त्रिफला का टेबलेट क्या उतना ही उपयोगी है जितना त्रिफला चूर्ण है? त्रिफला का टेबलेट खाने का क्या नियम है?

जाने- अमृतम त्रिफल चूर्ण के 22 चमत्कारिक फायदे और उपयोग—

तीन औषधीय फलों के समिश्रण से निर्मित होने के कारण इसे त्रिफल योग या त्रिफला कहा गया है। यह लाखों वर्ष पुराना एक प्राकृतिक अमृतम योग है।

त्रिफला चूर्ण की एक बार में 8 से 10 ग्राम मात्रा लेने का विधान है। टेबलेट में गोंद मिलाकर गोली बनाई जाती है और टेबलेट 500 मिलीग्राम की होने से एक बार में इसकी 4 से 6 गोली लेने से ही असर होगा। इसलिए उचित होगा कि चूर्ण का सेवन करें, टेबलेट का नहीं।

त्रिफला का सेवन करने से हृदय रोग, पेट की बीमारियां, मधुमेह और उच्च रक्तचाप में आराम मिलता है।

अच्छे फायदे के लिए घर में ही बनाएं-त्रिफला

अच्छा होगा कि त्रिफला चूर्ण घर पर बनाएं। आयुर्वेदिक ग्रन्थ भावप्रकाश निघण्टु, रस तन्त्र सार, निघण्टु, आयुर्वेद सार संग्रह, चमत्कारी वणौषधि आदि ग्रन्थों में त्रिफला के विभिन्न योग, फार्मूले लिखें हैं, लेकिन अपने अनुभव के आधार पर आप निम्न तरीके से त्रिफला चूर्ण बना सकते हैं। त्रिफला तीन ओषधियों से बनता है-

【१】सूखा आँवला

【२】छोटी हरड़ या बाल हरड़

【३】बहेड़ा सभी समभाग

विशेष ध्यान देंवें—

बाजार में उपलब्ध त्रिफला चूर्ण बड़ी हरड़ युक्त ही मिलता है, जबकि आयुर्वेदिक शास्त्रों में छोटी या बाल हरड़ मिलाने का विधान है।

बड़ी हरड़ एवं छोटी हरड़ दोनों के भाव में 10 गुना का अंतर है। बड़ी हरड़ 40/- रुपये किलो मिलती है, इसमें गुठली बड़ी होती है। बड़ी हरड़ में लगभग 60 फीसदी से ज्यादा गुठली होती है।

बाजार में बिकने वाला त्रिफला चूर्ण बड़ी हरड़ से बनने के कारण सस्ता रहता है। यह उतना असरकारी नहीं होता।

शुद्ध हरड़ की पहचान कैसे करें–

नवा स्निग्धा घना वृत्ता–तच्छेअष्ठमुच्यते

(आयुर्वेद द्रव्यगुण विज्ञान)

अर्थात-छोटी नई हरड़ चिकनी, घनी, चपटी या गोल हो, वजन में भारी हो। जल में डालने पर छोटी हरड़ डूब जाए।

(बड़ी हरड़)

हरड़ को चबाकर खाने से भूख बढ़ती है। पीसकर खाने से दस्त साफ लाती है। भुजंकर खाने से त्रिदोष को सन्तुलित करती है।

छोटी हरड़ में गुठली बिल्कुल भी नहीं होती। इसलिए त्रिफला घर में बनाकर उपयोग करने से ज्यादा लाभ होगा। यदि आप चाहें, तो अमृतम त्रिफला चूर्ण ऑनलाइन मंगवाकर का उपयोग कर सकते हैं।

अमृतम त्रिफला चूर्ण का सबसे बेहतरीन गुण है कि यह कब्ज से राहत देकर पेट को मुलायम रखता है।

घर में त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि—

आंवला, छोटी हरड़ तथा बहेड़ा तीनो को समभाग लेकर अच्छी तरह साफ कर, पहले दरदरा कर लेवें, फिर इसे 2 से 3 दिन सुबह की हल्की धूप में सुखाएं। तीन दिन बाद सभी को महीन व बारीक पीसकर रख लें।

त्रिफला पांच प्रकार के रस या स्‍वाद से युक्‍त है। इसका स्‍वाद मीठा, खट्टा, कसैला, कड़वा और तीखा होता है। इसमें केवल नमकीन स्‍वाद नहीं होता है।

जाने अमृतम त्रिफला चूर्ण

Amrutam triphala churn के फायदे—

【1】त्रिफला चूर्ण का सेवन अनेक प्रकार से किया जाता है। इसे रात को 2 चम्मच 100 ग्राम पानी में गलाकर सुबह छानकर या बिना छाने भी लिया जा सकता है।

【2】आंतों में रूखापन हो या चिकनाहट हो, तो त्रिफला चूर्ण 2 चम्मच में 10 मुनक्के डालकर रात भर गलने दें, सुबह इसका आधा पानी उबालकर खाली पेट लेवें।

【3】जिन लोगों को पेट में गैस की शिकायत होने पर त्रिफला चूर्ण गुड़ के साथ लेना हितकारी है।

