आपके शरीर को बनाये जो नया
उसका नाम है– पुनर्नवा
यकृत यानि लिवर और पेट के रोगों की अचूक और अद्भुत ओषधि…
!! शरीर पुनर्नवं करोति इति पुनर्नवा !!
तन-मन, लिवर और पेट को फिर से नया-नवीन करने के लिए तथा जीवन को पुनः पुनर्जीवित करने के लिए पुनर्नवा जड़ी-बूटी चमत्कारी है। इसलिए आयुर्वेद के प्राचीन शास्त्र “भावप्रकाश निघण्टु” में इसे पुनर्नवा कहा गया है
{{1}} यह आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी सम्पूर्ण देश में मिल जाती है। गाँव के लोग इसकी सब्जी बनाकर खाते हैं।
{{2}} यह शरीर के सभी दोषों (वात, पित्त और कफ) संतुलन बनाकर लिवर को शक्तिदायिनी है।
{{3}} तीन प्रजातियों वाला पौधा होता है पुनर्नवा।
{{4}} रंतौधी, दमा आदि बीमारियों मे फायदेमंद।
{{5}} पुनर्नवा पेट में विष के प्रभाव को भी कम करता है।
{{}} ये उदर में अनेक तरह के संक्रमण को भी फैलने से रोकता है।
{{6}} पुनर्नवा यकृत का अमृत है। भोजन से अतृप्त लोगों को यह तृप्त करता है।
पुनर्नवा लाल और सफेद दो तरह का होता है।
रा.नि. में एक नील भेद भी लिखा है, जो दुर्लभ है। बिहार की वनस्पतियां नामक पुस्तक में पुनर्नवा के बहुत से सफल प्रयोग लिखे हैं।
The Wealth of india (रॉ मटेरियल) Vol.1
नामक पुस्तक में श्री चक्रवर्तीजी का मत है कि
पुनर्नवा एक अमृत ओषधि है। लिवर का कायाकल्प करने में दूसरी कोई बूटी इसके समतुल्य नहीं है।
लिवर की जिस दवा में यदि पुर्ननवा नहीं है, तो वह लाभकारी नहीं होती। इसीलिए अमृतम कीलिव माल्ट में पुनर्नवा विशेष रूप से मिलाया गया है।
हिंदी, बंगाली, मराठी, में इसे पुनर्नवा एवं ग्रामीण लोग इसे सांठ तथा गदहपूर्णा कहते हैं। गुजराती नाम राती साटोहि, वसेड़ी है। कन्नड़ में सनाटिका, तेलगु में अटात मामिडी, अरबी में इंदकुकी और अंग्रेजी में Hogweed Horse Purslene
(हागविड हॉर्स पर्सलन) बताया है।
रासायनिक संघटन…
इसके पत्तों में पुनर्नवीन Punarnavine नामक कार्यकारी क्षाराभ की मात्रा शुष्क द्रव्य में 0.0१% तक होती है। पुनर्नवा के मूल में सम्पूर्ण क्षाराभ की मात्रा ०.०४% होती है। इसके अलावा इसमें पोटेशियम नाइट्रेट, सल्फेट, क्लोराइड ६.५% एवं स्थिर तेल होता है।
गुण एवं प्रयोग…
इसका उपयोग पेट, लिवर और सर्वांग शोथ, शरीर की पुरानी शोथ यानि सूजन में किया जाता है। कामला, खून की कमी, जिगर के रोग, पीलिया में चमत्कारी रूप से फायदा करता है।
कुपचन और पेट के अनेकों रोगों को पुनर्नवा ठीक करता है।
यह बरसात के दिनों में अधिक मिलती है।
यह 4 से फुट लंबाई का होता है। पौधे की पत्तियां, सरल व्यापक, कुछ हद तक किसी न किसी मोटी और भंगुर होते हैं।
पुनर्नवा जड़ी बूटी युक्त कीलिव माल्ट लिवर की एक बेहतरीन निरापद चिकित्सा है…
कीलिव माल्ट मोटापा, एनीमिया के मामलों, भूख न लगना, पीलिया और क्रोनिक लेकिन गैर विशिष्ट ज्वर की स्थिति में उपयोगी है। यह हृदय टॉनिक भी है।
अमृतम कीलिव माल्ट-
यह कई पेट संबंधी विकार, विशेष रूप से आंत्र पेट का दर्द के उपचार में अत्यंत लाभदायक है। जलोदर मतलब
ascities का इलाज, पेट की उदरावरण (peritoneal) वसा की परत जो पेरिटोनियम से ढकी होती है।
गुहा के अंदर तरल पदार्थ का संचय की विशेषता बीमारी में उपयोगी है।
कीलिव माल्ट के फायदे...
◆ यह लिवर को बच्चे जैसा कर देती है।
◆ पुनर्नवा श्वांस नली यानि ब्रोन्कियल नलियों से प्रतिश्यायी वात और कफ को हटाने में मदद कर अस्थमा ठीक करता है।
◆ पुनर्नवा बुखार के उपचार में लाभकारी है, यह प्रचुर पसीना उत्प्रेरण से तापमान नीचे लाता है।
जाने लिवर के 3 क्रियाकलाप...
【1】यकृत शरीर के अंगों के लिए एक तरह से पॉवर हाउस का काम करता है।
【2】लिवर ही प्रोटीन और कोलेस्ट्रॉल का निर्माण करने साथ ही सभी विटामिन्स, मिनरल्स तथा कार्बोहाइड्रेट का संचय करने का काम भी करता है।
【3】लिवर ही भोजन पचाकर, शरीर से टॉक्सिक यानि विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालने एवं अंदरूनी बीमारियों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। इसलिए लिवर को स्वस्थ्य रखना बहुत जरूरी है।
कीलिव माल्ट लिवर का कायाकल्प कर
तन-मन को ऊर्जा और इम्युनिटी पॉवर से भर देता है।
आयुर्वेद का नियम है है कि–
लिवर खराब, तो जीवन खराब।
■ आप किसी भी खानदान से हो
खानपान की गलत आदतों से बचकर रहें।
खाने-पीने की गलत व अनियमित प्रक्रिया
यकृत को नुकसान पहुंचाती हैं।
■ खानपान के प्रति लापरवाही के कारण
उदर विकार उत्पन्न होकर कब्ज जैसी विकराल समस्याओं से जूझना पड़ता है।
अंत में दुष्परिणाम यह होता है कि
■ लिवर में सूजन आना और लिवर खराब होने लगता है। ऐसे में बेहतर यही होगा कि तत्काल कीलिव माल्ट का नियमित सेवन कर अपने लिवर को स्वस्थ्य और क्रियाशील बनाये रख सकते हैं। यह पूर्णतः आयुर्वेदिक अवलेह यानि एक जेम की तरह हर्बल चटनी है।
थोड़ी सावधानी बरतें…
लिवर की विकराल समस्या हो या लगातार पेट खराब रहता हो, पेट साफ न हो, तो तुरन्त
● अरहर की दाल जिसे पीली या तुअर की दाल भी कहते हैं इसे भोजन में कतई उपयोग न करें।
● रात्रि में दही न खावें
● पानी अधिक पियें।
● गुलकन्द, मुनक्का अधिक सेवन करें।
चुकंदर एवं अनार का जूस लेवें।
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!!अमृतम!!
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