नारी से प्यार कोई नहीं करता। यही मुगालता महिलाओं के मन में बैठा है। ज्यातर पुरुष नारी से प्यार करने का नाटक करते हुए उसके साथ आधी रात को त्योहार मनाना चाहता है।
पहली बार के लिए आदमी नौलखा हार भी उपहार में दे सकता है। आर पार होने के बाद नार रुख मौसम से भी जल्दी बदल जाता है।
नारी कुंवारी हो शादीशुदा भी पुरुष से प्यार केवल अंदरूनी शक्ति पाने के लिए करती है। उसकी सारी तैयारी कुछ पाने के लिए ही रहती है।
कोई भी औरत उसी मर्द की आभारी होती है, जो उसके पैर भारी कर सके।
एक प्रेमी 8 साल तक एक लड़की से दिल में मोहब्बत करता था। उसे देवी स्वरूप मानता था। प्रेमी भी बहुत हष्ट पुष्ट और सुंदर था। दोनों जब भी मिलते, घंटो बात करते। जीने मरने की काम खाते। लेकिन घंटे में कभी करंट नहीं आता था।
प्रेमिका इतनी प्रभावित थी वो विवाह से पूर्व भी मिलने को इच्छुक थी और प्रेमी सच्चे प्रेम के कारण गर्लफ्रेंड से रिश्ता छूटा भी नहीं था।
एक दिन धीरे धीरे सच्चे प्रेमी के दोस्त से सेट हो गई और 14 फरवरी को दोनों ने ROSE DAY भी मना डाला और फिर दोनों को ऐसा चस्का लगा की वे रोज रोज, सेज गर्म करने लागे।
आगे 14 नवंबर को ठीक 9 महीने बाद चाचा नेहरू के बाल दिवस पर प्रेमिका को बच्चे ने जन्म लिया और प्रेमिका के बाल भी झड़ने लगे।
प्रेमिका फिर अपने पुराने प्रेमी से दूरियां बनाने लगी। प्रेमी को अपनी सच्ची मोहब्बत पर बहुत गुरूर था। वह स्वयं को देवता मानता था।
करीब 2 से तीन साल तक दोनों नहीं मिले। BF उसकी याद में जीता मरता। हमेशा याद रखता। उसके दिमाग में कभी वीर्य रूपी मवाद निकालने का विचार ही नहीं आया। प्रेमी संस्कृत और हिंदी साहित्य का छात्र था और PHD कर रहा था।
प्रेमी ने करीब 5 से 7 साल बाद अपनी देवी स्वरूप प्रेमिका को फोन लगाया। दोनों घंटों बात करते रहे और अन्त में प्रेमी ने प्रेमिका को ILOVE YOU बोला, तो गुस्से में गर्लफ्रेंड बोली!
बस, तुम यहीं अटके रहना। मेरे बच्चे अब स्कूल जाने लगे हैं। उनके साथ लिव इन रिलेशन में रह रही हूं और हम शीघ्र ही शादी करने वाले हैं।
आपको याद दिला दें कि चाचा नेहरू बचपन में नारियों को बहुत निहारते थे। इसीलिए उन्हें गांव में सब उसे निहारु कहते थे और निहारु से फिर नेहरू नाम पड़ा।
चाचा ने अनेक खांचा देखे, बच्चे भी हुए लेकिन सब कच्चे पान ही निपट गए। धरती पर नहीं आए। नेहरू के सेक्स रूपी बल को देखते हुए ही 14 नवंबर को बाल दिवस घोषित किया गया और इसके 9 माह पहले 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे की घोषणा करने वाले प्रोफेसर श्री वेलेंटाइन जी नेहरू जी के गुरु थे।वेलेंटाइन की शुरुआत वर्ष 1843 में मसूरी से हुई थी।
नेहरु जी की इसी रसिया प्रवृत्ति के कारण दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश रुस ने अपने देश का नाम रसिया कर दिया था।
आज रुस को संसार में रसिया के नाम से जाना जाता है। हो सकता है कि रूस में किसी स्त्री की चू (?) को चूस लिया हो।
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