एक अद्भुत आयुर्वेदिक औषधि, जो
~11~ तरह से फायदेमंद है-
अर्श से होते हैं अनेकों नुकसान….
■ पाइल्स के कारण मन-मस्तिष्क का
संतुलन बिगड़ जाता है।
■ बवासीर मानसिक स्वास्थ्य को बुरी
तरह प्रभावित कर देता है।
■ बवासीर-बर्बाद कर दे-तकदीर…
पाइल्स से पीड़ित पुरुष या स्त्री
चलने-फिरने में असहजता अनुभव
करते हैं।
बवासीर होने के कारण.…
अर्श रोग की परेशानी होने का मूल
कारण कब्ज है, जो लम्बे समय तक
बनी रहती है। कुछ समय बाद कठोर
मल निकलता है। रोगी को पाइल्स
का पता जल्दी नहीं चलता”
“■ गर्मी या बारिश के मौसम में अंजीर्ण,
कब्ज/कॉन्स्टिपेशन, अपचन की तकलीफ
लगभग सभी लोगों को होती है।
बवासीर पाइल्स, अर्श और महेशी ये
सब पाइल्स के ही विभिन्न नाम हैं।
अंग्रेजी में बवासीर को हेमोराइड्स
(Hemmorhoids) भी कहतें हैं।
आयुर्वेदिक निघण्टु ग्रन्थ में
8/आठ तरह के पाइल्स का उल्लेख है।
अर्श बीमारी की वजह से उत्पन्न शरीर में
होने वाले शसिरिक परिवर्तन अर्थात पैथोफिज़ियोलॉजी का परिचय, चिह्न,
लक्षण, कारण जाने? अर्श का सावधानियाँ एवं आयुर्वेदिक उपचार क्या है।
अर्श मिटाना सम्भव है....
पाचनतंत्र, कब्ज या पेट की खराबी के
कारण होने वाले बवासीर का इलाज
करने के लिए रोज दो से तीन चम्मच
दूध या पानी से तथा साथ में
की 2 गोली से 3 महीने तक लेना
हितकारी है। रोज रात को गूदा द्वारा पर
का फोंहा लगाकर सोने से पुरानी से पुरानी
बवासीर जड़ से ठीक हो सकती है।
पाइल्स की बीमारी....
बवासीर या पाइल्स या मूलव्याधि
गुदा की एक ख़तरनाक बीमारी है।
बवासीर अंदर या बाहर/वाह्य तथा
आंतरिक यानि इंटरनल या एक्सटर्नल
पाइल्स अलग-अलग रूप में गुदा के
अंदर या फिर, बाहर की तरफ उपस्थित
हो सकता है।
बवासीर के मुख्य 4 प्रकार हैं–
【1】अंदरूनी बवासीर
(internal Hemmorhoids)
यह गुदा के अंदर होने वाली बवासीर है
मल के कड़े/कठोर या टाइट मल विसर्जन
से मलद्वार अर्थात लैट्रिन की जगह पर मस्से
हो जाते हैं। आंतरिक अर्श बहुत ज्यादा
नुकसान या तकलीफ नहीं देती है अगर
आहार अच्छा, रसीला हो।
यह समय के साथ ठीक हो जाती है।
【2】 बाह्म बवासीर
जहां से मल त्याग किया जाता है, शरीर
के उस निचले स्थान यानि मलद्वार या
गुदा के बाहरी हिस्से में मस्से पनपने लगते
हैं। कुछ समय बाद समय मलद्वार पर छोटे-छोटे, गोल-गोल मस्से की तरह गांठ बनने
लगती है, जिससे मल विसर्जन के समय
भयंकर दर्द होता है।
यह पाइल्स शुरुआत में तो इतनी तकलीफ
नहीं देती लेकिन जैसे-जैसे यह बढ़कर मस्से कठोर होते जाते हैं, तो मरीज को परेशानी
भी बढ़ती जाती है।
【3】रक्तस्रावी बवासीर प्रोलैप्सड पाइल्स
[prolapsed Hemmorhoids]
जब अंदरूनी बवासीर बढ़ने लगती है,
तो वह धीरे-धीरे बाहर की तरफ आने
लगती है इस स्थिति को प्रोलेप्सड बवासीर
कहा जाता है।
【4】 खूनी बवासीर
(thrombased hemmoroids)
खूनी बवासीर यहां सभी प्रकार के बवासीर
में सबसे जटिल बवासीर का प्रकार माना
जाता है। रक्तार्श रोग में मल त्यागते वक़्त
जब खून निकलता है, तो उसे खूनी बवासीर कहते है।
ये खून इतना अधिक होता है कि रोगी इसे
