दुनिया या किताब-पोथियों से जुटाया गया ज्ञान केवल जानकारियां कहलाती है।
- ज्ञान से बड़ा कोई दूसरा धन नही है।
- धन – दौलत को भी कहते हैं लेकिन ये कोई न कोई 2 लत जरूर लगाती है।
- लत के बिना दौलत किसी काम की नहीं होती।
- लत लगते ही आदमी दुनिया की लातें खाता है।
- ब्रह्मांड में ज्ञान एक ही है जिसे हम आत्मज्ञान कहते है। यह आत्मग्लानि से मुक्त होकर ही पा सकते हैं।
- जिस दिन भी यह अंदर से प्रकट होने लगेगा, तो आप आत्मप्रेमी बनकर आत्मगौरव का अनुभव करेंगे।
- ज्ञान एक खजाना है। इस बारे में हजारों वैदिक सूत्र ओर श्लोक भरे पड़े हैं-
विद्या नाम नरस्य रूपमधिकं प्रच्छन्न्पं धनं।
विद्या भोगी यशः सुखाचार्य विद्या गुरुणां गुरुः।।
विद्या प्रबंधुजनो विदेशगमने विद्या पर देवता।
विद्या राजू पूजिता न तू धनं विद्याविहीनः पशुः।।
- अर्थात-ज्ञान की वजह से हर व्यक्ति सुरक्षित रहता है। ज्ञान ही सभी का शिक्षक है। ज्ञान ही घर, यार, व्यापार तथा शासन व्यवस्था चलती है। राजा महाराजा या योग्य इंसान को भी ज्ञान को बधाई दी जाती है। न की धन को। विद्या और ज्ञान के समान है।
जन्मदुःखं जरादुःखं मृत्युदुःखं दोबारा दोबारा।
संसार सागर दुखं तस्मात् जागृही
- अर्थात-संसार में जन्म, बुढापे और मृत्यु का संकट बार बार है, इसलिए (हे मानव!), “जाग, जाग!” इससे बड़ा कोई ज्ञान नहीं है।
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