गुरु के बिना जीवन शुरू नहीं होता!

  • दुनिया में जितने भी लोग भटक रहे हैं उसका कारण निर्गुरे होना है। गुरु की कृपा से जीवन में सुरूर आने लगता है।
  • गुरु के बिना जीवन सही तरीके से शुरू ही नहीं हो पाता है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार बिना सदगुरु के कोई भी धर्म-कर्म, पूजा-पाठ व्यर्थ ही जाती है। इसका फल भूतों को मिलने के कारण इसे भूत पूजा भी कहते हैं।
  • सदगुरु का साथ हो, तो अपना हाथ जगन्नाथ हो जाता है। ऐसे लोगों पर गुरु की कृपादृष्टि होने से वे खुलकर जीते हैं और दोनों हाथ से खर्च करते हैं। फिर भी धन की कमी नहीं आती।
  • हर वर्ष श्रावण पूर्णिमा गुरू पूर्णिमा होती है। अतः श्रावण पूर्णिमा तो हर साल आती और बीत जाती है, किन्तु गुरू शिष्य नहीं बीतते है।
  • गुरु पूर्णिमा का हर शिष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन शिष्य अपने गुरूओं का पूजन सम्मान करते हैं और प्रत्येक पत्र पत्रिका में गुरू के महत्व पर कुछ न कुछ प्रकाशित होता है।
  • प्रायशः पुनुरूक्तियाँ और यदा-कदा मौलिकता भी दृष्टि गोचर हो जाती है । पुनुरूक्ति से लोग चिढ़ते हैं, किन्तु क्या हो? कोटि-कोटि ब्रह्माण्ड पुनुरूक्ति के ही परिणाम है और गुरु…., गुरु तो ईश्वर है। अतः उस पर पुनरूक्ति न होगी, तो क्या होगा?
  • शिव पुराण में कहा गया है- “गुणान् रून्ध”- जो शिष्य में गुणों को भर देता है। वह गुरू है!

!रजसादीन् रून्धान् गुणान् यः व्यपोहति, सः गुरूः! अर्थात- जो शिष्य में भरे हुए रज तम गुणों को निकाल देता है, वह गुरू है।

यः रजसादीन् त्रयगुणान व्यपोहय शिंव बोधयति सः गुरू:

  • यानि जो रजसादि तीनों गुणों को हटाकर शिव का ज्ञान कराता है।, वह गुरू है इत्यादि।
  • भारत में गुरु के सम्मान में कहा गया कि गुरू ही ब्रह्मा, गुरू ही विष्णु, गुरु ही शिव है।
  • सही सदगुरु सदा वर्तमान में ठहरने तथा स्थिरता के सारे उपाय बताता है। उन्हीं उपायों का नाम प्रार्थना है, ध्यान है।
  • प्रार्थना का अर्थ है सम्पूर्ण समपर्ण भाव से प्रेम में झुक जाना, भीग जाना, आर्द्र हो जाना और ध्यान का अर्थ कोई राम-नाम जपना नहीं है। ध्यान का अर्थ है शून्य हो जाना, मिट जाना। सद्गुरू अन्दर के अहंकार को नष्ट करता है। गुरू हमें झुका देता है, ईश्वर के चरणों में:

गुरूओं की गुरुता, इतिहास, सिद्धपीठ, श्री हथियाराम मठ के सिद्ध गुरुओं की मठ परम्परा, सिद्धियों से लबालब ज्ञान क्योरा पर दिया जा चुका है। यह सभी लेख दुर्लभ हैं, जो आपने कभी नहीं पढ़े होंगे।

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