देख कर रोगी डर जाता है। बाहरी बवासीर
होने पर मस्से फूलकर सूज जाते हैं तथा
मोटे हो जाते हैं, जिससे इसमें दर्द, जलन
और खुजली भी होने लगती है।
आमतौर पर यह गुदा व मलाशय में
मौजूद नसों का “वैरिकोज वेन्स”
रोग होता है।
बवासीर विकार मलाशय के अंदरुनी
हिस्से या गुदा के बाहरी हिस्से में
हो सकता है। जिस कारण मौजूद नसों
में सूजन व तनाव आ जाती है।
क्योंकि इसमें रक्त स्राव होता है तथा
रक्त स्राव होने से व्यक्ति कमजोर हो जाता
है तथा ऐसा होने से व्यक्ति बहुत तकलीफ
में आ जाता है। अगर मल त्याग के समय
खून आए, यह चिन्ता का विषय है।
अर्श ला देता है-फर्श पर…
देश में ३१% लोग पाइल्स से बुरी तरह
पीड़ित हैं जिसमें 16 फीसदी महिलाएँ
शामिल हैं। पाइल्स की समस्या का सामना करने वाले बहुत से स्त्री-पुरुष को लज्जा
आती है। शर्म के कारण इसलिए अपनी
यह तकलीफ किसी से साझा नहीं कर पाते। अक्सर महिलाएं, तो पाइल्स तकलीफ
को बहुत समय तक झेलती रहती हैं।
किसी को बता नहीं पाती।
इनके सूखने या ख़रीश होते समय इन
मस्सों में बहुत दर्द होकर खून आने लगता है।
बवासीर-खराब करे तकदीर बवासीर की तकलीफ के कारण हम मन से कोई काम
नहीं कर पाते, इस वजह से भाग्यशाली
लोगों की भी तकदीर खराब हो जाती है।
पाइल्स की बीमारी से रोगी दुर्भाग्य का
शिकार हो जाता है।
अर्श-बवासीर का आयुर्वेदिक उपचार...
पाइल्स की गोल्ड माल्ट का 3 महीने
नियमित सेवन कर बवासीर की बीमारी
से बच सकते हैं –जानिए कैसे
पाइल्स की गोल्ड माल्ट के ~११~ फायदे :-
{१} मेटाबोलिज्म करेक्ट करता है।
{२} भोजन को पचाता है.
{३} पाचन तन्त्र को ठीक करता है
{४} आंतों को चिकनाई देता है
{५} उदर की खुश्की मिटाता है।
{६} सुबह समय पर पखाना साफ लेकर
एक बार में ही पेट साफ करता है।
{७} सूखी और खूनी एवं वातज, कफ़ज,
पित्तज आदि आठ तरह की पाइल्स को
जड़ से मिटा देता है। मस्सों को सुखाकर
मल के द्वारा गिरा देता है।
{८} अर्श रोग से उत्पन्न रक्ताल्पता पैदा करने वाली कोशिकाओं शक्तिदायक है।
{९} खून बढ़ाने/रक्तवृद्धि में सहायक है।
{१०} कब्जियत/कॉन्स्टिपेशन नहीं होने देता
{११} अर्श के मस्सों को मुलायम करता है।
आयुर्वेद में पाइल्स का शर्तिया इलाज है :-
सूखे, कठोर एवं कड़े मल को
ढ़ीला करने वाली आयुर्वेद का असरकारी
जो कि हर्बल जैम/अवलेह/चटनी के रूप
में तैयार किया गया है। इसका नियमित
3 महीने तक सेवन करें।
पाइल्स की गोल्ड माल्ट मल को गलाकर
ढ़ीला कर देता है, जिससे मल विसर्जन
आसानी से बिना किसी दर्द या तकलीफ
के होने लगता है।
बवासीर नाशक 35 जड़ीबूटियों के
काढ़ा, अर्क/सत्व- रस से निर्मित है।
पाइल्स की गोल्ड माल्ट को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए इसमें अभया
मुरब्बा, सेव का मुरब्बा, त्रिफला, शुण्ठी,
आदि का समावेश किया है।
प्राकृतिक ओषधियों में दाख/मुनक्का/द्राक्षा,
हरड़ एवं गुलाब के फूलों से घर की बनी हुई देशी गुलकन्द, सनाय, अमलताश, नागकेशर बवासीर/पाइल्स को जड़ से मिटाने वाली सर्वश्रेष्ठ हर्बल ओषधि हैं।
पाइल्स से परमानेंट मुक्ति के लिए
पाइल्स की पीड़ा से निराश मरीज
