1. यह जानकारी अमृतम पत्रिका अगस्त 2008 अंक से ली जा रही है। कुछ अंश अमृतम कालसर्प विशेषांक से भी लिए हैं।
2. आप जरूर एक पूण्य आत्मा हैं। ज्योतिष महूर्त चिंतामणि के अनुसार रात 2.11 से 3 .१९ बजे के बीच का समय धरती में केतुकाल होता है। इस दौरान पूण्य पितृ गण यहीं निवास करते हैं।
लगभग सुबह 3.35 से ब्रह्म मुहुर्त आरम्भ होता है।
3. आपके पितृ आपको जगाते हैं, ताकि आप भजन करके अपना ओर इस लोक का कल्याण कर सकें।
4. काल चिन्तामणि के मुताबिक इसी समय सृष्टि में सत्ता परिवर्तन होना शुरू होता है और सभी पितृ अपनी शक्ति, सपन्नता भगवान शिव के हाथ सौंप कर पाताल लोक या आकाश लोक में विचरण करने लगते हैं।
5. महाकाल ने ब्रह्मांड में सभी के काल यानी सायं, नियम निर्धारित कर दिये हैं।
6. रात्रि के इस काल को केतु काल इसलिए भी कहते हैं क्योंकि केतु ग्रह के अधिपति स्वयम केतु ही हैं।
7. यह विषय बहुत बड़ा है। इसलिए इसे यहीं समाप्त कर आपसे इतना निवेदन करेंगे कि रात को जब भी अंख खुल जाए, तो निम्नलिखित मन्त्र की अधिक से अधिक माला जपकर
!!शिव अर्पणं मस्तु!! कहकर अपने या संसार के समस्त पितृ गणों को अर्पित कर देवें।
ॐ शम्भूतेजसे पितरेश्वराय नमःशिवाय
बेहतरीन ओर रोचक जंकसरी के लिए amrutam पर पढ़ सकते हैं।
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