वर्तमान में जंगल और वृक्ष नष्ट होते जा रहे हैं।
हमारे हिसाब से, तो शहद अब जंगलों में ज्यादा उपलब्ध नहीं है।
अतः शहद का सेवन न करें, तो ही उचित होगा।
भारत में शहद/मधु की इतनी ज्यादा खपत है कि शुद्ध मिलना मुश्किल है।
अब जंगल नष्ट होते जा रहे हैं। फिर, असली शहद मिलेगा कहाँ से।
एक मधुमक्खी के छत्ते में मधु इकट्ठा होने में एक से 2 साल का समय लग जाता है।
यही पका हुआ शहद अत्यन्त हितकारी है।
जल्दी तोड़े गए मधुमक्खी के छत्ते का कच्चा शहद पेट की तकलीफ, उग्ररोग उत्पन्न करता है।
पुराना शहद, जो काला पड़ जाता है, वह कर्कट रोग यानि कैंसर नाशक होता है।
कॉम्पटीशन का कम्पन्न…
आज के व्यापारिक दौर में शुद्ध शहद की उम्मीद तो भूलकर भी न करें।
बाजार में बिकने वाला मधु या शहद इन्वर्ट शुगर, ग्लूकोज एवं साइट्रिक एसिड मिलाकर बनाया जा रहा है।
आगरा-दिल्ली में इस तरह का मधु बनाने वालों के बड़े प्लांट लगे हैं।
ये सिंथेटिक शहद 120 से 150/- किलो तक आसानी से मिल जाता है।
असली शहद का भाव है-करीब 1000/- किलो…
असली शहद जो कि 36 गढ़ के आदिवासियों के पास उपलब्ध है, उसकी खरीद कीमत ही लगभग 300 से 400 रुपए किलो है।
फिर भाड़ा, साफ-सफाई, फिल्टर अलग है। कुल मिलाकर बीन्स पेकिंग के ही घर में मधु 500/- रुपये किलो पड़ता है।
अब पेकिंग खर्च 540 से 50 रुपये एवं दुकानदार चेनल यानी डिस्ट्रीब्यूटर, डीलर, स्टॉकिस्ट और रिटेलर का कमीशन,
भाड़ा, 12 फीसदी GST सब मिलाकर 300 से 400 रुपये ओर बढ़कर शुद्ध शहद की कीमत लगभग 900/- रुपये किलो पहुंच जाती है।
यह तो सादा शहद की बात हुई। कर्नाटक, महाराष्ट्र का मधु इससे अधिक महंगा होता है।
आज के समय में लोगों को सही चीज की जगह सस्ती चाहिए, इसलिए असली शहद बेचने वाली कम्पनियों के पास उतने ही खरीददार हैं
, जो शुद्ध मधु चाहते हैं। नकली के प्रतिस्पर्धा में असली वाले ज्यादा बिक्री करते हैं और ग्राहकों को उनके स्वास्थ्य में भी फायदा भी होता है।
हमारा कहना है कि- आजकल बिकने वाले सस्ते , सिंथेटिक शहद से तौबा कर, उसका सेवन न करें।
इससे शरीर को बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है। यह बाज़ार, विज्ञापन वाला शहद बिल्कुल भी पचता नहीं है।
अनेक बीमारियों को पैदा करता है।
शुद्ध शहद की पहचान करना आसान नहीं, अपितु बहुत मुश्किल काम है।
चूंकि हम पिछले 35 वर्षों से आयुर्वेद से जुड़े हैं, तब कहीं शुद्ध मधु की पहचान करने में सफल हुए हैं।
इतना जानने के लिए अनेकों बार नुकसान उठाया। शुद्ध शहद की खोज व पहचान के बारे में अनेक भ्रम फैले हुए हैं।
हमारी हार्दिक इच्छा थी कि हम शुद्ध शहद ही बाजार में बेचें। प्योर शहद पाने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़े।
अमृतम के अनेक उत्पाद मधु युक्त होने से हमें जंगलों से शहद इकठ्ठा करनस होता है।
बिना मधु के किसी दवा का रिजल्ट बहुत अच्छा नहीं आता।
कहाँ-कहां मिलता है-शुद्ध शहद….
