माला से पाएं शिवाला! क्यों होते हैं-माला में 108 मनके

क्यों होते हैं जपमाला में 108 मनके —
माला में १०८ मनके होते हैं।
जब भी किसी मंत्र का जाप किया जाता है तो वो 108 बार ही क्यों किया जाता है।
आइए जानते हैं इसके बारे में….
योगचूड़ामणि उपनिषद में कहा गया है-
पद्शतानि दिवारात्रि 
सहस्त्राण्येकं विंशति।
एतत् संख्यान्तिंत मंत्र 
जीवो जपति सर्वदा।।
आयुर्वेद शरीर विज्ञान के मुताबिक
 भी एक स्वस्थ व्यक्ति दिन में करीब 21,600 बार सांस लेता है।
इसमें 12 घण्टे दिन के काम करने में
यानि 10800 श्वांस कर्म करने में
व्यतीत हो जाते हैं। शेष 12 घण्टे की 10800 सांस ईश्वर के स्मरण मतलब
!!ॐ नमः शिवाय!! का मन्त्र जाप
करते हुए हरेक इंसान को गुजारना चाहिए।
बहुत सुख-सुविधा दे रखी है-महादेव ने..
 १०८०० में भी महाकाल ने 2 शून्य हटा दिए, तो शेष 108 बचता है। इसलिए स्वस्थ्य-प्रसन्न रहने के लिए हर हाल में,
कैसे भी समय निकालकर एक माला
यानि 108 बार पंचाक्षरी मन्त्र
 !!ॐ नमःशिवाय!! 
का जाप जरूर करना चाहिए,
ताकि जीवन में शरीर को स्वस्थ्य रखने
के लिए पंचमहाभूतों (आकाश, अग्नि, वायु, जल और प्रथ्वी)  की पूर्ति शरीर में होती है,  जिससे ऊर्जा का संचार होता है।
एक माला के जाप से कभी कोई रोग
बीमारी नहीं होती यह आजमाया
 हुआ प्रयोग है।
शास्त्र-ग्रन्थ लिखते हैं-
 कि परमात्मा ने हर प्राणी को 21600 के हिसाब से सबको निश्चित सांस दी हैं।
 लेकिन मनुष्य अपनी श्वांस को इस तरह उपयोग कर बर्बाद कर देता है—-
जाने क्या है-
इंसान के सांसों का गणित..
बैठत बारह, 
चलत अठ्ठारह, 
सोबत में छत्तीस।
भोग करें, तो चौसठ टूटे, 
क्या करें जगदीश।।
अर्थात- बैठते समय एक मिनिट में 12 सांसे, चलते समय 18 और सोते वक्त 36 श्वांस टूट जाती हैं तथा भोग-सम्भोग करने से एक मिनिट में 64 साँसों का क्षय हो जाता है। इसलिए हमारे महर्षियों ने ब्रह्मचर्य होने का निर्देश दिया है।
इसलिए सभी धर्मों में मानसिक शान्ति और
दुःख-दारिद्र से मुक्ति के लिए माला के मनकों की संख्या को 108 निर्धारित किया गया है, ताकि व्यक्ति रोज दो माला में हर सांस के प्रतीक के तौर पर ईश्वर का ध्यान-स्मरण कर सके।
शिवपुराण के श्लोक 28 में माला जप करने के संबंध में बताया गया है कि अंगूठे से जप करें तो मोक्ष, तर्जनी से शत्रुनाश, मध्यमा से धन प्राप्ति और अनामिका से शांति मिलती है।
ज्योतिष के जरिये 108 का रहस्य
ज्योतिष के अनुसार ब्रह्मांड को 12 भागों में विभाजित किया गया है। इन 12 भागों के नाम मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन हैं। इन 12 राशियों में नौ ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु विचरण करते हैं। अतः 12 राशियों में 9 ग्रहों की संख्या का गुणा किया जाए, तो कुल जोड़ 108 हो जाता है।
नक्षत्र का एक छत्र राज...
ज्योतिष ग्रंथो के अनुसार एक राशि में सवा दो नक्षत्र होते हैं। 12 राशियों से २-१/४ सवा दो राशियों से गुणा करने पर  कुल 27 नक्षत्र हो जाते हैं। हर नक्षत्र के 4 चरण होते हैं और 27 नक्षत्रों के कुल चरण 108 ही होते हैं। माला का एक-एक दाना नक्षत्र के एक-एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है।
इन्हीं कारणों से एक माला में
108 मनके होते हैं।
108 का शारीरिक विज्ञान
माला के 108 मनके हमारे हृदय में स्थित 108 नाड़ियों के प्रतीक स्वरूप हैं।  माला का 109 वां मनका सुमेरु कहलाता है। जप करने वाले व्यक्ति को एक बार में 108 जाप पूरे करने चाहिए। इसके बाद सुमेरु से माला पलटकर पुनः जाप आरंभ करना चाहिए।
 एक बार माला जब पूर्ण हो जाती है, तो अपने ईष्टदेव का स्मरण करते हुए सुमेरु को मस्तक से स्पर्श किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मांड में सुमेरु की स्थिति सर्वोच्च होती है।
हिंदू धर्म में 108 संख्या को बहुत पवित्र माना गया है।
शुभ व धार्मिक संस्कारों की दृष्टि से 108 बहुत मंगलकारी है।
सूर्य से 108 का सम्बन्ध….
कहा जाता है कि माला के 108 मनकों और सूर्य की कलाओं का गहरा रिश्ता है। एक साल में सूर्य 2 लाख, 16 हजार बार कलाएं बदलता है। दो बार अपनी स्थिति में परिवर्तन कर छह माह उत्तरायण और छह माह ही दक्षिणायन रहता है।
इस प्रकार हर छह माह में सूर्य 1 लाख 8 हजार बार कलाओं में परिवर्तन करता है। संख्या 108,000 में अंतिम तीन शून्यों को हटाकर 108 मनके निर्धारित किए गए हैं।
हर मनका सूर्य की कलाओं का प्रतीक है। इसके पीछे मान्यता है कि सूर्य का तेज माला के हर मनके के जरिए व्यक्ति की आत्मा में  प्रवेश कर सौभग्य में वृद्धि करता है।
फूलों की माला ईश्वर को अर्पित करने का वैज्ञानिक कारण क्या है?
पुष्प प्रथ्वी तत्व का प्रतीक होते हैं।
मान्यता है कि- ईश्वर को फूल की माला चढ़ाने से वायु तत्व की वृद्धि होती है।
मन के विकार मिटकर, तन-मन रोग-रहितं
और हल्का हो जाता है।
शिंवलिंग पर यदि फूलों से 27 दिन लगातार
श्रृंगार किया जावे, तो धन की वृद्धि होने लगती है। भविष्यपुराण, ब्रह्मवैवर्त ग्रन्थ
में इनके बारे में अनेकों उपाय बताया हैं।
माला जपते समय रखे रखें ध्यान..
माला जपते वक्त हमेशा एक दीपक
राहुकी तेल का जरूर जलन चाहिए।
अग्नि को साक्षी अर्थात गवाह माना गया है।
यदि आप जाप करते समय दीपक जलाते हैं, तो यह क्रम आपके पुण्य में सम्मिलित हो जाता है।
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