आत्मनिर्भरता की प्रेरणा देने वाली पच्चीस “25” महान हस्तियों के विचार और इसके फायदे….
अपनाएं, कामयाबी के ये 10 सूत्र….
जो कष्ट की काया-पलट सकते हैं…….
【1】आंतरिक प्रसन्नता।
【2】आत्मसंतुष्टि।
【3】आत्मविश्वास।
【4】आत्मनिर्भरता।
【5】निर्भयतापूर्वक कार्य
【6】कड़ी मेहनत।
【7】पक्का इरादा।
【8】मजबूत मनोबल
【9】ईमानदारी।
【10】सच्चाई (शिव) का साथ।अब अभाव मिटाने के लिए प्रत्येक देशवासी को दिल में आत्मनिर्भरता का भाव लाना और जगाना होगा। स्वदेशी की भावना समाज में जागृत हो, यह विन्रम प्रयास करना ही कोरोना संकट के बाद अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी
बूटी होगी।अब लोकल को वोकल करें…
कहीं भी बैठे-उठे, तो लोकल को ही वोकल करें। लोकल से कल देश की शक्ल बदलेगी। लोकल की चर्चा चर्चित करें। हम लोकल अपनाकर कल को लो (LOW) यानि कमजोर बनाने से बचा सकते हैं।
यही हमारा और प्रत्येक भारतवासी का
परम कर्तव्य होना चाहिए।नीचे लिंक क्लिक कर जाने..भारत में निर्मित
30 स्वदेशी कम्पनियों के हजारों उत्पाद,https://amrutampatrika.com/
india/ लोकल में स्वदेशी बनाने वाले तथा इसका इस्तेमाल करने वाले लोगों का स्वागत करें, उनका मनोबल बढ़ाएं।लोकल के लिए सबको वोकल करके, उन्हें प्रेरित करें। क्योंकि-
पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं.…
यह पुरानी कहावत है
इसका अर्थ है कि दूसरे के भरोसे बैठा पराधीन व्यक्ति कभी भी सुख का अनुभव
नहीं कर पाता। सुख, तो स्वतंत्र व्यक्ति
ही ले पाता है।इस प्राचीन श्लोक पर भी गौर करें-
सर्वं परवशं दु:खं सर्वम्
आत्मवशं सुखम्।
एतद् विद्यात् समासेन
लक्षणं सुखदु:खयो:॥
अर्थात:- पराधीन के लिए सर्वत्र दुःख है और स्वाधीन के लिए सर्वत्र सुख। यही संक्षेप में सुख और दुःख के लक्षण हैं।इसलिए करबद्ध निवेदन है
देशी खाओ-स्वदेशी अपनाओ, अब
चूतियों (विदेशियों) से पीछा छुड़ाओक्या नहीं है हमारे देश में…
भारत की भिन्न-भिन्न विशेषतायें….
¶ देश का बना, चना बुद्धि, बलदायक है।
¶ देश की सब्जी, सबके जी में बसी हुई हैं।
¶ भारत के मसाले मुख के ताले खोल देते हैं।
¶ धरती माँ प्रदत्त चावल बल वृद्धिदाता हैं।
¶ बूटियां रोगी की डूबती लुटिया बचाती हैं।
¶ कर्म करो और कोई फल खा लो, इसलिए
फल की चिन्ता न करने पर जोर दिया है।
¶ कभी-कभी जले पर नमक छिड़कने के लिए टाटा, पतंजलि जैसी स्वदेशी कम्पनियों के उत्पादों का उपयोग कर सकते हैं।
¶ हिंदुस्तानी कपड़ा विश्वविख्यात है,
इसमें कोई लफड़ा नहीं है।
¶ भारत की शक्कर में नींबू मिलाकर पीने
से चक्कर, उल्टी आदि रुक जाते हैं।
¶ भारतीय गुड़ गुणों की खान है।
¶ कहीं-कहीं नीम हकीम खतरे की जान है।
¶ यहां की दाल, बेमिसाल होती हैं।
¶ मीठे गन्ना ने कइयों को धन्ना सेठ बना दिया। वे पेट कम करने, मोटापा घटाने के लिए विदेशी दवाओं के अधीन हैं।¶ भारत का आलू इतना चालू है कि इसे व्रत में, अकेले या किसी भी सब्जी के साथ बनाकर खाया जा सकता है। दमआलू भी प्रसिद्ध है।
क्यों है मेरा भारत महान….?
भारत की ●दवाई, ●बाई, ●दाई, ●नाई,● लाई (मुरमुरा) ●तालाबों की काई,
● गणित की इकाई, दहाई,
●शादी से पहले आशनाई ●दूध की मलाई, ●हलवाई,●पुताई, ●ब्याही,●तरकाई,
●ठगियाई,●विदाई, ●जमाई, ●हाथापाई,●पराई के कारण लड़ाई,
●पिटाई, ●कुटाई, ●सुताई, ●ठुकाई, ●जुदाई, ●जेल से रिहाई, ●पुरानीआनापाई ●दर्द के बाद सिकाई,
परोसाई, ●गांव में हमाई-तुम्हाई, ●कमाई, ●दुहाई, ●रजाई, ●मताई (माँ), ●भौजाई, ●लुगाई की ●रुसवाई,
●ताई, ●राई (सरसों), ●बीपी हाईऔर ●शिरडी के साईं जगत प्रसिद्ध हैं। इनमें से अनेक शब्द दुनिया के किसी शब्दकोश में नहीं मिलते।
जिस भूमि में ●पीपल, ●तुलसी, ●बरगद,
●आंवला पूज्यनीय हो उस देेेश को आत्मनिर्भर बनने में बहुत वक्त नहीं लगेगा।अमृतम परिवार इस विश्वास के साथ
सभी देशवासियों, ग्रामवासियों तथा
धरती के सपूतों को आत्मनिर्भर होने
का आव्हान करता है।
अमृतम-रोगों का काम खत्म
करने के लिए हम भी कोशिश,
प्रयास और प्रार्थना कर रहे हैं।आत्मनिर्भरता से अब गांवों में ही बढ़ाने होंगे रोजगार के अवसर–
भारत गांव का देश है। पूर्व प्रधानमंत्री
चौधरी चरणसिंह कहा करते थे कि देश की तरक्की का रास्ता गांव के खेत-खलिहानों से होकर गुजरता है।
पूर्व पीएम चंद्रशेखर ने कहा था कि-ज्यादा शहरीकरण की चमक तन को तबाह कर मन कमजोर कर देगी। असल में फसल की ही आमदनी से ही आदमी ताकतवर और
तन्दरुस्त बन सकता है।
श्री नरेन्द्र मोदीने किसानों को प्रेरित किया कि अपने खेत की मेढों यानि बाउंड्री पर
आम, सागौन, अमरूद, गूलर, पीपल,
कचनार, जामुन, बादाम, अर्जुन, चन्दन
आदि के वृक्ष लगाएं। ये छाव, हरियाली और खुशहाली दोनो देंगे। गिलोय, शतावर, अपराजिता की बेल लगाएं।यह बात पूरी दुनिया मानती है कि
ग्रामीण भारत के लोग बहुत परिश्रमी,
मेहनती होते हैं।
बुद्धिमता में भी इनका कोई सानी नहीं हैं।
इन्ही की दम पर भारतीय संस्कृति जीवित है। शहरों में संस्कार का आकार भले ही छोटा हो गया है, लेकिन गांव में आज भी सामंजस्य बना हुआ है।केवल स्वदेशी अपनाओ-
गांव-देश को आगे बढ़ाओ….
सिखाना अब जग को जरूरी है,
किसी के न नोकर होना है।
मेरे देश की धरती उर्वरक है,
मेरी माटी में टनों सोना है।।
देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए
मनोवैज्ञानिक सलाहकारों से विशेष
मदद ली जा सकती है।
देशवासियों का मानसिक सम्बल, मनोबल, आत्मविश्वास कैसे बढ़ाया जाए, इस हेतु
भारत सरकार को साइकोलॉजी हॉटलाइन शुरू करना चाहिए।
इसमें ऐसी प्रेरणा हो कि लोग अपने लिए
जीना छोड़कर देश के लिए जियें।
वर्तमान में आपसी सदभाव, प्रेम,
अपनापन तथा नागरिक बोध की भारी कमी है।भारत में बुद्धिजीवियों का भंडार...
देश में बहुत से लोग ऐसे हैं, जो
अत्यंत इंटेलिजेंस होने के बाद भी
अवसादग्रस्त हो चुके हैं। ये वे लोग हैं
जिन्होंने जीवन का श्रीगणेश बहुत
जोश-होश से किया लेकिन सफल नहीं हो सके। इस वजह से ये युवा मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं में उलझ गए। ग्रामीण क्षेत्रो के इन ज्ञानी-ध्यानी युवाओं को यदि प्रेरित कर पुनः उपयोग करने की पहल की जाए, तो ये देश को दबंग ओर आत्मनिर्भर बनाने में सहायता कर सकते हैं।चलो शिव के सहारे, सारे कष्ट मिटेंगे तुम्हारे-
सृष्टि बनाना, चलाना और मिटाना यह
परमशक्ति की व्यवस्था है। इस कर्म को क्रियान्वयन करने हेतु त्रि-शक्ति महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली को परमेश्वर ने जिम्मेदारी सौंप रखी है।आत्मचिंतन से ही आत्मनिर्भरता आएगी….
इस वक्त जीवन और जीविका
आमने-सामने है।
जीवन जीने के लिए आत्मनिर्भरता चाहिए
तथा जीविका के साधन भी आत्मनिर्भर
होकर एकत्रित किये जा सकते हैं।
इन दोनों को पाने हेतु जीवटताऔर जिंदा दिल लोगों की जरूरत हैजीवटता अर्थ है कि-भय-भ्रम मिटाकर, बिना डरे कड़ी मेहनत करते हुए उद्देश्य की प्राप्ति करना। जिजीविषा का अर्थ है जीने का जज्बा। यह सब आत्मनिर्भरता से ही आएगा।
जीने की तमन्ना, तो बहुत है मुझे….
मगर कोई आता ही नहीं,
जिंदगी में जिंदगी बनकर।
ऐसी सोच सेल्फ डिपेंड बनने में बाधक है।
हमें हर हाल में आत्मनिर्भर बनकर
पारिवारिक, सामाजिक और व्यवसायिक
जीवन का नवनिर्माण करना है। अब खुद को नवनिर्वाचित सत्ता बनना पड़ेगा।
_____________________________________________________________________________प्रिय अमृतम सदस्य,
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____________________________________________________________महिलाएं ज्यादा आत्मनिर्भर….
चीन की एक महिला शोधकर्ता शेन यिनचिंग अपनी रिसर्च में बताया कि महिलाओं में आत्मनिर्भर होने के गुण अधिक होते हैं। जिसे सब अबला कहते हैं, वह सबकी बला यानि परेशानी मिटाने वाली सबला है। भारत में खास बात यह है कि- हर नारी बचपन से ही आत्मनिर्भर होने की तैयारी कर लेती है। भारतीय नारी विपरीत परिस्थितियों में घबराती नहीं, अपितु परिवार का सम्बल बढ़ देती है।शाही नाय बानो शायरा ने लिखा है कि-
न औरत प्रेम पुजारी,
न अब अबला नारी।
आज की स्त्री स्वतन्त्र,
आत्मनिर्भर-स्वेच्छाचारी।।किंतु कुछ महिलाओं से आग्रह है–वे यह अभिमान न पालें कि मुझे किसी की जरूरत नहीं पड़ेगी और इस भ्रम में भी न रहें कि सबको मेरी जरूरत पड़ेगी।
देश-दुनिया में प्रसिद्ध भारत के
10 प्रेरणादायक विद्वानों के वाक्य….१- काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रेणेता, संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीयआत्मनिर्भरता को क्रांतिकारी जोश मानते थे। श्री मालवीय का कहना था कि आत्मनिर्भर होने से मनोरोगों का नाश हो जाता है। मन में उत्पन्न नवीन विचारों को मूर्तरूप देने से मनोबल बढ़ता है।
२- देश के प्रथम गृहमन्त्री सरदार वल्लभ भाई पटेल कहा करते थे कि पराधीनता से शर्म-संकोच का भाव पैदा होकर मानसिक स्वास्थ्य गड़बड़ा जाता है।
३- इंदिरा गांधी के मुताबिक जिस देश के लोगों ने आत्मनिर्भरता पर ध्यान नहीं दिया, वे कालकवलित हो गए।
४- सन्त तुलसीदास का कहना है कि हमें आत्मनिर्भर होना ही चाहिए, जो व्यक्ति स्वाधीन नहीं होता है उसे स्वजनों से कभी भी सुख नहीं मिलता है। एक मनुष्य के लिए पराधीनता अभिशाप की तरह होता है। जो व्यक्ति पराधीन होते हैं वे सपने में भी कभी सुखों का अहसास नहीं कर सकते हैं।
बहुत से बिना पढ़े-लिखे विद्वान बड़े काम की बात कह गए, इनका संकलन नहीं है। बस इसे सुनते आये हैं। जैसे-
# आस पराई जो करे वो होतन ही मर जाए। अर्थात-जी दूसरे के भरोसे पर रहता है, वह अंत में भूखा ही मरता है।
एक भरोसा करी का,
क्या भरोसा परी का।
अर्थात- ब्याही हुई घरवाली सदैव सुख-दुख
में साथ निभाती है। दूसरी परी की तरह
बहुत सुंदर हो लेकिन भरोसे लायक नहीं होती।५- महान स्वतन्त्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक का नारा था-
स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है।
६- लालबहादुर शास्त्री ने जब
जय जवान-जय किसान का उदघोष किया, तो समूचा विश्व नतमस्तक हो गया था। दुनिया भारत की दोनों की ताकत से परिचित है।७- जयप्रकाश नारायण के शब्दों में….
आदमी की आत्मा जब आत्मचिंतन करने
लगती है बस, उसी क्षण से आत्मनिर्भरता आरम्भ हो जाती है। दूसरों के भरोसे रहने से आत्महीनता का अनुभव होता है।
८- श्री दीनदयाल उपाध्याय ने कहा..
आज हम स्वतन्त्र देश के निवासी हैं लेकिन
बहुत सी वस्तुओं पर हम अभी पराधीन ही हैं। स्वयं गाओ-गुनगुनाओ, खुद ही अपना उत्सव मनाओ! न सागर तुम पर धावा बोलेगा और न हीं वृक्ष आप पर हमला करेंगे।
ज्यादा बरसात भी मात्र रात में भयभीत
करती है। आत्मनिर्भर बनो!
देश का नवनिर्माण करो।९- स्वामी विवेकानन्द की यह प्रेरणा सबकी स्मृति में आज भी है-
हमें डरना किस्से है।
बाहरी कोई दुश्मन है नहीं।
उठो जागो और तब तक नहीं रुको,
जब तक लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाता।१०- श्री धीरूभाई अम्बानी ‘संस्थापक रिलायंस ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज’ ने बताया था
आत्मनिर्भर होने का सूत्र...
एक विचार लें और इसे ही अपनी जिंदगी का एकमात्र विचार बना लें। इसी विचार के बारे में सोचे, सपना देखे और इसी विचार पर जिएं। आपके मस्तिष्क , दिमाग और रगों में यही एक विचार भर जाए। यही सफलता का रास्ता है। इसी तरीक़े से अदना सा आदमी विशाल साम्राज्य का शासक बन जाता है। बड़े बड़े लोग तथा आध्यात्मिक धर्म पुरुष आत्मनिर्भरता से ही बनते हैं।
११- टाटा ग्रुप के बहुमूल्य रत्न-रतनटाटा…..के अनुसारएक समय में एक काम करो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकि सब कुछ भूल जाओ।
१२- उद्योगपति श्री घनश्यामदास बिरला इनका कहना था कि-पहले हर अच्छी बात का मजाक बनता है फिर विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार लिया जाता है।
१३- ओशो का सूत्र है….एक अच्छे चरित्र का निर्माण हजारो बार
ठोकर खाने के बाद ही होता है।१४- बिलगेट्स का ज्ञान.…
यदि क्षणिक सुख चाहते हो, तो गाने सुन लो! यदि एक दिन का सुख चाहते हो,
तो पिकनिक पर चले जाओ।
एक सप्ताह का सुख चाहते हो,
तो यात्रा पर चले जाओ।
1-2 महीने का सुख चाहते हो, तो शादी कर लो। कुछ सालों का सुख चाहते हो, तो धन कमाओ। लेकिन अगर पूरी जिन्दगी भर सुख चाहते हो, तो आत्मनिर्भर बनके अपने कार्य, व्यापार और परिवार से प्यार करो।खुशी के लिये काम करोगे तो खुशी नही मिलेगी लेकिन खुश होकर काम करोगे, तोखुशी और सफलता दोनों मिलेगी।बहुत से अनगिनत असफल लोगों के विचार भी विचारणीय हैं। जैसे-
१५– जीवन में ज्यादा दौलत होना जरुरी नहीं,
लेकिन दौलत में जीवन होना बहुत जरुरी है।१६– नाम और पहचान स्वयं की हो, भले ही छोटी हो।
१७– जो अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति
करने में समर्थ हो वही आत्मनिर्भर है।१८- अमृतम विचार….बिना स्वदेशी अपनाए जीवन बिना पते के लिफाफे की तरह है, जो कहीं नहीं पहुंच सकता।
१९- संस्कृत की सूक्ति है कि-
शोकस्थानसहस्राणि,
भयस्थानशतानि च।
दिवसे दिवसे मूढम्,आविशन्ति न पण्डितम्॥
अर्थात:- दुःख के हजारों कारण हैं, भय के भी सौ कारण हैं, ये दिन-प्रतिदिन पराधीन और मूर्खों को ही चिंतित करते हैं, बुद्धिमानों को कभी नहीं।
जेफ़ बेज़ोस अमेजन के संस्थापक ने कहा-
आपको ही भविष्य की और देखना होगा।उन्नति के लिए आत्मनिर्भरता आवश्यक है और पता लगाना होगा कि करना क्या है? क्योंकि किसी से शिकायते एवं सरकार से सहायता की उम्मीद करना कोई रणनीति नहीं होती है।कोरोनाऔर पत्नी में समानता….
कोरोना अब विश्व का कोना-कोना पकड़ चुका है, इसका रोना छोड़कर आत्मनिर्भर होने की कोशिश करो। यह बिल्कुल
बीबी की तरह है, शुरू में लगता है कि कन्ट्रोल हो जाएगी किंतु बाद में बीबी के तरीकों से उसके साथ ही जीने की आदत बनानी पड़ती है।
आत्मनिर्भर आदमी ये ६ सुख पाता है... संस्कृत के एक श्लोकानुसार-
अर्थागमो नित्यमरोगिता च
प्रिया च भार्या प्रियवादिनी च।
वश्यश्च पुत्रोऽर्थकारी च विद्या
षड् जीवलोकस्य सुखानि राजन्॥
अर्थात:-(1) धन की आय,
(2) नित्य आरोग्य,
(3) प्रिय और मधुर बोलने वाली पत्नी,(4) आज्ञाकारी पुत्र और
(5) धन देने वाली विद्या,(6) स्वालंबन होना।
