दुनिया में जहां पर भी भगवान कार्तिकेय
मङ्गल स्वामी के मंदिर हैं वहां अपार संवृद्धि है।
भारत में तमिल लोगों के यह कुल देवता हैं।
तमिलनाडु राज्य के रक्षक के रूप में इन्हें राजा की उपाधि प्राप्त है। तमिल के अधिकांश कार्तिकेय मंदिरों की देखभाल पर सरकार अरबों रुपए खर्च करती है। वार्षिक बजट में इनका धर्मादा कोष अलग से निश्चित रहता है।
मङ्गल स्वामी भगवान कार्तिकेय षड़ानन के
6 मुख के 6 अलग-अलग मन्दिर
【1】पहला पलनी तमिलनाडु में
पलनी मुरुगन मंदिर– कोयम्बटूर से
100 km करीब यहां इनके हाथ मे एक दंड
होने से इन्हें दण्डपति कहते हैं। दंडीस्वामी पंथ या परंपरा इनके द्वारा ही शुरू की गईं ।
ये शिष्य रूप में स्थित हैं ।
【2】 दूसरा स्वामीमलय
स्वामीमलय मुरुगन मंदिर कुम्भकोणम–
जहां अपने पिता भगवान शिव को ॐ शब्द का रहस्य इनके पुत्र मुरुगन स्वामी ने बताया था। बाद में ब्रह्म, विष्णु आदि देवताओं कोॐ का रहस्य शिव से ज्ञात हुआ था ।
【3】तीसरा तिरुतनी, तिरुपति से 50 km
तिरुतनी मोरगन स्वामी-
यहां दूसरा विवाह हुआ था। यहां 365 सीढ़ियां हैं जो 365 दिन की प्रतीक हैं।
अविवाहितों के लिए विशेष
तिरुपति से करीब 60-70 km अविवाहित लोग पैदल चढ़कर जाए, तो अतिशीघ्र विवाह होता है । क्लेश कारक दाम्पत्य जीवन सुखमय हो जाता है । एक बार अवश्य जावें ।
【4】चौथा है- पज्हमुदिर्चोलाई ,
पजहामुद्रिचोलाई कार्तिकेय मन्दिर–
मदुरै मीनाक्षी मन्दिर से करीब 25-,30 km है ।दोनों पत्नियां साथ होने से यह गृहस्थ रूप में पूजनीय हैं ।
【5】पांचवा है- तिरुचँदुर
तिरुचंदुर मुरुगन स्वामी– मदुरै से लगभग 155 km यह समुद्र किनारे बसा एक मात्र मंदिर है शेष सब 5 मंदिर पहाड़ी पर हैं। यहां भगवान कार्तिकेय एक योद्धा सेनापति रूप में विराजमान हैं ।
【6】छठवां है- तिरुप्परणकुंरम
तिरुप्परामकुंराम मोरगन स्वामी-
मदुरै से कुछ ही दूरी पर लगभग 10-15 km मोरगन स्वामी मंदिर नाम से प्रसिद्ध है । यहां इंद्र की बेटी देवयानी से विवाह किया था । अविवाहित लोग यदि दर्शन करें, तो शीघ्र विवाह होता है।
इस प्रकार भगवान कार्तिकेय के 6 मुखों के 6 अलग-अलग मंदिर हैं। ये मंगलनाथ भी हैं।
स्कन्द पुराण के अनुसार
ओरिजनल बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग-
दुनिया में बहुत कम लोगों को मालूम है कि
ओरिजनल बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग दक्षिण भारत
के वेदेहीश्वरं कोइल में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग
शिवालय लगभग 5 किलोमीटर की परिधि में फैला हुआ है।
भगवान मोरगन ने किया था तप–
इस स्थान पर कार्तिकेय ने घनघोर तो किया था,
जब वे असाध्य त्वचा रोग से पीड़ित हो गए थे।
भगवान शिव , तब इस पुण्य क्षेत्र में वैद्य बनकर
आये थे। यह दुनिया का ऐसा एक मात्र शिवालय
है जहां सभी नवग्रह एक ही सीध यानि लाइन
में हाथ जोड़े खड़े हैं।
शिवलिंगों का अंबार
वेदेहीश्वरं कोइल शिव मंदिर में लगभग
2000 से अधिक शिंवलिंग अनेक देवी-देवताओं, ऋषि, सप्त ऋषियों- मुनियों द्वारा स्थापित हैं।
जटायु की समाधि
इस मंदिर में ही जटायु का दाह संस्कार हुआ था।
अंगारक स्वामी मंदिर
दुनिया का एक मात्र दुर्लभ अंगारक मंजीर है। यहां पर हर मंगलवार को मङ्गल दोष निवारक पूजा करे जाती है, जिसमें 43 घण्टे का समय लग जाता है।
भोलेनाथ का भंडार-
