जायफल एक गुणकारी औषधि है इसका उपयोग मसाले के रूप में भी किया जाता है पुराने समय बाल शिशु जायफल दवा के रूप में दिया जाता है। जायफल सुगंधित और स्वाद में मीठा होता है ज्यादातर लोग जायफल और जावित्रि एक मनाते है। लेकिन उनकी धारणा गलत है।
जायफल और जावित्रि दोनो अलग-अलग मसाले है। जायफल का बीज होता है और उसके छिलके से जावित्रि प्राप्त होती है। जायफल का आयुर्वेद उल्लेख किया गाया है। सर्दियों में इसका इस्तेमाल लाभकारी है। ज्यादातर इसका उपयोग गरम मसाले में किया जाता है। इसके फल में अनेक रसायनिक सगंठन जैसे- जिरानियाल, यूजीनोल, सैफ्रोल, आइसोयुजिनोल, फैटिक एसिड, लोरिक एसिड, आलिक एसिड, लिनोलिल एसिड, स्टीयारिक एसिड, मियारीस्टीक एसिड, मिरीस्टीक एसिड, पामिटिक एसिड, उड़नशील तेल, स्थिर तेल आदि तत्व पाए जाते है। इसी कारण जायफल का एक ग्राम चूर्ण काफी तेज होता है।
जायफल के नाम
जायफल को अलग-अलग नामो से जाना जाता है। जैसे-जजिकाया, जादिफल, आदि परभम, कोसम, जाजी, जोजबोय, जवावा, जातिफल, जतिशा, सगा, कोशा, माल्तीफला, और शालुका आदि नामों से जाना जाता है। यह चीन, ताइवान, मलेशिया, ग्रेनाडा, केरल, श्रीलंका मे इसकी पैदावार खूब होती है।
जायफल का पौधा
जायफल एक बारहमासी पौधा है। इसका वानस्पतिक नाम मिरिस्टिका फ्रेग्रेंस है यह मूल रूप से इनडोनेशिया में पाया जाता है। इसका पौधा 10 मीटर ऊँचाई का शंक्वाकार, सदाबहार पेड़ है। इसके पत्ते हरे पीले रंग के अण्डाकार और चिकने होते है। फूल सफेद रंग के घंटियो के आकार के हाते है।इसका पेड़ सुंदर और विशाल होता है। इसके बीज एक पीले रंग के फल के अंदर होता है। इसका आकार छोटे आडू जैसा होता है। यह अंदर से जाल जैसा लाल रंग के बीच में बंधा रहता है इस बीजचोल सुखाकर जावित्रि प्राप्त होता है। इस बीजचोल के अंदर गहरे रंग का चमकीला और अण्डाकार बीज को जायफल कहते है।
जायफल की जलवायु
जायफल की खेती के लिए गर्म व आर्द जलवायु की आवश्यकता होती है।
जायफल के फायदे
जायफल सिर्फ खाने मे स्वाद को नही बढाता ब्लकि अपने आयुर्वेदिक गुणों के बिमारियों से भी बचाता है।
1. छोटे शिशुओं को ठंड और खाँसी जुकाम से बचाने के लिये जायफल को घिसकर माँ के दूध और शहद मे मिलाकर देना चहिए।
अमृतम चाइल्ड केयर माल्ट
चाइल्ड केयर माल्ट 5 से 12 वर्ष के बच्चो को आधा चम्मच और 12 वर्ष से अधिक आयु के बच्चो को 1 चम्मच माल्ट देना चाहिए। इसको देने से भुख की कमी, दूर्बलता निमोनिया, सूखापन चिड़चिड़पन और सर्दी खाँसी आदि रोगो में बहुत असरकारक है।
2. जायफल जोड़ो के दर्द में और हडिडयों को मजबूत बनाने में असरदार है
अमृतम आर्थोकी गोल्ड माल्ट
आर्थोकी गोल्ड माल्ट जोड़ो के दर्द में फायदेमंद है और हडिडयों को मजबूती देता है। सभी तरह के वात विकारों के लिए लाभकारी है।
3. यह खाँसी, दमा, सर्दी, और निचले श्वसन रोग, जैसी बिमारिया में भी असरदार है
अमृतम लोज़ेंग माल्ट
लोज़ेंग माल्ट के उपयोग से दमा खाँसी और एलर्जी में बहुत फायदा करता है। निचले श्वसन के रोग के लिए भी फायदेमंद है।
अमृतम का फ्लूकी माल्ट
फ्लूकी माल्ट फीवर और फ्लु में जैसी बिमारियों आयुर्वेदिक इलाज है। सफेद रक्त कोशिकाओ बढ़ाता है।
4. जो भूलने की बिमारी से ग्रसित हो जायफल खाने से दिमाग तेज होगा और भूलने की बिमारी नही होगी।
5. जायफल को घिसकर उसका लेप बना लें इस लेप को आँखो के पलको के चारों ओर लगा लें। इससे आँखो की रोशनी बढ़ती है।
6. जायफल का पेस्ट बना लें। इसका उपयोग सिरदर्द और जोड़ो के दर्द पर लगाये। इससे दर्द में राहत मिलेगी।
7. जायफल का तेल को दाँत के दर्द में राहत देता है। अगर आप के दाँत में कीड़े लगें हो जायफल के तेल से वे भी मर जाते है।
जायफल दूसरे नटस से भिन्न है। नटस से एलर्जी होने पर भी आप जायफल का उपयोग कर सकते है। जायफल का उपयोग काफी सुरक्षित है।
जायफल के नुकसान
जायफल का ज्यादा मात्रा इस्तेमाल नुकसान दायक होता है। अगर आप इसे अधिक मात्रा मे इसका इस्तेमाल करते है। तो आपको घबराहट, नसों में कमजोरी, हाइपोथर्मिया, चक्कर आना, मितली और उल्टी जैसी समस्याए हो सकती है।
जायफल का स्वाद कड़वे होने के चलते तमतमाहट, षुष्क चेहरा, तेजी से दिल की धड़कन, अस्थायी कब्ज, पेशाब मे कठिनाई, और उबकाई आदि होते है। इसका असर 24 घंटे से लेकर 48 घंटे तक रहता है।
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