【4】लिवर में खराबी हो, तो त्रिफला चूर्ण 2 चम्मच एवं घर के सभी मसाले, दालचीनी, 12 मुनक्के, सहित मिलाकर रात को 200 ml पानी में किसी मिट्टी के पात्र में रात भर गलने दें। सुबह 20 ग्राम गुड़, सेंधा नमक 3 ग्राम मिलाकर अच्छी तरह उबालकर चटनी बनाएं और 100 ग्राम दूध से सुबह खाली पेट चाटकर 2 घण्टे पानी न लिये।

ऐसे ही रात को खाने से पहले लेवें। यह उपाय 1 महीने लगातार करें।

【5】सर्दी-खांसी जुकाम से मुक्ति के लिए समभाग त्रिकटु चूर्ण मिलाकर अमृतम मधु पंचामृत के साथ चाटकर ऊपर से गुनगुना पानी पिएं।

【6】आंखों की खराबी, सिरदर्द कम करने के लिए किसी लोहे के बर्तन में 25 ग्राम त्रिफला 200 ml पानी में 24 घण्टे गलने दे, फिर इसे सिर में लगाकर सुबह की धूप में 1 घण्टे बैठकर सुखाएं।

【7】बालों को काला करने के लिए एक चम्मच त्रिफला चूर्ण में अमृतम भृङ्गराज चूर्ण, एक चम्मच दोनों को लोहे की कढ़ाही में 200 ml पानी में गलाये, फिर इसे दूसरे दिन इतना उबाले कि एक तिहाई यानि 70 ml रहने पर काढा छानकर इस काढ़े में 20 ml नारियल तेल, लोंग, कालीमिर्च, सेंधा नमक 2–2 ग्राम मिलाकर कुछ देर और पकाकर ठंडा कर अपने सूखे बालों में 24 घण्टे तक लगाकर छोड़े।

दूसरे दिन अमृतम कुन्तल केयर हर्बल शेम्पो या अंर्तम भृंगराज हर्बल थेरेपी से बाल धोएं। यह प्रयोग तीन माह करने से बालों में कालापन आने लगता है।

【8】पेट में कीड़े हो, पेट में दर्द बना रहता हो, तो रात को 2 चम्मच त्रिफला, 3 ग्राम अजवायन, 5 ग्राम सौंफ, 8 मुनक्के 200 ML पानी में रात को गलाकर, सुबह कालानमक मिलाकर खाली पेट लेवें। 7 दिन तक।

【9】त्रिफलाआंखों में होने वाली सूजन (Opthalmia) को भी कम कर सकता है।

【10】दंतरोग दूर कर बत्तीसी मजबूत बनाता है ओर मसूड़ों से बहते खून को कम कर सकता है।

【11】उच्च रक्तचाप या मुधमेह के बढ़ते स्तर को कम करने के लिए तीन ग्राम अमृतम त्रिफला चूर्ण भोजन के एक घण्टे पहले दूध के साथ कर लेना हितकारी रहता है।

【12】आयुर्वेद में त्रिफला को मुख्‍य रूप से ‘रसायन’ गुणों के लिए जाना जाता है क्‍योंकि यह मिश्रण शरीर को ऊर्जा-उमंग, शक्‍ति प्रदान कर, स्‍वस्‍थ बनाए रखने में बहुत असरकारक है।

【13】त्रिफला चूर्ण शरीर के सभी अंदरूनी संक्रमणों से लड़कर रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।

【14】त्रिफलाआंखों में होने वाली सूजन (Opthalmia) को भी कम कर सकता है।

【15】दंतरोग दूर कर बत्तीसी मजबूत बनाता है ओर मसूड़ों से बहते खून को कम कर सकता है।

【16】अमृतम त्रिफला चूर्ण को रोज सुबह शाम अमृतम कीलिव माल्ट के साथ मिलकर एक माह तक लेने से पेट से संबंधित अन्य समस्याओं जैसे- पाचनतंत्र की खराबी, पुराने जिद्दी उदर रोग, वायुविकार, गैस की समस्या, कब्ज और इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (Irritable Bowel Syndrome) को भी जड़ से मिटा देता है।

【17】त्रिफला पांच प्रकार के रस या स्‍वाद से युक्‍त है। इसका स्‍वाद मीठा, खट्टा, कसैला, कड़वा और तीखा होता है। इसमें केवल नमकीन स्‍वाद नहीं होता है।

【18】त्रिफला में मौजूद आंवला विटामिन-सी एनीमिया के मरीजों के लिए लाभकारी रहता है।

【19】त्रिफला शरीर के विषैले दुष्प्रभाव को दूर करने में चमत्कारी है यानी डिटॉक्सीफाई कर सकता है।

【20】त्रिफला देह के तापमान को सन्तुलित करने में मुख्य भूमिका निभाता है।

दस्त में भी फायदेमंद माना जाता है।

【21】त्रिफला यकॄत रोगों को पनपने नहीं देता तथा लिवर, हृदय व फेफड़ों को रोगों से बचाता है।

【22】त्रिफला बुढापा आने से रोकता है एवं चेहरे व त्वचा में चमक लाने में सहायक है।

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