैप्सूल
अविवाहित अथवा गर्भावस्था से लेकर
प्रसव के बाद भी ताउम्र लेते रहने से लंबे
समय तक यौवनता प्रदान करता है।
नारी सौंदर्य माल्ट
में स्त्री रोगों में विशेष उपयोगी दशमूल,
धात्री लोह, सिता और कुक्कवाण्डत्व भस्म
का मिश्रण है।
हरड़ मुरब्बा आंवला, आंवला मुरब्बा,
किशमिश आदि के समावेश ने इसे और भी असरदायक बना दिया है, ताकि ये
शीघ्र ही कारगर सिद्ध हो।
 यह सब औषधियां सभी प्रकार के प्रदर
के साथ साथ आंतरिक ज्वर का नाश कर
परिणाम स्वरूप नवीन रक्त निर्माण एवं
डिंब की कमजोरी से गर्भधारण की स्थिति
में बाधा को दूर करने में अत्यंत विश्वसनीय हैं।
पीसीओडी या सोमरोग से हो रही हैं 
नारियों को -55 से अधिक बीमारियां….
 महावारी या पीरियड की परेशानी
को नजर अंदाज न करें…
आयुर्वेद में लगभग 72 स्त्रीरोगों का वर्णन है।
आजकल नई उम्र की लड़कियों, नवयुवतियों,
अधेड़ स्त्रियों और उम्रदराज हो चली महिलाओं
को एक खतरनाक स्त्री रोगों ने अपने आगोश
में ले लिया है।
खूबसूरती खराब करने वाली इस बीमारी
का नया नाम पीसीओडी या पीसीओएस है। आयुर्वेदिक ग्रन्थों में इसे ही सोमरोग बताया है।
जाने अमृतम पत्रिका के इस शोधयुक्त एवं
रिसर्च लेख में इस स्त्रीरोग के लक्षण, कारण,
उपचार तथा मुक्ति के उपाय….
पीसीओडी क्या है?….
■ माहवारी की अनियमितता, कम या नहीं होना अथवा कष्ट से होना जिसे आयुर्वेद की भाषा में कष्टार्तव कहा है।
■ श्वेत प्रदर, सफेद पानी, व्हाईट डिस्चार्जट,  अनियमित मासिक धर्म/पीरियड और
लिकोरिया आदि की समस्या ही आज
का पीसीओडी यानि सोमरोग है।
ये जानकारी सबको है कि नारी कभी हारी
नहीं, लेकिन बीमारी के कारण वह कमजोरी
का एहसास करने लगी है। पीसीओडी के
चलते कम आयु में ही बुढापे के लक्षण
दिखाई देने लगे हैं।
आयुर्वेद और पीसीओडी….
आयुर्वेद के 5000 साल पुराने  ग्रन्थ
द्रव्यगुण विज्ञान, भैषज्य रत्नावली,
शंकर निघण्टु, वंगसेन सहिंता,
भैषज्य सहिंता (गुजराती),
नारायण सहिंता केरल,ओषधि तंत्र,
रावण सहिंता, मारण सहिंता (तंत्र)
आदि में महिलाओं के शरीर को जर्जर
करने वाला- सोम रोग बताया है।
क्या है सोम रोग?….
स्त्री की योनि से जब निर्मल, शीतल, गंधरहित,
साफ, सफेद और पीड़ारहित सफेद पानी
लगातार कम या ज्यादा बहता रहता है,
तब महिला सफेद पानी के वेग को रोक
नहीं पाती इसे आयुर्वेद में सोमरोग कहा गया है।
पीसीओडी या सोमरोग के दुष्प्रभाव.
यदि पीसीओएस/पीसीओडी का समय पर इलाज
नहीं किया जाता है, तो यह अन्य जटिलताओं की
ओर ले जाता है जैसे:
अनियमित माहवारी
योनि से सदेव तरल सा पदार्थ रिसना।
युवतियों के चेहरे, छाती या पीठ पर बालों का बढ़ना
हिर्सुटिज़्म यानि चेहरे के बालों में अनियंत्रित वृद्धि
बालों का लगातार टूटना, झड़ना
वजन बढ़ना या वजन कम करने में कठिनाई
महिलाओं की गर्दन या अन्य क्षेत्रों के पीछे
काले धब्बे (एकैन्थोसिस नाइग्रिकन्स)
त्वचा मुँहासे, झुर्रियां
त्वचा रंजकता या काला पड़ना
बांझपन जिसके कारण गर्भधारण
बहुत मुश्किल से होता है।
मानसिक असंतुलन तथा डिप्रेशन।
मुख और तालु सूखने लगते हैं।
आलस्य,बेहोशी होती है।
पीसीओएस अर्थात
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम
पीसीओडी से थोड़ा अलग है।
पीसीओडी में अंडाशय अपरिपक्व अंडे
छोड़ना शुरू कर देते हैं, जो अन्य
लक्षणों के साथ-साथ हार्मोनल असंतुलन
और सूजे हुए अंडाशय का कारण बनते हैं;
जबकि पीसीओएस में, अंतःस्रावी समस्याएं
अंडाशय को अतिरिक्त एण्ड्रोजन का उत्पादन
करने का कारण बनती हैं, जिससे अंडे में सिस्ट
बनने का खतरा होता है। हालाँकि, ये सिस्ट पीसीओडी की तरह जारी नहीं होंगे –
बल्कि ये स्वयं अंडाशय में बनते हैं।
25 फीसदी लड़कियां पीड़ित हैं
भारत में युवतियों पर किए गए एक रिसर्च
मुताबिक उन क्षेत्रों में मासिक धर्म वाली
लगभग 11.9 फीसदी पीसीओएस से पीड़ित
हैं, जबकि 23.33 प्रतिशत
जवान लडकियों में पीसीओडी है।
पीसीओएस से प्रभावित युवतियां.
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस)
देश में दस में से एक प्रभावित है। अनेकों
अविवाहित लडकियां इस विकार से अनजान हैं।
संभावित कारण और स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं ?
आयुर्वेद के अलावा पीसीओएस/पीडियोडी
या सोमरोग का सटीक कारण अभी तक
अज्ञात है।
पीसीओएस प्रजनन क्षमता को कैसे 
प्रभावित करता है?….
अनियमित पीरियड्स और ओव्यूलेशन की
समस्याओं के अलावा, पीसीओएस वाली
महिलाओं में बांझपन का अधिक खतरा
होता है।  जो उन महिलाओं के लिए दिल
तोड़ने वाला हो सकता है।
जो नारी गर्भवती होना चाहती हैं।
प्रजनन समस्याओं से जूझ रही महिलाओं
के लिए आज आयुर्वेदिक दवाएं और पचंकर्म चिकित्सा उपलब्ध हैं।
वजन कम होने के बाद लगातार थकान रहेगी।
उत्तर बस्ती मे प्रयोग होने वाली औषधि
ओव्यूलेशन का समर्थन करने वाले हार्मोन
को बढ़ाती हैं।
भारतीय पारंपरिक चिकित्सा उपचार जिन
पर आप अपने आयुर्वेदिक डॉक्टर या वैद्य
से चर्चा कर सकते हैं, उनमें आयुर्वेदिक
उपचार गर्भवती होने की योजना को
सफल करने में आपके लिए मददगार है।
 आयुर्वेदानुसार सोम रोग या पीसीओडी
लक्षण निम्नप्रकार हैं..
आयुर्वेद के माधव निदान में “सोमरोग”
(PCOD) को असाध्य स्त्री रोगों में गिना
जाता है।
जब किसी स्त्री का सोमरोग पुराना हो
जाता है, तब “मूत्रातिसार” अर्थात बार
पेशाब आना, प्रमेह, मधुमेह आदि परेशानी
पैदा होने लगती है। वह जरा सी देर भी
पेशाब रोक नहीं पाती।
दुष्परिणाम यह होता है कि तन-मन का सारा
बल, ऊर्जा, शक्ति नष्ट होकर मरनासन्न स्थिति
में पहुंच जाती है। पीसीओडी या सोमरोग का
स्थाई इलाज आयुर्वेद अथवा देशी घरेलू
चिकित्सा के अलावा अन्य पध्दति या पेथी
में स्थाई कोई इलाज नहीं है। रसायनिक
दवाओं से शरीर जीर्ण-शीर्ण हो सकता है।
सोमरोग की उत्पत्ति– जिन कारणों से “प्रदररोग”(लगातार सफेद पानी आना) होता है । इसे leucorrhea, (लिकोरिया) white discharge (व्हाइट डिस्चार्ज) भी कहते हैं ।इसका सम्पूर्ण इलाज आयुर्वेद के ग्रन्थों में उपलब्ध है।
रसौली स्त्रीरोग…
अत्याधुनिक जीवन शैली या लाइफस्टाइल
और बढ़ती चर्बी-मोटापे के कारण युवतियों
को बच्चेदानी में फाइब्रॉइड और ओवेरियन
सिस्ट हो रहा है। इसपर अधिकतर मरीज
घबराकर सीधे शल्य चिकित्सा/सर्जरी
करवा लेती हैं!