ध्यान देवें-
यदि आप अनेक प्रकार की दवाइयों
का उपयोग करके निराश हों चुके हों,
तो खाने के लिये
और गूदा के मस्सों पर लगाने के लिए
काया की बॉडी ऑयल
का एक बार इस्तेमाल अवश्य करके देखें।
ऑनलाइन ऑर्डर देने के लिए
एक अदभुत ओषधि तेल का उपयोग करें
और कब्ज न होने दें, तो बवासीर की बीमारी से बच सकते हैं :–
आयुर्वेदिक इलाज-
@ हमेशा मल द्वार या गुदा को
चिकना बनाये रखें। इसके लिए नीचे
लिखे तेलों का मिश्रण कर लगाएं।जैसे-
【1】चंदनादि तेल, 20 ml
【2】बादाम तेल 5 ml
【3】जैतून तेल 5 ml
【4】अमृतम कुम-कुमादि तेल १/२ ml
सबको मिलाकर रोज रात में सोते समय
गुदा द्वार में रुई का फोहा यानी रुई को
उपरोक्त तेल में भिगोयेन और मल द्वार
पर लगाकर सो जायें।
यह उपाय ७/सात
बना देता है।यदि आप तैयार या बना हुआ ओषधि
तेल चाहते हैं, तो अमृतम
ऑनलाइन मंगवा सकते हैं।
काया की ऑयल से पूरे शरीर की रोज मालिश भी करें। यह 5/पांच तरह की त्वचा तकलीफों को दूरकर शरीर को सुन्दर बनाता है।
बवासीर के घरेलू उपचार…
जो बवासीर का रोग, सब भोग नष्ट कर
देता है इसे मिटाने हेतु एक प्राकृतिक
उपाय अपनाकर देख सकते हैं —
¶~ नींबू को ठन्डे दूध (धारोष्ण दूध) के साथ
सुबह सुबह खाली पेट पीला दें याद रखे फ्रिज का ठंडा दूध इस्तेमाल न करें ।
¶~ 5 ग्राम तिल माखन में मिलाकर दुपहर खाने से पहले ले ।
¶~ अमृतम Piles key gold malt
एक या दो चम्मच दो,तीन बार तीन माह तक
लेने से खूनी,वादी अर्श का नाश होता है ।
¶~ रोज रात में सोते समय काया की तैल का फोहा गुदा में लगाकर सोये ।,
बवासीर कई कारणों से हो सकता है। यह मल त्याग करने के दौरान अधिक जोर लगाने के कारण भी हो सकता है या गर्भावस्था के दौरान गुदा की नसों में दबाव बढ़ने के कारण भी हो सकता है।
बवासीर के लक्षण भी अलग-अलग प्रकार के हो सकते हैं, जो थोड़ी बहुत खुजली या तकलीफ से लेकर गुदा से खून आना या गुदा का हिस्सा बाहर की तरफ निकल जाना आदि तक हो सकते हैं। बवासीर के लक्षण इसकी गंभीरता पर निर्भर करते हैं।
बवासीर को बिना इलाज किए छोड़ दिया जाए, तो इससे लंबे समय तक सूजन व लालिमा से संबंधित स्थिति बन जाती है और अलसर होने की संभावना बढ़ जाती है।
पाइल्स क्यों होता है?
गुदा के चारों तरफ की नसों में दबाव आने के कारण उनमें खिंचाव आ जाता है जिससे उनमें सूजन आ जाती है या वे उभर जाती हैं। नसों में सूजन के कारण ही बवासीर विकसित होता है। मलाशय के निचले हिस्से में निम्न कारणों से दबाव बढ़ता है।
मल त्याग करने के दौरान जोर लगाना
लंबे समय से दस्त या कब्ज होना
टॉयलेट में अधिक लंबे समय से बैठे रहना
उपरोक्त सभी कारक गुदा क्षेत्र में खून के बहाव को प्रभावित करते हैं, जिसके कारण रक्त वाहिकाओं में दबाव बढ़ने लग जाता है और इस प्रकार उनका आकार बढ़ने लग जाता है। इसके अलावा मल त्याग करने के दौरान अधिक जोर लगाने से गुदा की नली में दबाव बढ़ जाता है, स्फिंक्टर (खुलने व बंद होने वाली मांसपेशियां) की मांसपेशियों में दबाव पड़ने के कारण बवासीर हो जाता है।
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