भारत में केवल ,कुछ ही जगह शुद्ध मधु मिल पाता है।
जैसे-मैसूर कर्नाटक के जंगल, 36 गढ़ में बस्तर, रायगढ़ के जंगल, उत्तराखंड के नैनीताल, मुक्तेश्वर, गोपेश्वर, जागेश्वर में।
महाराष्ट्र में अमरावती, औंढा नागनाथ
मप्र के श्योपुर, ढोंढर, तथा अमरकंटक के गहने वनों में आदिवासियों के पास छत्ते का टूटा शहद मिल पाता है।
जहां मधु का खरीदी मूल्य 400 से 500 रुपये किलो तक होता है।
अगर आप शुद्ध शहद की खोज में हैं, तो एक बार
!!अमृतम!! मधु पंचामृत केवल 50 ग्राम मंगावकर जांच ले।
आप निराश नहीं होंगे, इसके फायदे भी 10 से 15 दिन में समझ आ जाएंगे।
अगर शहद शुद्ध होगा, तो एक महीने में देह के त्रिदोष को सन्तुलित कर तन-मन को तन्दरुस्त बना देता है।
मधु प्रकृति से प्राप्त शक्तिदाता उपहार है। महिलाओं के लिए अमृत ओषधि है।
यह खाने के साथ-साथ चेहरे ककील-मुहांसे, झुर्रियां साफ कर …स्किन पोर्स में जमी अशुद्धियों को बाहर निकालता है।
प्रकृति का अनमोल अमृत…मधु पंचामृत
“भूतेषु-भूतेषु विचित्य धीरा: ”
जैसे एक मधुमक्खी फूलों की क्यारी में जाकर प्रत्येक फूल से केवल उसका रस ग्रहण करती है।
फूल का ज्यों का त्यों छोड़ देती है।
फूल पर बैठी जरूर, लेकिन उससे केवल रस ले लिया।
कड़े परिश्रम पश्चात अनेक फूलों के रस को लेकर फिर एक रस बनाती है,
उसका नाम है शहद। इसी शहद को शुध्द व पवित्र कर बनता मधु पंचामृत।
मधु पंचामृत के नियमित उपयोग से शरीर में जीवन दायिनी कुदरती खुबियां ज्यों की त्यों बनी रहती है।
अमृतम मधु पंचामृत-पोष्टिक सबसे स्वादिष्ट और प्राकृतिक अनमोल अमृत हैं।
मधु पंचामृत के चमत्कारी फायदे….
【1】 सम्पूर्ण संसार में मधु ही एक ऐसी प्राकृतिक अमृत औषधि है, जो शरीर में जाते ही अपना कार्य शुरू कर देती है।
शरीरिक शक्ति दृढ़ करने में मधु पंचामृत रामबाण है।
【2】ठंडे दूध के साथ बढ़ते बच्चों के लिए सर्वोत्तम।
【3】नास्ते के समय एक छटाक मलाई में एक बड़ा चम्मच
मधु पंचामृत मिलाकर खाने से दिमाग और स्नायुओं को असाधारण रूप से शक्ति मिलती है।
क्योंकि इसमें स्मरण शक्ति बढ़ाने वाली आयुर्वेद की सुप्रसिध्द जड़ी बूटी ब्राम्ही रस का समावेश है।
अमृतम मधु पंचामृत
50 ग्राम, 200 ग्राम पेकिंग में ऑनलाइन उपलब्ध है।
कैसे करें शुद्ध मधु/शहद की पहचान…
शुद्ध शहद की पहचान करना बहुत मुश्किल काम है।
चूंकि हम पिछले 35 वर्षों से आयुर्वेद से जुड़े हैं, तब कहीं शुद्ध मधु की पहचान करने में सफल हुए हैं।
शहद की शुद्धता परखने या जानने के लिए अनेकों बार नुकसान उठाया।
जो हमारी समझ आया कि शुद्ध मधु ऊपर तालु पर लगाएं, तो चिपकता नहीं है।
शद्ध शहद की खुशबू या हीक अलग तरह की होती है, जिसे समझने के लिए अनुभव जरूरी है।
मधु के कई प्रकार हैं! देखें एक प्राचीन ग्रन्थ का चित्र
क्या शुद्ध शहद को जान पाना सम्भव है…
आयुर्वेद के 5000 वर्ष प्राचीन ग्रन्थ वनोषधि सहिंता, द्रव्यगुण विज्ञान, अष्टाङ्ग ह्रदय चरक सहिंता,
सुश्रुत आदि में शुद्ध शहद की कोई विशेष या वैज्ञानिक पहचान नहीं लिखी है।
गूगल पर पड़ी अनेकों जानकारियां मनगढ़ंत हैं।
कृपया बिना ग्रन्थ-शास्त्र, उपनिषद, भाष्य आदि सन्दर्भ के बिल्कुल भी भरोसा न करें।
जैसे- ग्रन्थों में लिखा है कि शहद में गर्म करने से उसका मूल असर नष्ट हो जाता है।
पुराना मधु ही मेदनाशक यानी मोटापा कम करने में सहायक है।
देखें चित्र…
शुद्ध शहद के साथ बराबर मात्रा में केवल गाय का शुद्ध देशी मिलाने वह विष बन जाता है।
बना बनाया शहद को असली मान रहे लोग…
आजकल पेटी वाला शहद भी बहुत मिल रहा है। ये एक तरह से शक्कर ही है, जो ज्यादा उपयोगी नहीं है।
इसके सेवन से मधुमेह का खतरा बढ़ सकता है, जबकि शुद्ध शहद डाइबिटीज में लेना लाभकारी है।
शुद्ध शहद की पहचान अनुभव और स्वाद से ही होती है।
इसकी महक अलग ही होती है, यह जीभ पर रखते ही लार में बदल जाता है।
परखने के लिए एक बार छोटा सा 50 ग्राम का पैक अमृतम मधु पंचामृत का मंगवाकर देख सकते हैं।
शुद्ध शहद की पहचान.. .
¶ – शुद्ध honey की पहचान,जो हमारी समझ आया कि शुद्ध मधु ऊपर तालु पर लगाएं, तो चिपकता नहीं है।
¶ – शुद्ध शहद ज्यादा देर तक पानी रुकता नहीं है, तुरन्त जल में मिश्रित हो जाता है।
¶ – शुद्ध शहद होगा, तो सर्दी के दिनों में हल्का जमेगा जरूर परन्तु ग्लूकोज से निर्मित शहद नहीं जमेगा।
¶ – शुद्ध शहद होगा, तो वस्त्र पर चिपकेगा नहीं लेकिन शहद अपना निशान अवश्य छोड़ता है।
नकली शहद का अंबार ….
● पहले आंखों में लगाने से हल्की चिनमिन्हाहट होती थी, लेकिन अब नकली शहद में कालीमिर्च का एक्सट्रेक्ट मिला देते हैं।
● अब नकली शहद पर मक्खी नहीं बैठती, क्योंकि उसमें एक रसायनिक द्रव्य साइट्रीट एसिड मिला देते हैं।
● आजकल बाजार में जी मधु बिक रहा है, वह पूर्णतः नकली है। यह शहद इन्वर्ट शुगर और ग्लूकोज मिलाकर बन रहा है।
जिसका लागत मूल्य अधिक से अधिक 100 से 125 रुपए किलो पड़ता है और बाजार में 300 किलो बिक जाता है,
इसमें दुकानदार का लगभग 35 से 50 फीसदी कमीशन या मार्जन रहता है।
मधु पंचामृत में 4 जड़ीबूटियों का सत्व….
मधु में ब्रेन व चेहरे की सूक्ष्म नाड़ियां जागृत करने वाली अदभुत बूटी यदि ब्राह्मी मिलाकर उपयोग किया जाए, तो बेहतरीन परिणाम आते हैं।
मुलेठी खाने और चेहरे को चमकाने में विशेष कारगर ओषधि है।
तुलसी यह प्राकृतिक एंटीएलर्जिक, एंटी फंगस ओषधि है। इसके खाने और मुख पर लगाने से कीटाणु नष्ट होता हैं।
मधु पंचामृत के 16 चमत्कारी फायदे….
【1】 सम्पूर्ण संसार में मधु ही एक ऐसी प्राकृतिक अमृत औषधि है, जो शरीर में जाते ही अपना कार्य शुरू कर देती है।
शरीरिक शक्ति दृढ़ करने में मधु पंचामृत रामबाण है।
【2】ठंडे दूध के साथ बढ़ते बच्चों के लिए सर्वोत्तम।
【3】नास्ते के समय एक छटाक मलाई में एक बड़ा चम्मच
【4】मधु पंचामृत मिलाकर खाने से दिमाग और स्नायुओं को असाधारण रूप से शक्ति मिलती है।
क्योंकि इसमें स्मरण शक्ति बढ़ाने वाली आयुर्वेद की सुप्रसिध्द जड़ी बूटी ब्राम्ही रस का समावेश है।
【5】चेहरे को चमकाने, गन्दगी साफ करने में मधु का प्राकृतिक गुण है!
【6】एक चम्मच अमृतम उबटन एक चम्मच मधु पंचामृत, टमाटर का रस एक चम्मच तीनो को मिलाकर धूप में बैठकर लगाकर 30 मिनिट तक सूखने दें।
फिर सादे जल से धोएं, तो चेहरे की सारी गंदगी निकल जाती है तथा मुख चमकने लगता है।
【7】मुहांसे, झुर्रियां मिटाने हेतु- मधु पंचामृत 1 चम्मच, निबहु का रस 3 ml, हल्दी पिसी, आधा ग्राम सबको मिलाकर चेहरे पर लगाएं,
तो कील-मुहांसे साफ हो जाते हैं।
【8】मधु पंचामृत 10 ग्राम, अमृतम उबटन 10 ग्राम कच्चा दूध 20 ml सबको मिलाकर सुबह की धूप में चेहरे पर लगाकर
30 से 40 मिनिट बिना बोले सूखने दें। फिर सादे जल से धोकर अमृतम कुंकुमादि तेल लगाएं।
10 दिन नियमित प्रयोग से बुढापे के लकधन समाप्त होने लगते हैं।
【9】मधु में अनेक प्राकृतिक पोषक तत्व होते हैं।
【10】मधु के सेवन से ऊर्जा-उमंग और फुर्ती आती है। जल्दी बुढापा नहीं आता।
【11】मानसिक तनाव घटता है।
【12】निघण्टु के मुताबिक यह प्राकृतिक ग्लूकोज की पूर्ति करता है।
【13】आयुर्वेद के मुताबिक मोटापा कम करने के लिए मधु में नीबू का रस सादे जल के साथ भोजन के एक घण्टे बाद लेते हैं, तो चर्बी गलने लगती है।
【14】मधु के साथ कुछ अन्य चीजे उपयोग करने से मुखमंडल में ग्लो बढ़ता है।
【15】मधु व अमृतम उबटन शक्ल पर प्रकट धाग-धब्बे, कील-मुंहासे और झुर्रियों से मुकाबला करने में मदद करता है।
【16】मधु को चेहरे पर नियमित लगाने से चेहरे की चमक बढ़ती है। इसे अपनी स्किन केयर रूटीन में शामिल कर सकती हैं।
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धर्म में पंचामृत का उपयोग परम् हितकारी है...
शिवपुराण में पंचमहाभूतों की प्रसन्नता के लिए पुराणों में पंचामृत द्वारा शिवलिंग के अभिषेक का वर्णन है।
सत्यनारायण की कथा हो या सामान्य पूजा में पांच तरह के अमृत जैसे-दूध, दही, मधु, शक्कर का बूरा,
गाय का शुद्ध देशी घी का मिश्रण करते हैं, उसे पंचामृत कहते हैं।
स्कन्ध पुराण, शिव सहिंता तथा कालितन्त्र में उल्लेख है कि-शिवलिंग या ईश्वर को पंचामृत का स्नान करने से अनेकों रोग-शोक,
वास्तु, कालसर्प-पितृदोष, गरीबी आदि परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
भगवान को अर्पित नैवेद्य का प्रसाद रूप में ग्रहण करने से शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता यानि इम्युनिटी की वृद्धि होती है।
मङ्गल के दंगल को दूर करे-मधु पंचामृत…
मंगलदोष से मुक्ति हेतु प्रत्येक मंगलवार, रविवार शिवलिंग पर शुद्ध शहद अर्पित करना चाहिए।
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