गणेश चतुर्थी को बनाये “आयुर्वेदिक मोदक” | How to make Ayurvedic Ladoos?
22 तरह के ज्वर,संक्रमण रोगों को मिटाने वाला
आयुर्वेदिक गुडुची मोदक (लड्डू)
जिसे खुद भी खाएं औऱ गणपति जी
को भी अर्पित करें।
एक अदभुत असरकारक अमृतम घरेलू ओषधि
22 प्रकार के पुराने रोगों को मिटाने हेतु घर में ही बनाये गुडुची मोदक ।
एक विशेष स्वास्थ्यवर्धक जानकारी-पहलीबार जिससे आप भी स्वस्थ्य रहेंगे और बरसेगी श्री गणेशजी की अटूट कृपा——-
गणेश चतुर्थी को बनाएं
“अमृतम गुडुची मोदक“।
सबसे पहले निम्नलिखित सामग्री इकट्ठी करें
1- गिलोय 100 ग्राम
2- 20 ग्राम गुढ़
3- 20 ग्राम मधु पंचामृत (शुद्ध अमृतम शहद)
4- 20 ग्राम गाय का शुध्द घी
5- 20 ग्राम त्रिफला पावडर
6- मुलेठी,कालिमर्च,जीरा,हल्दी,सौफ,
छोटी पीपल,हरड़,चिरायता ये सभी 5-5 ग्राम
7- इलायची, सौंठ 2-2 ग्राम
8- गुलाब फूल एवं अनार दाना 10-10 ग्राम
9- 20 ग्राम शक्कर का बूरा
मोदक (लड्डू) बनाने की निर्माण विधि-
उपरोक्त सब वस्तुओं को
साफकर,पीसकर कपड़छन करें।
फिर,इस पाउडर में उपरोक्त गुढ़,मधु, घी व बूरा मिलाकर 10 से 15 ग्राम वजन के लड्डू बनाकर रख लेवें।
सेवन विधि-एक मोदक(लड्डू) रोज सुबह खाली पेट गुनगुने दूध या गर्म जल से तथा रात्रि में खाने से एक घंटे पहले दूध या गर्म पानी से।
मोदक कब तक खराब नहीं होते–
5 से 7 दिन तक इन लड्डुओं का कुछ नहीं बिगड़ता। इसलिए इसे इतना ही बनाये,जितना उपयोग कर सकें।
ओषधि मोदक कौन-कौन खा सकता है–
इस मोदक को स्त्री-पुरुष, बच्चे,बुजुर्ग कोई भी
खा सकता है। इसे बिना बीमारी के भी लिया जा सकता है। यह आयुर्वेद की संक्रमण नाशक अमृतम ओषधि है। इसे स्वास्थ्य रक्षक ओषधि के रूप में जीवन भर लिया जा सकता है। यह मोदक स्वास्थ्यवर्द्धक,तो है ही-साथ ही अनेक रोगों का नाशकर्ता,विध्नहर्ता भी है।
आयुर्वेद के खजाने से-
“व्रतराज” एवं “आयुर्वेद और पर्व”
सर्वहितकारी ओषधियाँ,
“आयुर्वेद में मोदक का महत्व”
आदि नामक पुस्तकों में हर्बल ओषधियों के मिश्रण से करीब 100 से अधिक मोदक(लड्डू) बनाने की विधियों का उल्लेख है।
यह अमृतम आयुर्वेदिक मोदक 22 तरह की ज्वर से जुड़ी पुरानी बीमारियों का शर्तिया इलाज है।
इन बीमारियों को मिटाता है–
◆ डेंगू फीवर,
◆◆ स्वाइन फ्लू,
◆◆◆ चिकिनगुनिया,
◆◆◆◆ वायरल फीवर,
◆◆◆◆◆ मलेरिया,बुखार,
◆◆◆◆◆◆ संधिशोथ,
◆◆◆◆◆◆◆ थायराइड,
◆◆◆◆◆◆◆◆ शिथिलता,सुस्ती,आलस्य
◆◆◆◆◆◆◆◆◆अकारण चिन्ता,
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆मानसिक अवसाद
आदि अनेक रोगों से यह अमृतम औषधि मोदक रक्षा करता है।
इस मोदक का नियमित सेवन किसी भी सीजन या
मौसम में कर सकते हैं। यह योगवाही ओषधि है।
योगवाही क्या होता है ? इसकी जानकारी पिछले लेखों में पढ़ सकते हैं।
क्यों लाभकारी है गुडुची मोदक-
■ पाचन तन्त्र मजबूत होता है।
■■ मेटाबोलिज्म सुधरता है।
■■■ जीवनीय शक्ति जागृत करने में सहायक है।
■■■■ रोग प्रतिरोधक क्षमता वृद्धिकारक है।
पुस्तकों को प्रणाम-
धन्वन्तरि कृत-आयुर्वेदिक निघण्टु
लेखक-आयुर्वेदाचार्य प्रेम कुमार शर्मा
(प्रसिद्ध साहित्य आयुर्वेद आचार्य एवं भारतीय
जड़ीबूटियों तथा ओषधियों के शोधकर्ता)
ने इस ग्रन्थ में मोदक को स्वास्थ्य तथा तन की तंदरुस्ती के लिए बहुत ही ज्यादा हितकारी बताया है।
रोगाधिकार–
● गुडुची मोदक के सेवन से कोई रोग नहीं होता।
●● जीवनीय शक्ति जाग्रत करता है।
●●● रोग प्रतिरोधक क्षमता वृद्धि कारक है।
●●●● बुढ़ापा बहुत देर से आता है।
●●●●●जल्दी बाल सफेद नहीं होते।
●●●●●●बाल कभी झड़ते नहीं है।
●●●●●●●पतले या दोमुहें नहीं होते।
●●●●●●●●विषम ज्वर,मलेरिया,बुखार के लिए यह रामबाण हर्बल मोदक (लड्डू) है। इसके नियमित सेवन से 22 प्रकार के विषम ज्वर नष्ट हो जाते हैं।
★ यह वातरक्त,रक्तदोष संधि दोष नाशक है।
★★ नेत्र ज्योति तीव्र होती है।
★★★ यह मोदक सर्वोत्तम रसायन है।
★★★★ चमत्कारी त्रिदोष नाशक है।
स्वस्थ्य रहकर 100 वर्ष तक जीवित रह सकते हैं।
अनेक अज्ञात संक्रमित रोगों को उत्पन्न नहीं होने देता।
22 तरह ज्वर का अन्त करने के कारण इस मोदक को ज्वरान्तक मोदक भी कहा गया है।
क्या आपको पता है?
प्राचीन काल में हर्बल लड्डुओं (मोदक)का बहुुुत चलन
था। तन को तंदरुस्त बनाने के लिए इसका निर्माण अनेक आधि-व्याधि नाशक जड़ीबूटियों,ओषधियों के योग से होता था।
क्या है गुडुची,गिलोई या गिलोय-
अमृतम ओषधि,गुडुची के अन्य नाम गिलोय,अमृता,अमरबल्ली आदि हैं ।
गुडुची के उपयोग,सेवन-विधि,परहेज
आदि की सम्पूर्ण जानकारी पिछले लेखों में दी जा चुकी है। अमृतम की वेवसाइट पर गुडुची या गिलोय के बारे में विस्तार से जान सकते हैं।
क्या सावधानी बरतें-
रात्रि में दही,जूस,रायता,अरहर की दाल,सलाद आदि का सेवन न करें।
आपकी सुविधा के लिए-
यदि उपरोक्त हर्बल मोदक बनाने में असमर्थ हैं,तो गिलोई या गुडुची,गिलोय चिरायता,कालमेघ,सुदर्शन,काढ़ा,सेव,आँवला मुरब्बा,गुलकन्द,त्रिकटु, त्रिफला आदि
50 से अधिकओषधियों के मिश्रण
से निर्मित
अमृतम फ्लूकी माल्ट का सुबह खाली पेट
गुनगुने दूध से 2 से 3 चम्मच तक एवं रात्रि में खाने से पहले लेवें। यह 22 प्रकार के विषम ज्वर,संक्रामक रोग-बीमारियों को मिटाने में सहायक है।
फ्लूकी की माल्ट – शिथिलता,सुस्ती,
आलस्य एवं हठ धर्मी विकार मिटाने में सक्षम है।
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