क्या आप जानते हैं कि बायाँ हाथ बंगाली, कभी न जाये ख़ाली। का अर्थ क्या है? भाग आठ

राहु-केतु का क्लेश

  • अंक ज्योतिष में 4 का अंक का मालिक राहु व केतु दोनो हैं। चीनी न्यूमरोलॉजी लोशु ग्रिड में ‘4’ को राहु का तथा 7 को केतु का अंक माना है।
  • लेफ़्टिज कि लाइफ में राहु-केतु अचानक हानि-लाभ या अपार सफलता अथवा बदनामी दिलाता है। इस भय के कारण ये लोग अत्यधिक ईश्वरवादी होकर ऐसी मानसिकता बना लेते हैं कि…अंत भला तो सब भला।

चार का अंक, त्रिकोण और श्रीयंत्र का रहस्य

हिंदी में ४ लिखें, तो ऊपर का मुख खुला है, इसलिए ऊपर आकाश, ब्रह्माण्ड का सम्पूर्ण ज्ञान इस अंक में समाहित होता रहता है।हिंदी में  अंक की आकृति ऊपर से खुली है। इन्हे कितनी ही दौलत दे दो। इनका मन नहीं भरता।

बस, धन जोड़ने की लालसा रहती है। ४ वाले लोग कुछ अधिक ज्ञानी तथा कंजूस प्रवृत्ति के होते हैं।चार के अंक को अंग्रेजी में 4 लिखें, तो ऊर्ध्व त्रिकोण () अर्थात शिंवलिंग जैसा बनता है। इसी त्रिकोण (∆) को उल्टा नीचे की तरफ कर दे, तो अधोलिंग त्रिकोण श्री लक्ष्मी का स्वरूप हो जाता है।

शारदा तिलक तन्त्र”शास्त्र में उल्लेख है कि ऊपर की ओर त्रिकोण को उर्ध्वलिंग शिंवलिंग तथा अधोलिंग को योनि मानकर दोनो के जोड़ से श्रीयंत्र की रचना हुई। जो धनवृद्धि एवं महालक्ष्मी प्राप्ति का वैज्ञानिक यन्त्र है।

सभी धर्मों में यह पूज्यनीय है। यन्त्र के बीच का बिन्दु प्रथ्वी की शक्ति, आध्यात्मिक, भौतिक, सांसारिक सत्यता का घोतक है। दोनों त्रिकोणों के मिलन से ही सृष्टि का निर्माण हुआ।

4 या 13 के अंक को अशुभ क्यों मानते हैं

कहावत है कि..कुंआरी के भाग्य से ब्याही मर जाती है- लेकिन ऐसा कभी-कभार होता है। इसी तरह 13 या 4 तारीखों में कोई अनहोनी होने से इसे अशुभ घोषित कर दिया और दुनिया ने इस बात को बिना सोचे-समझे अपना भी लिया। इसी कारण विश्व में अनेकों होटल, आफिस ऐसे भी हैं, जिनमें 4 एवं 13 नम्बर का रूम ही नहीं है।

परमपूज्य पुरुषों को प्रणाम

दुनिया में आज तक बहुत से अवतार, महापुरुष हस्त नक्षत्र में जन्मे हैं, जो 27 नक्षत्रों में तेरहवाँ है… हस्त के नक्षत्र में जन्मी आत्माओं में…देवताओं में प्रथम

* पूज्य श्रीगणेशजी

● शेषनाग भगवान

● रूद्रावतार बजरंगबली,

● भगवान श्री परशुराम

● सिख धर्म के प्रवर्तक गुरुनानक देव

● गुरुतेग बहादुर जी साहिब

● गुरु गोविंदसिंह जी

● ईसाई धर्म के प्रेरक ईसा मसीह जी

हिन्दू धर्म में श्रावण मास का विशेष महत्व है। इस महीने सूर्य कर्क यानि चौथी राशि में स्थित रहते है और यह महीना शिव उपासना के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

अघोरी परमहँस श्री श्री कीनाराम जी इनकी तांत्रिक विद्या अचूक थी। नीचे लिखे अघोरी तन्त्र की भाषा आज तक कोई समझ नहीं पाया….

काला निकाल कर लाल डाल,अंजरी-बजरी सब खा ले।

चार अंगुल थी आठ अंगुली फटी, सब नाथों के आगे नाठी।।

  • इसी तरह भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, जो चौथा है।
  • भगवान श्रीराम की राशि और लग्न कर्क है, जो चौथी है।
  • चार से विवाद मत करो – मूर्ख, पागल, गुरु और माता पिता से।
  • चार में शर्म नही करना- पुराने कपड़ो में, ग़रीब साथियों में, बूढ़े माता-पिता में तथा रहन-सहन में।
  • चार दुर्लभ गुण- धन के साथ पवित्रता, दान के साथ विनय, वीरता के साथ दया और अधिकार के साथ सेवाभाव।
  • चार बुराई भाग जाती है – देव-गुरु दर्शन से दरिद्रता, भगवान की वाणी से पाप, जागते रहने से चोर एवं धैर्य से क्रोध।

चार से नुकसान

पति-पत्नी में तनातनी, जन्म पत्रिका में “शनि“, माइंड में “मनी ” और जीवन में “दुश्मनी“। पहले बड़े-बुजुर्ग समझाते थे कि- शब्दों का भी अपना तापमान होता है। शब्द सकूंन भी देते हैं और जला भी देते हैं।

खाली है मेरा हाथ, तेरा हाथ चाहिए..

13’ के अंक में “तेरा”… छुपा है। लेफ़्टिज जगत में सबके कल्याण के लिए जन्म लेते हैं। ये जानते हैं कि भला करोगे, तो लाभ होगा। पीड़ा से पार पाने और पार जाने के लिए बस, तेरा-तेरा करते चलो, यही सन्सार का सार है।

तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा

अंक ज्योतिष में वैसे तो 13 तथा ‘1+3 =4’ और चार 4’ का दुुगुना “8” इन तीनों अंकों को अशुभ मानते हैं। हो सकता है कि “13” अंक में तेरा-तेरा छुपा हुआ हो।

स्वार्थ के इस संसार में कोई भी व्यक्ति तेरा-तेरा करना नहीं चाहता। इसलिए तेरह के अंक को अशुभ माना जाता हो, क्योंकि सन्सार में सब मेरा-मेरा करने में लगे हैं।

तेरहवीं का महत्व क्यों है….

  • शायद इसी कारण जब हम पूरा जीवन मेरा, अपना करते रहतें हैं, तो मृत्यु के 13 दिन बाद तेहरवीं मनाने का नियम बनाया हो, कि मरने के बाद उसको मेरा, अपना, मोह-माया से मुक्ति मिले।
  • तेरहवीं के पश्चात वह तेरा-तेरा कर सके अर्थात मरने के 13 दिन बाद सब कुछ तेरा है। माता-पिता की मृत्यु के पश्चात ही पुत्रादि सम्पत्ति के कानूनन उत्तराधिकारी बन पाते हैं।

तेहरवीं का कारण

  • धार्मिक परम्परानुसार किसी की मृत्यु उपरांत 13वे दिन तेरहवीं की जाती है। मान्यता है कि तरह दिन पश्चात मृतात्मा को मुक्ति मिल जाती है।
  • गौर से देखा जाए,तो जो लोग जिंदगी भर “मेरा-मेरा” करके मरते हैं, तेरहवीं उन्ही की होती है और जो पुण्यात्माएं तेरा-तेरा करके जाती हैं, उनकी पुण्यतिथी मनाई जाती है।
  • भारत में जन्मी ये महान आत्माएं कुछ इस तरह गुनगुनाते हुए जीवन गुजार देती हैं……
  • शम्भू पार लगा दे, अबकी बार लगा दे। ये लोग तेरा-तेरा करते स्वयं भी तर जाते हैं और दुनिया को तार देते हैं सिखधर्म के सिद्ध सद्ग्रन्थ गुरुग्रन्थ साहिब के शब्द हैं कि–

मेरा मुझमें कुछ नहीं, जो कुछ है,सो तेरा !

तेरा तुझको सौप के, क्या लागे मेरा !!

लेफ़्टिज स्त्री बहुत बेहतरीन मिस्त्री..

  • यह बहुत भावुक, मिस्त्री यानि कलाकार अच्छी लेखक, कवि, आर्टिस्ट हो सकती हैं। इन्हें केवल प्यार से ही जीता जा सकता है। ।
  • लेफ़्टिज महिलाएँ वफादार प्रेमिका और पतिव्रता होती हैं। ये बुद्धि या दिमाग से नहीं चल पाने के कारण कभी-कभी बहुत दुःखी-पीड़ित हो जाती हैं।
  • दुनिया इन्हें दर्द देती रहती है, क्यों कि इनमें आत्मीयता बहुत होती है। लेफ़्टिज महिलाएं हमेशा दिल का उपयोग ज्यादा, दिमाग का कम करने के कारण अक्सर धोखा खाकर कराह उठ कहती हैं।

बहुत तकलीफ उठाई, मैंने तेरे इश्क़ में,

जहाँ दिल था, वहाँ अब दर्द रहता है।

  • कुल मिलाकर समझौता करके चलना इनकी मजबूरी होती है। हार-थककर कहती हैं।

जो तुमको हो पसन्द, वही बात करेंगे

  • सबकी पसन्द का ध्यान रखकर, लेफ़्टिज महिलाओं का स्वभाव किसी का दिल दुखाने वाला नहीं होता। ये थोड़ी जिद्दी जरूर होती हैं, लेकिन जल्दी मान भी जाती हैं। इनमें समर्पण बहुत रहता है। दुःख को छिपाकर कभी दिखावा नहीं करती। पहनावा भी इनका बहुत सादगी युक्त रहता है।
  • एक रिसर्च के अनुसार जो महिलाएँ लेफ्ट हेंडर्स होती हैं, वे वैवाहिक जीवन में बहुत सफल होती हैं। कुछ क्रांतिकारी होकर देश-दुनिया में ख्याति पाती हैं। इनके विचारों को, भावनाओं को लोग या परिवार के सदस्य कम ही समझ पाते है।

और ऐसे जानकारी प्राप्त करने के लिए आप amrutam सर्च कर मुझे फॉलो कर सकतें हैं। धन्यवाद्-\10

For Doctor:- https://www.amrutam.global

website:- https://amrutam.co.in

आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से बात करें!

अभी हमारे ऐप को डाउनलोड करें और परामर्श बुक करें!

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *