इंसान के अंदर ही उसका मान, सम्मान, शान छुपी है। शिव है, तो इंसान शमशान से दूर है।
इंसान के अंदर ही सारी शक्तियां का वास होता है। यत पिंडे, तत ब्रह्मांडे के मुताबिक जो भी कुछ इस संसार में दिखता है। वही सब कुछ हमारे अंदर है।
श्रीमद्भागवत गीता के चौथे, पांचवे अध्याय का अध्ययन करे, तो समझ आयेगा।
इंसान का मस्तिष्क शिवलिंग की तरह होता है। इस जीर्ण शीर्ण शिवालय को जागृत कर व्यक्ति परमहंस बन सकता है। स्वयं को पहचानना सबसे बड़ी खोज है। एक बार ये रहस्य समझ आ जाए, तो रोज रोज की खोज खत्म हो जाएगी और जीवन मौज में गुजरेगा।
भगवान भोलेनाथ के द्वारा लीज पर दिया गया शरीर क्या चीज हो सकता है। ये बीज भी शिव का है। इस नाचीज़ देह के बारे में कोई क्या बता सकता है।
ईश्वर जिस पर भी रीझ जाए, वही जबरदस्त चीज हो सकता है अन्यथा सीज होने में समय नहीं लगता।
महादेव की कृपा के लिए हमारे महर्षियों ने तीज और चतुर्दशी का व्रत करके अनेक सिद्धियां पाईं।
प्लीज शिव को ही सत्य माने, तभी जीवन सुंदर होगा। सत्यम शिवम सुंदरम ही प्रकृति का सच्चा स्वरूप है।
अगर कभी ज्यादा गुस्सा क्रोध या खीज आए, तो ..।।ॐ शंभूतेजसे नमः शिवाय।। का जाप करें और चमत्कार देखें।
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