जीवन की आपाधापी में अपने पेट की परेशानियों को भी समझें…
¥ समय पर भूख न लगना और खाना खाने के बाद भोजन न पचना,
¥ पेट में गुड़गुड़ाहट होते रहना,
¥ पेट में अक्सर दर्द बने रहना,
¥ पेट पर कब्ज का कब्जा होना,
¥ एक बार में पेट साफ न होना
¥ गैस की समस्या, एसिडिटी, अम्लपित्त आदि तकलीफें पाचनशक्ति (डाइजेशन) कमजोर होने की वजह से होने लगती है।
पाचन की पीड़ा…..
पाचनतंत्र की कमजोरी का कारण यह भी है कि जिस देश का वातावरण गर्मिला है या जिसकी जलवायु गरम है। ऐसे स्थानों पर लोगों के शरीर के आंतरिक अंग ठंडे या क्रियाहीन होने लगते हैं और दुष्परिणाम स्वरूप उन मनुष्यों के शरीर की नैसर्गिक ऊष्मा घटने लग जाती है। जिससे पाचन शक्ति दिनोदिन कमजोर पड़ने लगती है।
कैसे उठे उदर रोगों से ऊपर....
अतः ऐसे लोगों को निरन्तर यकृत सुरक्षा हेतु घर में उपयोगी तथा आयुर्वेदिक दवाओं का नियमित उपयोग करना चाहिए। जैसे-
@ घर का बना जीरा, हींग युक्त मठ्ठा,
@ जीरा, @ मीठा नीम, @ अजवायन,
@ धनिया, @ कालीमिर्च, @ सौंफ,
@ गुलकन्द, @ मुनक्का, @ किसमिस,
@ पिंडखजूर, @ अनारदाना, @ अंजीर,
@ अमरूद, @ मीठा दही, @ हरीतकी
@ गर्म, गुनगुना दूध, @ आँवला मुरब्बा,
@ शुण्ठी एवं @ पंचामृत पर्पटी,
@ रस पर्पटी, @ स्वर्ण पर्पटी, @ शंख भस्म
@ घर में बने त्रिफला का जूस या काढ़ा,
@ सेंधा नमक और कालानमक
आदि लेना अत्यन्त लाभकारी होता है।
इन्हें छोड़कर चलो…
पेट से पीड़ित लोगों को रात्रि में अरहर,
तुअर की दाल, दही, जूस, फल आदि त्यागना हितकारी रहता है। पित्त की वृद्धि रोकने के लिए भोजन के बाद गुलकन्द, लौंग युक्त मीठा पान जरूर खाना चाहिए। पान खाकर इसकी पीक गटकना फायदेमंद होता है।
पेट और लिवर की खराबी बहुत से रोगों का कारण बन सकता है-
◆गृहिणी या संग्रहणी रोग यानि अनियमित मलत्याग, बार-बार शौच जाने का कारण हो सकता है। इरिटेबल बॉएल सिंड्रोम (आईबीएस ibs) Irritable Bowel Syndrome रोग से दुनिया में 68% से भी ज्यादा लोग पीड़ित हैं-
निम्नलिखित कारण हो सकते हैं-ibs के
◆पेट की खराबी,
◆अग्निमान्द्य (Anorexia)
◆कामला, पीलिया (Jaundice),
◆अपच, अनिच्छा,
◆पाण्डु रोग, खून की कमी,
(नवीन रक्त न बनना),
◆अरुचि (खाने की इच्छा न होना),
◆भूख न लगना
◆कभी दस्त लगना, तो कभी कब्ज होना, ◆लिवर का बढ़ना (यकृत वृद्धि)
◆लिवर में सूजन (यकृतशोथ),
◆अजीर्ण (Dyspepsia),
◆छर्दी-वमन-कै- (वोमिटिंग),
◆उल्टी जैसा मन रहना,
◆पित्त सा निकलना
◆मल्लवद्धता, ◆कोष्ठवद्धता ◆एक बार में पेट साफ न होना ◆हमेशा कब्जियत बनी रहना, ◆आनाह–वद्ध कोष्ठ कब्ज (Constipation) आदि अनभिज्ञ अंदरुनी
यकृत रोग संग्रहणी रोग की श्रेणी में आते हैं।
पेट तथा लिवर के इन असाध्य उदर विकारों का स्थाई इलाज केवल घर के मसालों में, प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद में ही सम्भव है।
उपरोक्त पेट की बीमारियों का जड़ मूल से मुक्ति पाने के लिए असरकारी आयुर्वेद योग-घटक से निर्मित अमॄतम कीलिव माल्ट KEYLIV Malt तीन महीने तक नियमित ले सकते हैं।
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