ठोकरों से अनुमान नहीं, अनुभव आते हैं…
जिसके पास अनुभव हैं-वही सदैव प्रसन्न भव है।
सही बात है-अक्ल बादाम खाने के साथ-साथ ठोकरें खाने से भी आती है। बादाम को आयुर्वेदिक निघण्टु ग्रन्थ में वातज भी कहा गया है।
4 बादाम रोज खाने से व्यक्ति वात विकार से मुक्त रहता है।
बादाम बालों के विकारों को भी दूर करता है।
दाम अधिक होने के कारण भी बादाम का महत्व है।
बादाम ऊर्जा-शक्ति का देह में स्त्रोत है।
संसार की सबसे खतरनाक नदी है-भावनाएं! सब बह जाते हैं इसमें।
इसमें गिरने वाला, ठोकर खा-खाकर ही महासागर तक पहुंच पाता है।
अच्छा भाव-स्वभाव नहीं रखेंगे, तो जीवन भर अभाव भी बना रहेगा।
इसलिए ठोकर खाओ और आगे बढ़ो।
यही सबसे अच्छी नीति है।
श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार कर्म अनुसार आपके भाग्य में लिखा है, वह एक दिन जरूर मिलेगा। बस, भरोसा रखो।
आप मालिक बने या नौकर, ठोकर, तो पग-पग पर खाना ही पड़ेगीं।
लोग… ठोकर देकर इंसान को जौकर बनाकर भारी खुश होते हैं।
यह प्रकृति का नियम है।
दुनिया को ठोकरों में रखते हैं वे लोग,
जिन्होंने कई बार खुद ठोकरें खाइ हैं।
अब रही चर्चा ठोकर कि तो ठोकरें खाने वाला इंसान एक दिन ठाकुरजी बन जाता है।
भगवान कृष्ण, राम और अनेकों वीर पुरुष जैसे-चाणक्य, चन्द्रगुत मोरी, वीर शिवाजी, डॉ हेडगेवार, लोकमान्य तिलक, मदनमोहन मालवीय, गुरु नानकदेवजी आदि अनेकों उदाहरण हैं,
जो आज ठाकुर जी की तरह पूजनीय हैं।
ठोकर खाने के बाद जो आत्मबल आता है, वह दुनिया की किसी चीज से नहीं मिलता।
जिसने भी जीवन में ठोकरें नहीं खाई,
उसकी जिंदगी भी कभी राह पर नहीं आई।
घाटा सबसे बड़ा गुरु है…
एक बात और ध्यान देने योग्य है कि घाटा सबसे बड़ा गुरु है। घाट या नुकसान उठाने के बाद ही व्यक्ति विद्वान बन पाता है जिसने घाटा सहन करना सीख लिया वही गुरु बन जाता है।
मानवता की सेवा इनका मुख्य उद्देश्य व धर्म है।
सीधी सी बात यही है कि यदि ठाकुरजी की तरह पूज्यनीय बनना है, तो ठोकर खाओ और आगे बढ़ो।
किसी ने सही कहा है कि-
दुनिया की हर चीज,
ठोकर खाने के बाद टूट जाती है।
एक कामयाबी ही है, जो
ठोकरों के बाद मिलती है।।
एक नए लिखा है….
उस शख्स को कोई गिरा न पाया।
जिसे ठोकरों ने चलना सिखाया।।
अंत में बस इतना कहना चाहेंगे कि-
सफलता की राह में तुझे,
हस्ती को मिटाना होगा
देखना फिर एक दिन, तेरी
ठोकर में ज़माना होगा।।
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