अगर जीवन में बहुत शत्रु हैं तो किस प्रकार से पूजा कर के उनसे मुक्ति पाई जा सकती है?

  • अघोर सहिंता के मुताबिक अन्तिक, शारीरिक और मानसिक शत्रुओं का नाश पूजा द्वारा किया जा सकता है। लेकिन बाहरी दुश्मनों के सर्वनाश के लिए अघोरमंत्र का जाप विशेष लाभदायक रहता है।

अमृतम पत्रिका, ग्वालियर से साभार

  • शत्रु विनाश के लिए अघोरी उपाय अत्यंत कारगर हैं। तन्त्र महोदधि ग्रन्थानुसार कुछ तांत्रिक अनुष्ठान करने से शत्रु काल कवलित हो जाते हैं।

सरल तांत्रिक उपाय

  • एक कांच की शीशी में ५०० ग्राम शुद्ध मधु, मुलेठी पाउडर 5 ग्राम, एक पान के पत्ते का रस, शुद्ध ब्राह्मी रस 2 मिलीलीटर, (ML) 5 तुलसी के पत्ते का रस मिलाकर Madhu Panchamrit बनाएं।

अथवा

  • अगर घर Madhu Panchmrit नहीं बना सकें, तो amalaearth, अमेजन, amrutam की वेबसाइड से इसी फार्मूले से निर्मित 500 ग्राम मधु पंचामृत मंगवाकर – मंगलवार, शनिवार, शुक्रवार, रविवार, चारों दिन दुपहर 11.38 से 12.52 के बीच निम्नलिखित प्रयोग करें।
  • एक पान का पत्ता चोंच वाला लेकर चिकने हिस्से पर सिंदूर घी युक्त से पत्ते पर दुश्मन का नाम लिखकर नीचे ।।ॐ फट्ट स्वाहा।। लिखें।
  • ओर इस पान के पत्ते को madhu panchamrit की शीशी में डालकर ढक्कन बन्द कर शीशी के चारों तरफ 5 दीपक आटे के देशी घी वाले ओर 31 दीपक rahukey oil के जलाकर शत्रु की बुद्धि ठीक करने के प्रार्थना करें अथवा शत्रु नाश की कामना करें तथा जलते हुए दीपक को देखते हुए

।।ॐ शम्भूतेजसे नमः शिवाय मन्त्र।।

पांच 5 माला जपें।

  • उपरिक्त मधु शीशियों को 31 दिन तक घर या मंदिर के नैऋत्य कोण में रखकर रोज एक दीपक सरसों के तेल का जलाएं।

(नैऋत्य कोण दक्षिण-पश्चिम के मध्य स्थान को कहते हैं)

  • ध्यान रहे यह प्रयोग घर के मंदिर या अन्य किसी भी शुद्ध स्थान पर करना श्रेष्ठ रहता है। पूजन से पूर्व गंगाजल छिड़के।
  • अगर 31 दिन के पूर्व आपको अपने दुश्मन के अनिष्ट की सूचना मिल जाये, तो उसी दिन मधु का विसर्जन कर आएं। विधान नीचे लिखा है।

विशेष सावधानी

1. प्रयोग से पहले तीन बार गहरी श्वांस लेकर नाभि तक ले जाकर धीरे धीरे छोड़ें।

2. पूजन के दौरान निराहार रहें।

3. मौन होकर पूजन करें।

4. मन को शांत रखें।

5. एक बार पूजा में बैठकर उठे नहीं

6. 31 दिन बाद शीशियों को ले जाकर किसी कुए, तालाब या जल में मधु को प्रवाहित करें अथवा 31 रोटी बनाकर इस मधु में दही मिलाकर नंदी, गाय और घोड़े को खिलाएं।

7. अगर नदी, तालाब के किनारे विसर्जन करें, तो वहीं स्नान करें अथवा घर लौटने के बाद स्नान कर एक दीपक जलाकर 5 माला जाप करते हुए ईश्वर का धन्यवाद देवे।

8. सभी पूजा नियमानुसार ओर समय के अनुरूप करें।

Amalaearth से साभार

RAAHUKEY oil वैदिक फार्मूला

Product Details

  • Gulab Rosa sp. 500 mg, Badam Prunus amygdolus 0.5 ml, Rai Brassica juncea 500 mg, Til Sesamum indicum 3 ml, Erand tail Ricinus communis 1 ml, Ratan jot Geranium wallichianum 1 ml, Tarpin tail Pinus longifolia 0.1 ml, Sugandhit tail Q.S.

How To Use

  • Preferable that a Lamp with one or five faces are used and all the five wicks are lit, where as One signifies the ultimate Reality and Five, the Panchabutas and five Tanmatras. If a single wick is lit, it should face either the East or North. The Lamp should be adorned with Kumkum and Chandan

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