ऐसी कथा है कि जब विष्णु ने राम के रुप मे अवतार लिया और राम सीता और लक्ष्मण 14 वर्ष के लिए वन वन भटक रहे थे,सीता को रावण हर कर ले गया था , तब राम और लक्ष्मण सीता को खोजते हुए वन वन भटक रहे थे और प्राणियो से सीता का पता पूछ रहे थे कि क्या उन्होंने सीता को कही देखा है?
तब एक मोर ने कहा कि प्रभु मैं आपको रास्ता बात सकता हूँ कि रावण सीता माता को किस और ले गया है,पर मैं आकाश मार्ग से जाऊंगा और आप पैदल तो रास्ता भटक सकते है इसलिए मैं अपना एक एक पंख गिराता हुआ जाऊँगा जिससे आप रास्ता ना भटके,और इस तरह मोर ने श्री राम को रास्ता बताया परंतु अंत मे वह मरणासन्न हो गया क्योंकि मोर के पंख एक विशिष्ट मौसम में अपने आप ही गिरते है ,अगर इस तरह जानबूझ के पंख गिरे तो उसकी मृत्यु हो जाती है, श्री राम ने उस मोर को कहा कि वे इस जन्म में उसके इस उपकार का मूल्य तो नही चुका सकते परंतु अपने अगले जन्म में उसके सम्मान में पंख को अपने मुकुट में धारण करेंगें और इस तरह श्रीकृष्ण के रूप में विष्णु ने जन्म लिया और अपने मुकुट में मोर पंख को धारण किया।
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