यह स्थान ज्योतिष की सप्त नाड़ी सहिंता,
नन्दी सहिंता के लिए प्रसिद्ध है। यहां आसपास
करीब 100 से अधिक स्वयम्भू शिंवलिंग और
माँ काली के मंदिर जंगलों में हैं, जो दर्शनीय हैं।
मंगल से पीड़ित, मांगलिक दोष से परेशान हों, तो
जिनका विवाह नहीं हो पा रहा अथवा जिनका वैवाहिक जीवन अपूर्ण, अतृप्त, क्लेशकारक हो, उन्हें भगवान मुरुगन स्वामी ( कार्तिकेय) जिनके छः मुख के छः मंदिरों के दर्शन अवश्य करना चाहिए।
मङ्गल शांति के उपाय
कुंडली में मांगलिक दोष दूर करने के लिए
इन छः मंदिरों के दर्शन करने के बाद तिरुपति बालाजी
के करीब 4009 सीढ़ियों को पैदल चढ़कर दर्शन करें।
ततपश्चात उज्जैन के मङ्गल नाथ पर भात पूजा, रुद्राभिषेक, कराएं ।
घर लौटकर गरीब कन्यायों को घर पर श्रध्दा पूर्वक भोजन करावें।अमृतम मधूपंचामृत,
बादाम जैतून,केशर, चन्दन से निर्मित
अमृतम तैल दान करें ।
इस प्रयोग, प्रयास जीवन में चमत्कारी परिणाम करने में सहायक है। सभी प्रकार के अष्ट दरिद्र तथा भयंकर दुर्भाग्य दूर होकर सुख-सफलता, ऐश्वर्य में सहायक होगा।
तमिल लोग इन्हें कडवुल यानि तमिलों के देवता कहकर संबोधित करते हैं।
श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर आदि देशों में इनके बहुत प्राचीन और विशाल मंदिर हैं।
कुमार कार्तिकेय क्यों कहलाते हैं–
भगवान स्कन्द या मङ्गल स्वामी कार्तिकेय को हमेशा एक कुमार बालक के रूप में ही दर्शाया जाता है, वे विवाहित हैं, उनकी दो पत्नियां हैं-
पहली- देवसेना एवं दूसरी- वल्ली। ये महायोद्धा हैं लेकिन फिर भी उनका स्वरूप एक बालक का ही है।अपनी माता पार्वती के श्राप फलस्वरूप वह कभी अपनी बाल्यावस्था को त्याग ही नहीं पाए। उनके इस बालक कुमार स्वरूप के पीछे भी स्कन्द पुराण में एक रहस्यमय किस्सा छिपा हुआ है, जिसकी जानकारी आगे कभी दी जावेगी।
भगवान कार्तिकेय के विभिन्न नाम
संस्कृत ग्रंथ अमरकोष के अनुसार
कार्तिकेय के निम्न नाम हैं:
कुमार कार्तिकेय, महासेन,शरजन्मा, षडानन,
पार्वतीनन्दन, स्कन्द, सेनानी, देवताओं के सेनापति, अग्निभू, प्रथ्वीपुत्र, मंगलनाथ, गुह, बाहुलेय, तारकजित्, विशाख, शिखिवाहन, शक्तिश्वर, कुमार, क्रौंचदारण तथा कार्तिकेय डोटी नेपाल में
भगवान कार्तिकेय को मोहन्याल कहते है।
मंगलदोष दूर करने वाला मन्त्र
ऊं शारवाना-भावाया नमः
ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा
देवसेना मनः काँता कार्तिकेया नमोस्तुते:
ॐ सुब्रहमणयाया नमः
अपने शत्रुओं के नाश के लिए इस मंत्र का मंगलवार को 9 दीपक अमृतम “राहुकी तेल” के जलाकरऊपर लिखे मन्त्र का 9 माला जाप करना चाहिए।
सभी तरह के ताप, दुखों और कष्टों का दूर
या कम करने के लिए भगवान
कार्तिकेय का गायत्री मंत्र निम्नलिखित है: –
ओम तत्पुरुषाय विधमहे:
महा सैन्या धीमहि
तन्नो स्कन्दा प्रचोद् यात:
दक्षिण भारतीय तत्काल प्रभावी मङ्गल मंत्र
दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय को प्रसन्न करने के लिए निम्न मंत्रों का जाप किया जाता है:
हरे मुरूगा हरे मुरूगा शिवा कुमारा हरो हरा
हरे कंधा हारे कंधा हारे कंधा हरो हरा
हरे षण्मुखा हारे षण्मुखा हारे षणमुखा हरो हरा
हरे वेला हरे वेला हारे वेला हरो हरा
हरे मुरूगा हरे मुरूगा ऊं मुरूगा हरो हरा
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