!!हर शब्द अमॄतम!!
पन्ना रत्न का प्रभावी प्रयोग…
शुकबर्हवारि सेंधवशिरीषकुसुमप्रभंहरिद्राभम्!
मार्जारनयननैल्यं वंशच्छदकान्ति वैदूर्यम् !!
आचार्य वराहमिहिर रचित पुस्तक “वृहद सहिंता” में पन्ना रत्न को मरकत मणि
बताया गया है।
पन्ना रत्न पहनने से कीटाणु, संक्रमण/वायरस और विषैले जीवों का आक्रमण
या भय नहीं होता। संस्कृत में पन्ने का
एक नाम गरलारि भी है।
गरुड़पुराण में उल्लेख है कि-मृत मनुष्य
के मस्तक पर पन्ना भस्म का त्रिपुण्ड लगाकर, दाह-संस्कार करने से 7 पीढ़ी
पूर्व तक का पितृदोष दूर होता है। कैसे
करें कालसर्प का इलाज!
जानने हेतु पढ़ें-
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