जाने एक चमत्कारी छिन्नमस्ता मंत्र और यंत्र का दुर्लभ चित्र और जाने तांत्रिक बन की विधि…

छिन्नमस्ता यंत्र का फोटो नीचे देखें।
  चित्र में छिन्नमस्ता देवी का यंत्र चित्रित है। ये नेपाल के पुरश्चर्याणव ग्रंथ में चित्रित है। इसे एक प्राचीन ग्रंथ से लिया गया है।
घर में इस यंत्र का चित्र लगाने से तंत्र, टोटका, जादू टोने का दुष्प्रभाव खत्म हो जाता है।
 ये तंत्रोक्त प्राणसंक्रांति का द्योतक कराते हैं।
शिव काली तंत्र संहिता के अनुसार प्रत्येक संक्रांति में ९०० बार प्राण का आवागमन होता है अतः अहोरत्र (दिनरात की लगभग २३ संक्रांति) में २१६०० बार श्वासन क्रिया होती है। यही मानव जीवन है।
तंत्र मंत्र की सिद्धि पाने के लिए आती जाती हरेक श्वांस पर ध्यान देना जरूरी है।
 इस यंत्र को पूजने से छिन्नमस्ता महाविद्या का साक्षात्कार प्राप्त हो सकता है यही वज्रवैरोचनी यंत्र है। ये घोर गरीबी, विपत्ति का नाश करता है और राहु ग्रहकृत बाधा तथा राहु के प्रकोप का नाशक है।
छिन्नमस्ता मंत्र इस प्रकार है –
!!श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वेरोचनीये हुँ हुँ फट् स्वाहा!!
आठ दिन में २१६०० बार जपने से यह सिद्ध हो जाता है। इस मंत्र की सिद्धि हो जाने पर विद्या, अकूत धन, सम्मान की प्राप्ति होगी और शत्रु नाश होंगे।
मां महाकाली का महामंत्र….जपमंत्र
ये तंत्रोक्त मंत्र है, इसका सकाम प्रयोग किसी भी विपत्ति जनीत परिस्थिति को नष्ट कर देता है। अप्रतिहत इच्छाशक्ति, कालातीत ज्ञान तथा अनंत क्रिया ही काली का यथार्थ स्वरूप है।
अनुत्तर तत्व के अनुसार इस यंत्र की बाह्य एवं आंतर, उभय उपासना श्रेयस्कर है।
भगवान के अनंतर क्रमशः अष्टदल, वत्त को उत्तीर्ण करते हुए त्रिकोण में काली का संस्पर्श प्राप्त होने लगता है।
जप मंत्र
!!ॐ क्रीं कालिकायै नमः मां कामरूप कामाख्या देवी!!
 यह प्रसिद्ध सिद्ध पीठों में से एक शक्ति पीठ है। ऊपर कामरू कामाख्या देवी का चित्र दिया गया है। इनकी पूजा लाल चंदन, लाल करने की फूल से की जाती है और नवारण मंत्र के बीज मंत्र से इनकी पूजा की जाती है।
संतान प्राप्ति करने का कुछ उपाय भगवान दत्तात्रय ने दत्तात्रय स्तोत्रम में…
गोक्षुरस्य च बीजं पिवेन्निर्गुण्डिकारसैः।
 त्रिरात्रं पञ्चरात्रं वा बंध्या भवति पुत्रिणी॥
गोखुरू के बीज को निर्गुण्डी के रस में पीसकर वंध्या स्त्री तीन या पांच दिन तक पीये तो वह पुत्रवती हो जाती है ।
कर्कोटबीजचूर्ण तु एकवर्णगवां पयः।
घृते पिबेच्च मासं तु वंध्या भवति पुत्रिणी॥
बेल के बीज के चूर्ण को घी और एक रंग वाली गौर के दूध के साथ एक मास तक प्रतिदिन पीने से वंध्या स्त्री पुत्रवती होती है।

आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से बात करें!

अभी हमारे ऐप को डाउनलोड करें और परामर्श बुक करें!

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *