गुड़ एक अमृतम् औषधि है। गुड़ गुणों की खान है। यह उदर के गुड़ रहस्यों-रोगो का नाशक है। आयुर्वेद ग्रन्थ वनस्पति कोष, आयुर्वेदिक चिकित्सा, सुश्रुत संहिता, भावप्रकाष, आयुर्वेद निघण्ठ़ आदि में गुड़ की विषेशताओं का विस्तार से वर्णन है।
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गुड़ गन्ने (ईख) के रस से निर्मित होता है। ईख तन के कई दोशो का दहन करता है। प्राकृतिक पेट पीड़ाहर दवा है गुड़ में मौजूद तत्व तन के अम्ल (एसिड) को दूर करता है जब चीनी के सेवन से एसिड की मात्रा बढ़ जाती है जिससे शरीर में हमारी व्याधियों से घिर जाता है। गुड़ के मुकाबले चीनी को पचाने में पाँच गुना ज्यादा ऊर्जा व्यय होती है।
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गुड़ पाचनतन्त्र के पचड़ो को पछाड़ भोजन पचाकर पाचनक्रिया को ठीक करता है।
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पुरानी कठोर कब्ज के कब्ज़े से मुक्ति हेतु रोज रात्रि में 15-20 ग्राम गुड़ 200 मि.ली जल में उबालकर 40-50 मि.ली रहने के उपरान्त चाय की तरह पीये साथ में जिओ माल्ट का सेवन करें 10 दिन के लगातार प्रयोग से कब्जियत पूरी तरह मिट जाती है। भूख खुलकर लगती है।
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महिलाये खाने के साथ या बाद गुड़ खाये, तो शरीर के विशैल तत्व दूर होते है, जिससे त्वचा मे निखार आने लगता है। सुन्दर स्वस्थ त्वचा तथा झुरियाँ मिटाने हेतु नारी सौन्दर्य माल्ट का नियमित सेवन कर नारी सौन्दर्य तेल की प्रत्येक बुधवार शुक्रवार और शनिवार पूरे शरीर की मालिश करें, तो भंयकर खूबसूरती में वृद्धि होती है।
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हडिड्यों को बलषाली बनायें गुड़, इसमे कैल्षियम के साथ फॉस्फोरस भी होता है, जो हडिड्यो को मजबूत बनाने में चमत्कारी है। आर्थोकी गोल्ड माल्ट आँवला मुरब्बा, सेब मुरब्बा, और अनेक जडी-बुटियों के काढे़ में गुड मिलाकर निर्मित होता है। यह भंयकर वातविकारो का विनाषक है। आर्थोकी गोल्ड माल्ट के निरंतर सेवन से बहुत से वातविकार हाहाकार कर तन की पीड़ा का पलायन हो जाता है।
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मंगल की पीडा से पीडित प्राणी को गुड़ का दान अति शुभलाभकारी है।
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गन्ना मूत्र वर्धक होने से गुड़ मे भी यही विषेशता पाई जाती है। गुड़ पेषाब समय पर लाने में काफी सहायक है। जिन्हें रूक-रूक कर पेषाब आती हो, वे चीनी की जगह केवल गुड़ का इस्तेमाल करें। मूत्र सम्बधी समस्या और मूत्राषय की सुजन हेतु दुध के साथ लेवें। गुड़ निर्बल कमजोर शरीर वालो के लिए विशेष हितकारी है। 10 ग्राम गुड़़ में 5 ग्राम अमृतम् सहज चूर्ण, नीबू का रस, काला नमक मिलाकर लें, साथ ही अमृतम् माल्ट का एक माह सेवन करें तों रस-रक्त, बल -वीर्य की वृद्धि होती है।
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हिचकी मिटाने हेतु 5 ग्राम गुड़ में चुटकी भर सोंठ पाउडर या अदरक के रस की 2-3 बूदें मिलाकर लेवें। गैसाकी माल्ट, सीरप, चूर्ण का सेवन करें।
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माइग्रेन मिटाने हेतु गुड़ का घी के साथ सेवन करें या अकेला ब्रेनकी गोल्ड माल्ट और ब्रेनकी टेबलेट लेवें। गाजर मे गुड़ मिलाकर हलुआ खाने से तेज दिमाग होता है।
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एसिडिटी नाषक गुड़ – 10 ग्राम गुड 5 ग्राम गैसाकी चूर्ण ठण्डे जल में घोलकर आधा नीबू निचोडे इसे थोड़ा- थोड़ा पीते रहें।
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बवासीर नाषक गुड़ – बवासीर तन की तासीर और तकदीर खराब कर देता है। इससे मुक्ति हेतु 200 ग्राम पानी में 10 ग्राम गुलाब के फूल, जीरा, अजवायन, सोंफ, सौठ़ ये सभी 2-2 ग्राम डालकर उबालें 100 ग्राम जल रहने पर इसमे 20 ग्राम गुड़ मिलाकर पुनः उबालें 40-50 ग्राम काढा रहने पर रात में गर्म-गर्म पीने से अर्षरोग नश्ट होते है। मस्से सूखने लगते है। तत्काल लाभ हेतु पाइल्सकी माल्ट सुबह-षाम 1-1 चम्मच लेवें।
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पुरानी से पुरानी खाँसी-जुकाम से राहत हेतु गुड़, अदरक, लोंग, जीरा, कालीमिर्च, मुनक्के, हल्दी का काढा बनाकर सुबह खाली पेट लेवें साथ अमृतम् स्वाइनकी टेबलेट एवं कफकी स्टाॅग सीरप निरंतर लेते रहें यह असाध्य अस्थमा रोग नाषक भी है।
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गुड़ रक्त की कमी को दूर कर रक्तचाप को सामान्य करता है। दिल की बीमारी होने से रोकता है। आँखो के लिए अमृत है।
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गुड़ लड़कियों को मासिकधर्म की परेशानियों भी राहतकारी है।
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कान का दर्द, थकान मिटाने हेतु यह अद्भुत है। ध्यान देवें गर्मियों में गुड़ का सेवन पूरे दिन में 15-20 ग्राम से अधिक न करें। शुगर के मरीज़ चीनी की जगह गुड़ का सेवन करें तो किडनी सुरक्षित रहती है।
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