यह इस पृथ्वी के छः सुख केवल आत्मनिर्भरता से मिलते हैं।सरकार यह नियम बना दे, कि-
भारत में निर्मित समान पर राष्ट्रीय ध्वज अंकित होना चाहिए, जिससे ज्ञात कि यह स्वदेशी वस्तु है। इससे ग्रामीण अंचल में अत्याधिक लाभ होगा। वैसे हमारी संस्कृति ‘वसुधैव कुटुम्बकम‘ और तेरा मङ्गल, मेरा मंगल सबका मङ्गल होय रे….की है।
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international-family-day/ भारत भी आर्थिक महाशक्ति बनकर विश्व को बता सकता है। क्योंकि अब हमारे लिए आत्मनिर्भर बनने का स्वर्णिम अवसर है।
आत्मनिर्भर बनने में कोई समस्या है, तो …हर पल आपके साथ हैं हम।
■ वैसे तो भारत में आत्मनिर्भरता बड़ी बात भी नहीं है, परन्तु समस्या जब खड़ी हो जाती है, जब न्यूज़ वाले समस्या के बारे में बताते हैं।और उसे ही हम सच मान बैठते हैं।
■ भारतीयों की परेशानी यह है कि वे, आधा वक्त परिवार को खुश रखने में और शेष समय पड़ोसियों,रिश्ते-नातेदारों एवं नेताओं को प्रसन्न करने में लगा देते हैं। अब आत्मनिर्भरता के लिए टाइम ही नहीं बचेगा।
■ कुछ लोगों का यह भी मानना है कि- आत्मनिर्भर, विकास का ही छोटा भाई है। परिवार नियोजन के हिसाब से दोनों में 5 साल का फर्क है। जैसे विकास आज तक पैदा नहीं हुआ वैसे ही हो सकता है कि-आत्मनिर्भरता की भ्रूण हत्या न हो जाये।
■ नमन भारत की नम्रता को....
भारतीय की विद्वता का लोहा विश्व मानता है। यहां लोटा पकड़ने के तरीके से लोग बता देते हैं कि इसका पानी किस काम आएगा।
■ मोहब्बत मंत्रालय की स्थापना-
सरकार चाहे, तो आत्मनिर्भर आयोग के साथ-साथ इश्क, प्यार, मोहब्बत, ब्रेकअप मंत्रालय बनाने पर भी विचार करे। आत्मनिर्भरता में यह भी बहुत बड़ा रोड़ा है। आधा से ज्यादा इश्क में इतने फिक्स हो चुके हैं कि वे सेल्फ डिपेंड की जगह सेल्फ हैंड हो चुके हैं।
आत्मनिर्भरता को आत्मसात करने वाले राजा की कहानी भी पढ़ लें।
सिंधिया परिवार की समझदारी....
सिंधिया राजघराना सदैव दूरदृष्टि परक रहा है। ग्वालियर शहर को आज से 100-सवा सौ साल पहले महाराजा माधो महाराज ने इंग्लैंड की तर्ज पर बसाकर आत्मनिर्भर बनाया था। आज हमारे यहां छोटी रेल लाइन तभी की है। यह आत्मनिर्भरता का आरम्भ था।
आत्मा का उद्धार और आत्मनिर्भरता
सिंधिया घरानेका मूल मंत्र है।
हरि, हरियाली और हर हर हर महादेव को समर्पित यह राजवंश अत्यंत त्यागी और उदारवादी रहा है। प्रजा की सुख-शांति इनका धेय्य तथा उदघोष रहा। देशभर में करीब 500 मंदिरों का निर्माण, 50 से ज्यादा धर्मशालाएं, बनारस, पुष्कर एवं मथुरा का सिंधिया घाट आदि अनेक पुराने मंदिरों का जीर्णोद्वार कराया।
मोती वाले राजा के नाम से विश्व विख्यात सर्वधर्म मानने वाले सूर्यवंशी राजवंश के वर्तमान मुखिया महाराजा ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया है। देश का यह अंतिम राजपरिवार है जिसकी वंश परम्परा में अवरोध नहीं आया है। अगली पीढ़ी के कुँवर आर्यमन सिंधिया अभी अपनी माँ महारानी प्रियदर्शिनी के संरक्षण में संस्कारित हो रहे हैं। “हरि अनंत हरि कथा अनंता” जैसे कहानी-किस्से अभी भी चर्चा का विषय हैं।
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