मखाना वीर्य बढ़ाकर उसे गाढ़ा करने में चमत्कारी है
- मखाने का उल्लेख अनेक धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। शीघ्र वीर्य पतन शुकस्रात्र, वीर्य न बनना एवं वीर्याल्पता आदि पुरुषों के गुप्त विकारों में शक्कर युक्त गर्म दूध के साथ पकाकर खिलाते हैं।
- मखाना उत्तर, मध्य तथा पश्चिम भारत के स्वच्छ पानी के तालावों तथा झीलों में होता है। मखाना कमल का बीज ही है।
- त्वचा रोग और आंखों की समस्या होने पर 10 ग्राम मखाने देशी घी में गर्म कर ऊपर से सेंधा नमक और कालीमिर्च भुरख कर सुबह खाली पेट 45 दिन तक लगातार खाना चाहिए।
- आयुर्वेद के पुराने शास्त्रों, किताबों में मखाना बहुत चमत्कारी ओषधि बताई है। अघोरी साधु तंत्र मंत्र में भी प्रयोग करते हैं।
- एक सिद्ध अघोरी साधु शंकरानंद जी के अनुसआर घर के मुख्य दरवाजे पर 108 मखाने की माला प्रत्येक रविवार को दुपहर 11.35 से 12.55 के बीच सफेद धागे में पोकर बांध दी जाए, तो सभी वास्तु दोष उच्चाटन आदि क्लेश मिटने लगते हैं।
- द्रवाजे पर हमेशा मखाने की माला लगी रहने से हाय, नजर, रुकावट दूर होती है।
- शीघ्र वीर्य पतन शुकस्रात्र, वीर्य न बनना एवं वीर्याल्पता में दूध में पकाकर खिलाते हैं,
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