बायां हाथ बंगाली, कभी न जाये खाली..
अर्थात बाएं हाथ वाला व्यक्ति बंगाली हो, तो वह विचित्र तांत्रिक, जादूगर होता है। बायां हाथ वाला कभी खाली नहीं बैठता। इसीलिए सफल होता है।
आज से करीब 100-50 साल पहले यह मान्यता थी कि बंगाल (कामाख्या असम) का जादू या तन्त्र इतना खतरनाक और चमत्कारी था कि.. वे वहीं बैठे हुए दुनिया के किसी भी व्यक्ति के नाम से मारण मूठ मन्त्र का आव्हान करते थे, तो उसकी मृत्यु हो जाती थी। उच्चाटन, मारण, यक्षिणी, कर्ण पिशाचिनी विद्या का बंगाल गढ़ रहा है और आज भी कुछ हद तक है।
बंगाल के अघोरी ध्यान-मन्त्र के द्वारा चोरी करने में सिद्धहस्त थे। आदमी को कबूतर, तोता, कौआ आदि जानवर बनाना बंगाली तांत्रिकों के लिए बाएं हाथ का खेल था।
किसी समय बंगाल का जादू विश्व प्रसिद्ध था। इनके अनेको किस्से हैं, जो कभी अमृतम के ब्लॉग में अलग से दिए जाएंगे। दुरुपयोग होने की वजह से अब ये सभी तन्त्र विद्या लुप्त, गोपनीय तथा कीलित कर दिए गए हैं।
बाएं हाथ का महत्व इसलिए भी और बढ़ जाता है क्योंकि अधिकतर बंगाली तांत्रिक वामहस्त थे। बंगाल में मान्यता है कि जो लेफ़्टिज हैं और तन्त्र-मन्त्र के मामले में न्यूनाधिक ज्ञान रखता है, उस पर सिद्धियां होने के बाद भी उनका खुलासा, प्रचार या उपयोग बहुत ही सावधान पूर्वक करते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि एक बार बंगाल का जादू भले ही निष्क्रिय हो जाये, किन्तु लेफ़्टिज कभी असफ़ल नहीं होता इसीलिए यह कहावत बनी कि.. बायां हाथ बंगाली- कभी न जाये खाली।
बंगाल के तांत्रिकों की एक कहावत प्रसिद्ध है कि..बंगाल जादूगरों का घर है……
जादू का घर बंगाला, बायां हाथ छिनाला
अपने घर को कर रीता,बायां हाथ पलीता
अर्थात.. बाएं हाथ वाले व्यक्ति से कुछ भी छीन पाना मुश्किल है। चाहें वह धन हो, रहस्यमयी ज्ञान हो या जादू। लेफ़्टिज किसी पर फिदा या प्रसन्न हो जाएं, तो भावुक होकर दान-धर्म करके अपने घर को रीता यानी खाली कर देते हैं।
गुरुनानकदेव भी लेफ़्टिज थे। बचपन में उनका एक किस्सा बहुत मशहूर है कि… जब वे दुकान पर अनाज तोल रहे थे, तब तेरह की गिनती आने पर तेरह-तेरह करके गोदाम खाली कर दिया था।
दाएं हाथ वाले का दम
अध्यात्म या पूजा पाठ के मामले में प्राचीन काल से यह माना गया है कि सभी शुभ कार्य राइट हैंड से करना चाहिए तथा तन्त्रादि मारक क्रियाएं, पिण्डदान आदि उल्टे हाथ से करना श्रेष्ठकर होता है क्यों कि उल्टे हाथ से की गईं अशुभ क्रियाएं या कार्य तुरन्त परिणाम देती हैं।
यदि कोई आध्यत्मिक क्षेत्र में दखल रखता है, तो लोग उसे गुरु की तरह मानते हैं। ऐसे लोगों पर ईश्वर की विशेष कृपा होती है। लेफ़्टिज यदि शिवभक्त है, तो उस पर रिद्धि-सिद्धि का विपुल भण्डार रहता है। लेफ़्टिज लोग नित्य रोज नई खोज करने पर भरोसा करते हैं।
ज्योतिष की ज्योत…
ज्योतिष के क्षेत्र में अपने आत्मानुभव के कारण जीवन को सफल बना लेते हैं। लेफ़्टिज द्वारा बताए गए उपाय, ग्रह-शान्ति, टोना-टोटका जीवन में चमत्कारी लाभ होता है। यह सभी उपाय बिना किसी लालच के केवल कल्याण हेतु बताते रहते हैं।
हिम्मत न हार,फ़कीरा चल-चलाचल-
हिम्मत शब्द का संधि-विच्छेद करें तो हिम+मत होता है। हिम का अर्थ ठण्डा, वर्फ़, शिथिलता होता है तथा मत मतलब नहीं होता है दूसरे अर्थों में बुद्धि, सहमत होना कहते हैं।लेफ़्टिज कभी अपने दिमाग को ठंडा या शिथिल नहीं होने देते। हमेशा स्वयं के मत यानि बुद्धि से ही चलकर सब कुछ पा लेते हैं।
संघर्ष ही इनके जीवन का सब कुछ होता है। वे जानते हैं बिना मेहनत, तकलीफ के कुछ नहीं मिलता। सदा ‘संग’ जिसके ‘हर्ष’ हो, उसे ही सदा संग+हर्ष मानते हैं।तकलीफ़ दोनों का संधि विच्छेद करें, तो तक का अर्थ है- अंतिम सीमा ऒर बहुत छोटी वस्तु को लीफ कहते हैं। इन सकारात्मक विचारों के सहारे बड़े से बड़े दुख दूर कर लेते हैं।
लेफ़्टिज जानते हैं कि पहाड़ जैसी परेशानी से भी हम पार लग जाएंगे। दुःख-सुख की परवाह किये बिना ये चलते जाते हैं ये सोचकर कि-
मुसाफिर हूँ यारों, न घर है,न ठिकाना। बस चलते जाना है।
लेफ़्टिज कभी रुकते नहीं हैं –
- ये रास्ता है जिंदगी, जो थम गए, तो कुछ नहीं।
लेफ़्टिज जानते हैं कि
चलना ही जिंदगी है, रुकना है मौत तेरी।
लेफ़्टिज के खुद की किताब कोरी ही रह जाती है । ये बहुत कुछ पाना चाहते हैं, तभी कसक इनके दिल में बनी रहती है। कोरा कागज़” चलचित्र का ये गीत इन पर खरा उतरता है कि….
मेरा जीवन कोरा कागज, कोरा ही रह गया।
जो लिखा था, आंसुओं के संग बह गया।
लेफ़्टिज अपनी धुन के पक्के होने के कारण हिम्मत न हार फ़कीरा चल-चलाचल। वाली चरितार्थ अपनाकर अपने आत्मबल के बल पर लेफ्टी बस,चलते ही रहते हैं।
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