सांसारिक जीवन को संभालना ही सबसे बड़ी साधना है——

संसार में हर कोई धनशाली होना चाहता है सफलता चाहता है!

लेकिन इसके लिए साधना करनी पड़ती है संसारी सफलता की साधना में सब कुछ साधना पड़ता है…

अपना पराया भी साधना पड़ता है बुद्धि विवेक धैर्य धर्म वाणी कर्मा और क्रोध को भी साधना पड़ता है…

दिलशाद ए सब सुनने ही बना रहता है शून्य से शिखर तक पहुंचना बिना साधना के संभव नहीं है …

सफलता हेतु सहजता सरलता सादगी भी आवश्यक है …

साथ ही अति आवश्यक है शिव की साधना इसे साधना नहीं पड़ता आध्यात्मिक सफलता बिना साधे सहज ही मिलती जाती है ….

कार्य करते हुए ओम नमः शिवाय पंचाक्षर मंत्र गुनगुनाते रहने से सभी सफलता की लंबी राह पकड़ सकते हैं …

आध्यात्मिक प्रयास के बिना भौतिक उन्नति संभव नहीं है सफल होने के लिए अनेक महत्वपूर्ण सूत्र अपनाने होते हैं…

संसार में कोई कितना बड़ा विद्वान हो या अंधह दौलत का स्वामी यह केवल सफलता के सूत्र और साधन ही बता सकते हैं ….

उन्हें पाने के लिए साधना साधक को ही करनी पड़ेगी इसके लिए प्रतिदिन के नियम धर्म और समय सीमा निर्धारण निश्चित करें सक्रियता सफलता की साधना का पहला सूत्र है ….

सक्रियता ही जीवन है निष्क्रियता ही मृत्यु आलस्य और प्रसाद में पड़े रहने वाला समुचित श्रम ना करने वाला व्यक्ति स्वयं अपनी उन्नति के द्वार बंद कर लेता है….

परिश्रम और पुरुषार्थ से ही एक सामान्य पुरुष महापुरुष बन जाते हैं अपनी शक्ति और क्षमताओं का पूरा-पूरा उपयोग कर उन्नति पा जाते हैं!

दीप जलता है संसार को प्रकाश देता है दीपक की सफलता का रहस्य यह है कि वह अपने तेल और बाती को तिल तिल कर जलाता रहता है..

दीपक के जलने का परिणाम ही उसका प्रकाश है जिस समय दीपक अपने कर्तव्य से पृथक हो जाता है….

तब प्रकाश रूपी सफलता उसे दूर चली जाती है…

और दीपक एक मूल्य रहित मिट्टी का पात्र भर रह जाता है …

अतः कष्ट दुख मेरे अंधियारे जीवन में प्रकाश रूपी सफलता हेतु कड़ा परिश्रम करो सफलता सदैव परिश्रमी व्यक्ति का वर्णन करती है …

सफलता का प्रमुख आधार ही सतत परिश्रम है …

बुद्धि रूपी मिट्टी का दीपक बनाओ उसमें अपने रूही रूपी विचारों की बातें बनाकर….

परिश्रम के पसीने रूपी तेल में डुबोकर अपनी शक्ति की अग्नि प्रज्वलित कर सफलता रूपी प्रकाश का दीपक जलाओ छोटे-छोटे विचार …

दुर्भावना दूषित भाव जलाकर अभाव का नाश कर दोगे सफलता ही सभी प्रकार का आभार खत्म करती हैं!

अभाव के मिट्टी व्यक्ति का भी एक भाव एक मूल्य कीमत होती है व्यक्ति चाहे तो स्वयं को वेभाव भी बना सकता है !

दुनिया जिसके पीछे चले लेकिन अहंकार ना पले जीवन में जलील प्रेरित करने वाले लोगों से हमेशा संपर्क बनाए रखें दिल पर कड़वी बातों का जब कुनराघाट होता है !

तब ही व्यक्ति उन्नति का मार्ग होता है सफलता के सूत्र ढूंढता है…

किसी के द्वारा अपमानित करने जलील करने स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने के बाद अंधेरे जीवन में प्रकाश की ज्योति जलाना आरंभ होती है..

महाकवि कालिदास महामूर्ख थे….

उनकी पत्नी यदि उन्हें अपमानित नहीं करती तो वह कभी मां काली के दास नहीं बनते जब तक कोई बात कोई कड़वा शब्द दिल को नहीं छूता तब तक व्यक्ति सोया हुआ पड़ा रहता है ….

काली रात को जब अपनी मूर्खता का एहसास हुआ तभी रे जागे उन्होंने अपनी साधना स्थली बनाया….

उत्तरांचल राज्य के कालीमठ नामक स्थान को जहां उन्होंने …

महाकाली की घोर उपासना कर जीवन के काले अंधकार को नाश कर विध्दता का वरदान प्राप्त किया ऐसे विश्व में अनेकों उदाहरण और किस्से कहानियां हैं…

जिन्होंने अपने जीवन अर्थात जी के वन मैं हरियाली बिखेर दी भाव को बदला तो अभाव का नाश हुआ…

निराशा को छोड़ा तो प्रकाश का उदय हुआ दूषित विचार त्यागते ही एक गरीब ब्राह्मण आचार्य चाणक्य हो गए सफलता का सबसे प्रथम सूत्र है….

शिव की साधना उपासना प्रतिपल चलते-फिरते सोते जागते आते जाते..

प्रत्येक श्वास में पंचाक्षर मंत्र का प्रवेश होने से दुर्भाग्य के बड़े-बड़े ताले टूट जाते हैं …

शिव नाम की धूनी जलते ही सभी की सुनी बगिया लहरा उठती है!

जो लोग निष्क्रिय हैं वह जीवन में कुछ नहीं कर पाते आलस्य मैं समय गवाते हैं…

वह स्वयं अपना महत्वपूर्ण समय पूंजी धन एवं जीवन बर्बाद कर सफलता क्या पा सकेंगे कुछ लोग कार्य की योजना बनाते हैं…

लंबी लंबी बातें करते हैं पर उसे वास्तविक जीवन में कर्मों में नहीं उतारते अनेक व्यक्ति यह गलती करते हैं कि सारी शक्ति सोचने समझने विचार ने योजना बनाने में ही लगा देते हैं…

धर्म पर डटे रहने वाला व्यक्ति अशांत और तनावग्रस्त नहीं होता उसके निर्णय भावनाओं के स्थान पर विवेक पर आधारित होते हैं …

धर्म और प्रतिष्ठित रहने से मिलने वाली विजय दमनकारी ना होकर आंतरिक परिवर्तन लाने वाली होती है…

विरोधियों पर इनकी विजय भी भौतिक ना होकर हृदय की दुर्भावना पर होती है…

यह लोग पराजित आदमी के मन में हीनता के स्थान पर कृतज्ञता का भाव भर देती है ….

व्यक्ति के भाव परिवर्तित कर अभाव दूर करने की क्षमता धार्मिक व्यक्ति में होती है …

दृढ़ता से तय करो तो सब कुछ संभव है आप भी उतनी ही सक्षम है जितना कोई सफल व्यक्ति…

हम लक्ष्य आते ही आलसी हो जाते हैं और सोचते हैं कि यात्रा पूरी हो गई विकास से अपने का मतलब है… मौत

निजी हितों से ऊपर उठकर देश समाज के लिए जो कुछ करता है वही अभिनंदन के योग्य होता है…

मूर्ख और कट्टरपथी हमेशा अपने विचारों के प्रति आश्वस्त होते हैं बुद्धिमान सदैव संदेहो मैं घिरे रहते हैं..!

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