आयुर्वेद के अनुसार जड़ीबूटियों द्वारा इसका
इलाज संभव है। ऑपरेशन की ज्यादा जरूरत
नहीं है।
अष्टाङ्ग ह्रदय ग्रन्थ में रसौली नामक स्त्री रोग (गर्भाशय में मौजूद ट्यूमर) को वर्तमान में
fibroid या leiomyoma बताया जा रहा है।
स्त्रियों, युवतियों का रक्षक
नारी सौंदर्य माल्ट & कैप्सूल
प्रत्येक नारी स्वस्थ रहे प्रसन्न रहे, इसी भावना
को ध्यान में रखकर अमृतम फार्मास्युटिकल्स
द्वारा 5000 साल पुरानी परम्परा के अनुसार
एक असरकारक आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों
अनेक जड़ीबुटी, मुरब्बे, भस्म रसादि से
स्त्रीरोग नाशक माल्ट का निर्माण
आयुर्वेद के अनुकूल किया है क्योंकि –
आयुर्वेद अमृतम औषधियाँ पूर्ण प्रभावशाली
होने के साथ साथ सहदुष्प्रभावो
(Free From Side Effect) से रहित
नारियो के स्वाभाविक स्वास्थ्य के अनुसार
पूर्णतया सुरक्षित है ।
गर्भवती स्त्रियों के लिए वरदान —
गर्भधान से लेकर जब तक बच्चा पैदा होने
तक दोनों दवाओं के सेवन से दोषरहित और
हष्ट पुष्ट बच्चा जन्म लेता है।
नारी सौंदर्य माल्ट & कैप्सूल
में मिलाए गए घटक द्रव्य एवं जड़ी बूटियों
का विस्तृत विवरण इस प्रकार है
अशोक छाल —
अशोक के विषय शास्त्रों में कहा गया है कि —
           अशोकः न शोकोअस्मात्
अर्थात इसके कारण स्त्रियों को रोगों से
भयभीत नहीं होना चाहिए अशोक छाल
सभी योनि दोषों में उपयोगी है।  यहां तक
रक्त प्रदर, सोमरोग, कष्टार्तव श्वेत प्रदर एवं
गर्भाशय के विकारों में अत्यंत लाभदायक है
लोध्रा छाल
इससे गर्भाशय की शिथिलता दूर होकर
रक्त प्रदर एवं श्वेत प्रदर आदि रोगों से स्त्रियां
बची रहती हैं इसके प्रयोग से गर्भवती स्त्री का गर्भाशय संकुचित हो जाता है इस कारण गर्भपात
की संभावना क्षीण हो जाती है
अर्जुन छाल
हृदय को शक्तिशाली बनाकर, रक्तविकार
प्रमेह आदि में लाभकारी है।
दशमूल क्वाथ
दस प्रकार की जड़ी बूटियों के मूल को
दशमुल कहते हैं। प्रसूति रोग की यहां
प्रसिद्ध दवा है। इसकी अदभुत गुणवत्ता
के कारण इसे नारी सौंदर्य में मिलाया गया है।
 नवयौवन में प्रवेश करने वाली नवयुवतियों नवविवाहिताओं को कष्ट के साथ कम या
ज्यादा माहवारी होती हो, यह निर्धारित
28 दिन की अवधि या मासिक चक्र में
बिना दर्द के नियमित लाने में कारगर है।
छोटे शिशुओं की माताओं को यदि अनियमित
मासिक धर्म की शिकायत रहती हो, उन
महिलाओं के लिए दशमुल अद्भुत औषधि है।
दशमुल मासिक धर्म के समय होने वाले सभी
प्रकार के दर्द एवं वात विकार मे उपयोगी है।
दश्मूल के चमत्कारी फायदे
रक्त की कमी, पेट व संपूर्ण अंग में दर्द होना,
योनि की सूजन, अन्न से अरुचि आदि तकलीफ
दशमुल क्वाथ पीने से दूर होती है।
प्रसव के बाद कमजोरी और थकान होना
प्रसव पश्चात प्रसूता स्त्री के लिए स्वाभाविक
बात है। दशमुल प्रसूता रोग नाशक ओषधि है।
बच्चा पैदा होने के बाद पेट में दूषित रक्त आदि
रहने से अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं।
जिससे दूध भी दूषित हो जाता है। इसका बुरा
प्रभाव बच्चे के स्वास्थ्य पर होता है।
प्राचीन काल में प्रसूता स्त्री को 1 माह तक
निरंतर दशमूल क्वाथ अवश्य दिया जाता था,
 ताकि जच्चा बच्चा स्वस्थ रहें।
नागर मोथा —
मुस्तयति सम्यक हन्ति , मुस्त संघाते
महिलाओं में अनेक ज्ञात अज्ञात मासिक
धर्म संबंधी रोगों का नाशक यहां मूत्र जनक, आर्तवजनक, गर्भाशयोत्तेजक, केशववर्धक
एंव कृमिनाशक है।
प्राचीन काल से ही गर्भाशय की बीमारियों में
इसका व्यवहार करते आ रहे हैं यह गर्भवती
स्त्री को विशेष रूप से दिया जाता रहा है।
भुई आंवला —
मलेरिया यकृत प्लीहा वृद्धि दाह मूत्र मार्ग
के रोग रक्त विकारों में उपयोगी।
शतावर —
शातेन आवृणोति इति
अर्थात इसके मूल में अनेक शाखाएं होती हैं।
महाशतावरी मेध्या ह्दया वृष्या रसायनी
यह महिलाओं के हृदय के लिए हितकारी
एवं सुरक्षित रसायन है। धारणा शक्ति यानि
गर्भाधान में कारक है। वक्ष स्थल सुंदर बनाकर
प्रसूता स्त्रियों के स्तनों में दूध की वृद्धि करता है।
गोखरू —
जिन महिलाओं को दुर्गंध युक्त और गंदला मूत्र
आता हो, उनके लिए यह विशेष उपयोगी है।
गोखरू का मूत्र जनन धर्म अतिउत्तम होता है। महिलाओं में काम शक्ति का हास तथा अपने
आप पेशाब छूट जाने जैसे मूत्र विकार नाश
करने में उपयोगी है।
नारी सौंदर्य में मिलाया गया गोखरू मूत्र त्याग
के समय जलन नहीं होने देता, पेशाब साफ
लाता है। समस्त प्रसूति रोग में हितकर।
आंवला मुरब्बा —
आमलते घारयति शरीरम् वा रसायन गुणान्
विटामिन सी से भरपूर रसायन गुणों का भंडार है प्रकोपजन्य अत्यार्तव मैं बहुत उपयोगी है।
आंवला मुरब्बा एक एंटीऑक्सीडेंट ओषधि है,
जो शरीर की सूक्ष्म नदियों को ऑक्सीजन
देकर क्रियाशील बनाए रखता है, जिस वजह
से देह सदेव रोग रहित रहती है और बुढ़ापा
जल्दी नहीं आता।  इसे शिवा भी कहते हैं।
आंवला मुरब्बा योनि रोग योनि दहा सब प्रकार
के प्रदर रक्त श्वेत नीला काला व पीला योनि स्राव योनिक्षत बादी तथा खूनी बवासीर अतिसार दस्त
में खून आना, उदर कृमि और खूनी आंव जैसे रोग
नष्ट होते हैं। आंवला स्त्रियों के अनेक ज्ञात या अज्ञात रोगों का नाश करता है।
हरड़ मुरब्बा —
विजया सर्वरोगेषु
हरड़ आरोग्यदाता परम हितकारी है।
उदर रोगों के लिए यह अमृत है शरीर
के समस्त दोषों का नाश करना इसका
मुख्य गुण है।
हरित् रोगान् मलान् इति हरीतकी!
यह सभी रोगों का हर लेता है।
आयुर्वेदानुसार रोगों की जड़ उदर है और
हरड़ मल विसर्जन द्वारा रोगों को शरीर से
निकाल सकती है।
हरड़ शिथिल इंद्रियों को क्रियाशील बनाती है।
नारी सौंदर्य माल्ट 
NARISOUNDARY Capsule
तन – मन को चमन बना देगा। क्योंकि
इसमें हरड़/हरितकी विशेष रूप से मिश्रण है।
नारी सौंदर्य में मिश्रित हरड़ मुरब्बा परिणाम
शूल यानि खाने के बाद पेट में दर्द होना,
पंक्ति शूल यानी भोजन पचते समय पेट में दर्द होना, अजीर्ण, अम्ल पित्त, कब्ज, गले में जलन,
खट्टी डकार आना, आदि पैत्तिक रोगों में
अतिशीघ्र लाभ करता है।
हरड़ पाचन विकार दूर कर नेत्रों की ज्योति
बढ़ाता है।अंग्रेजी दवाओं के दुष्प्रभाव व
दाह, दर्द के दमन से उत्पन्न नारियों की
नाड़ी दोष तथा वात पित्त कफ,
पित्त जन्य विकार दूर करने में सहायक है।
 हरड़ मुरब्बा युक्त नारी सौंदर्य माल्ट से नारी की जीवनीय शक्ति चमत्कारी रूप से बढ़ती है।
अमृतम गुलकंद
गुलाब के फूलों से निर्मित अम्लपित्त, पितृदोष
एवं कब्ज नाशक होती है। यह अजीर्ण को पनपने नहीं देता। पाचनतंत्र को ठीक करता है।
गुलकंद त्वचा का रंग साफ रख यौवनता
प्रदान करने में विशेष उपयोगी है।
मन में अमन शांति देता है।
 स्त्रियों के मासिक धर्म में होने वाले अधिक
गर्भवती स्त्रियों के लिए विशेष लाभकारी है।
रक्त स्त्राव ठीक होकर गर्भाशय की शुद्धि करता है।
किशमिश —
रक्त वृद्धि कारक तथा भोजन का पाचन कर,
मल त्याग मैं सहायक है।
आंतों की गति व क्रियाशीलता में कारक।
गैस, पेशाव, पेट की जलन, रक्त शुद्धि,
बवासीर या पाइल्स, फेफड़ों की कमजोरी,
 वमन अफरा आदि में उपयोगी।
हृदय रोगों से बचाव करती है किसमिस
ब्राम्ही —
प्राचीन काल में गर्भधारण होते ही गर्भवती
महिलाओं को  ब्राह्मी का सेवन कराते थे,
ताकि शिशु योग्य विद्वान पैदा हो।
ब्राह्मी के सेवन से संतान प्रखर सिद्धि बुद्धि
वाली होती है।
सिर दर्द चक्कर आना, जी मिचलाना,
 नींद ना आना, चिंता मगन रहना आदि
अप्राकृतिक रोगों में ब्राम्ही सिद्ध औषधि है।
 मानसिक विकारों का जड़ से नाश करती है।
चतुर्जात —
दालचीनी छोटी इलायची तेज पत्र
तथा नागकेशर इन चारों मसाले का
योग मिश्रण चतुर्जात कहलाता है।
जात का अर्थ सुगंध होने से महिलाओं के
लिए अत्यंत लाभकारी है।
 त्रिकटु …
सोंठ काली मिर्च एवं पिप्पली इन तीनों के
मिश्रण त्रिकुट योग है, जो तन की तासीर को
त्रिदोष रहित बनाती है।
मुंह सूखना, हाथ पांव आदि अवयव ठंडे पड़ जाना, चक्कर आना, पसीना अधिक आना,
कफ की अधिकता, खांसी, श्वास, छाती
तथा पसली का दर्द, तंद्रा और सिरदर्द युक्त
सन्नीपात ज्वर, सूतिका तथा अंदरूनी ज्वर
और शोथ रोग में इसके प्रयोग से अच्छा लाभ
होता है।
शिलाजीत —
निदाते धर्मसन्तप्ता धातुसारं धराधराः।
पर्वतों पर गर्मी में जो धातुओं का सार पिघल
कर पत्थरों से निकलता है उसे शिलाजीत कहते हैं। योगवाही, कफ प्रमेह, पथरी, शकरा, श्वास,
बादी, खून की कमी, पाण्डुरोग, उन्माद, बबासीर
धातु क्षीणता, शरीर की आंतरिक व भारी कमजोरी आदि अनेक रोगों में अत्यंत लाभकारी है
कुक्कुटाण्डत्व्क भस्म —
स्त्रियों में रजोविकार यथा प्रदर सोमरोग
आदि नष्ट हो जाते हैं इसके प्रयोग से प्रसव
के बाद स्त्रियों की कमजोरी दूर होती है।
धात्री लौह —
आंवले का चूर्ण, लोह भस्म, मुलेठी चूर्ण को
गिलोय स्वरस की भावना देकर इसे निर्मित
किया जाता है, जो महिलाएं थोड़े से श्रम से
थक जाती हैं या जिनमें सदा आलस्य भरा
रहता है, काम में मन ना लगना,
 सिर में भारीपन रहना,
 स्वभाव चिड़चिड़ा होना आदि रोगों में
नारी सौंदर्य माल्ट विशेष उपयोगी है।
नारी सौंदर्य माल्ट शरीर के वर्ण को अच्छा
बनाती है। यह गर्भाशय को संकोचक है।
 मूत्रवरोध, अश्मरी यानि पथरी,
आर्तवविकार ,अनार्तव, शोधयुक्त विकार
नाशक बेहतरीन ओषधि है।
इससे गर्भाशय की शुद्धि होती हैं।
नाजुक नारी —  नारी रोगों में जब गर्भाशय
डिंबकोष या प्रजनन संस्थान किसी कारणवश
विकास ग्रस्त ने से ऋतुचक्र बिगड़ जाता है,
तब स्त्रियों को अनेक प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक रोग कष्ट पहुंचाने लगते हैं जैसे —
प्रजनन संस्थान के विकार
(Female reproductive system Disorder) श्वेत प्रदर रक्त प्रदर योनि में शुष्क फुंसिया जख्म गर्भाशय की सूजन शिथिलता गर्भ स्त्राव या गर्भपात मूत्र नलिकाओं बस्ती प्रदेश बेटवा नलों में सूजन तथा दर्द व बांझपन (infertility) आदि
मासिक धर्म संबंधी विकार ( Menstrual Disorder) बदबू युक्त या कष्ट के साथ
 ऋतु स्त्राव का देर से होना समय से पहले
या समय के बाद में होना,
 महीने मैं कई बार ऋतु स्त्राव होना,
कई कई दिनों तक होते रहना।
संपूर्ण ऋतु चक्र ना होना,
मासिक धर्म अचानक बंद हो जाना,
 ऋतु स्त्राव से पहले पेडु नलो हाथों पैरों
एवं शरीर में भारी दर्द होना,
 मांस पिंड या छिछले गिरना
आदि सभी स्त्रीरोगों में नारी सौंदर्य
बहुत लाभकारी है।
प्राकृतिक एवं स्वास्थ्य मासिक स्त्राव का लक्षण मासिक धर्म के 26 या 27 दिन कुछ बूंदों का स्त्राव तीसरे दिन प्रथम दिन की तरह और चौथे दिन बंद इसके विपरीत ऋतु स्त्राव रोग है वैज्ञानिक विकास
के परिणाम स्वरुप पर्यावरण प्रदूषण एवं आधुनिक जीवन शैली की अंधी दौड़ में संभव है कि प्रति हजार एक दो स्त्रियों को ही प्राकृतिक मासिक स्टाफ समय पर सही तरीके से होता हो।
मानसिक व नाड़ी संस्थान के विकार (Nervous & Mental Disorder ) — उन्माद भय भ्रम भ्रान्ति अपस्मार मानसिक उत्तेजना चिड़चिड़ापन अकारण थकावट हाफना कमजोरी चिंता क्रोध अप आज
कमर दर्द नींद ना आना उदासीनता आदि।
पाचन संस्थान के विकार(Disorder of Digestive system )  अग्निमान्द्य अजीर्ण अपरा अम्ल पित्त खट्टी डकारे भोजन में अरुचि आदि
पोषण संबंधी विकार(Neutritional Disorder)  कमजोरी निस्तेज रक्ताल्पता योनि या गर्भाशय डांस आदि तथा बार-बार गर्भपात होना
ठंडापन (Frigidity) सहवास के प्रति अरुचि शीतलता आलस्य आदि
महिलाओं नवयोवनाओ बालाओ के मासिक धर्म
और उपयुक्त रोगों को दूर करके नारियों के नवीन निर्माण में नारी सौंदर्य माल्ट एवम कैप्सूल दोनों
 पूर्णता सक्षम है
जाम नाडियों को मुलायम कर वात विकार का
नाश करता है एवं कब्जियत हो नहीं होने देता है।
ओनली ऑनलाइन उपलब्ध
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