स्त्रियों की विकराल समस्या…
जब वे बहु होती हैं, तो उन्हें सास अच्छी नहीं मिलती और जब स्त्री सास बन जाती है, तो बहु ठीक नहीं मिलती।
शिवपुराण आदि ग्रन्थों में स्त्री, नारी को इच्छाधारी प्रकृति बताया है। वह तभी खुश रह सकती है, जब तक उसके मन की होती है।
पुरुष का काम है…. समर्पण करना। यदि मर्द अपने काम के प्रति सचेत, समर्पित रहकर परिवार की पूरी जिम्मेदारी निभाये, तभी वह स्त्री से प्रेम करने का हकदार है। लेकिन यह असम्भव है क्योंकि….
- पुरुष जीतना, लूटना चाहता है और स्त्री लुट जाना चाहती हैं। नारी की कमजोरी है-समर्पण और मर्द सारथी का ढोंग करके आरती को प्रेमपाश में फंसाता है। फिर स्वार्थी बनकर सेवन करता है।
- नारी जातक आदि शास्त्रों में स्त्री को शक्ति कहा गया है। लेकिन इसी शक्ति में से छोटी इ की मात्रा विलोप कर दें, तो स्त्री शक्त हो जाती है और शक्त स्त्री से प्रेम करना, पत्थर पर सिर मारने जैसा है।
- स्त्री स्वयं ही प्रेम का प्रतीक है। क्या गुड़ को मीठा किया जा सकता है। ऐसे ही स्त्री से प्रेम करना मिश्री को मीठा करने जैसा ही मुश्किल काम है।
- दरअसल एक भयंकर बिडम्बना यह है कि ९९ फीसदी पुरुष सैक्स को प्रेम कहते हैं। आदमी के लिए प्यार का मतलब है, तन पाना, रात बिताना।
- सैक्स जैविक है, शारीरिक है। तुम्हारी केमिस्ट्री, तुम्हारे हार्मोन, सभी भौतिक तत्व उसमें संलग्न हैं।
- एक बिकराल समस्या यह है कि पुरुष स्त्री के साथ सोने का, तो आनंद उठाना चाहता है, परन्तु वह जागना नहीं चाहता।
हर बाजी मारेंगे आप….
- प्रत्येक पुरुष औरत को शारीरिक रूप से संतुष्ट करने चाहता है। मर्द की मूल भावना यही है। प्रेम, दया, करुणा, उदारता तथा समर्पण के क्षेत्र में वह हमेशा से पिछड़ता रहा है।
-
- गन्दी बातों के प्रति पुरुषों का आकर्षण इतना जबरदस्त है कि सेक्स की बात चलते ही हर कोई रिलेक्स महसूस करता है।
- सेक्स का ख़्याल ऐसा है कि – मर्दों की खाल-खाल/अंग-अंग में समाया हुआ है। यह दिमाग से जाता ही नहीं है। सेक्स अमृत भी और जहर भी, जो सबके जहन में वर्षों से बसा हुआ है।
- देश में जगह-जगह मर्दाना ताकत बढ़ाने, कमजोरी मिटाने के विज्ञापन होते हैं। इसका मतलब नारी कमजोर नही है। लेकिन वो दयाभाव, अपनेपन की वजह से कमजोर महसूस करती है।
मजबूरी अमृतम की भी है कि इस आयुर्वेदिक कम्पनी ने शारीरिक क्षीणता, नामर्दी मिटाने एवं वीर्य वृद्धि के लिए बी फेराल माल्ट तथा कैप्सूल का निर्माण किया है।
अगर आपको हर बाजी जीतने की तमन्ना है, तो इस औषधि को हमेशा लेते रहें। बी फेराल के लाजबाब परिणाम आपको 50 की उम्र तक भी खल्लास नही होने देगा।
B Feral Gold Malt & Capsule ये दोनो दवाएं खाकर आप सदैव दुआएं देंगे। यह आयुर्वेद के प्राचीन ग्रन्थ द्रव्यगुण विज्ञान के मुताबिक 5000 वर्ष पुरानी पध्दति से तैयार किया है।
मुकद्दर की मारी-नारी बेचारी…
- नारी की अपनी कोई अलग पहचान नहीं है। नारी का अस्तित्व उतना ही है जिस मात्रा में वह पुरुष से संबंधित होती है। पुरुष का संबंध ही उसका अस्तित्व है उसकी अपनी कोई आत्मा नहीं है।
- स्त्री का कोई अस्तित्व न होने से वह सदैव बैचेन रहकर स्वयम को डरा हुआ अनुभव करती है। नारी की सारी ताकत दिखाने की होती है और अंदर से वो उतनी ही कमजोर रहती है।
- महिलाओं का कुछ भी अस्तित्व ही नहीं है, मां का अस्तित्व है, बहन का अस्तित्व है, बेटी का अस्तित्व है, पत्नी का अस्तित्व है, नारी का कोई भी अस्तित्व नहीं है। नारी जैसा कोई व्यक्तित्व ही नहीं है।
- स्त्री प्रेम और समर्पण के बलबूते जीना चाहती है लेकिन पुरुषों ने दुःख की दुनिया का निर्माण कर दिया।
- आदमी की मोह-माया, स्वार्थ के चलते एक अत्यंत उदास, हारा हुआ, दुखी मनुष्य और एक ऐसा समाज पैदा हुआ है, जो प्रतिपल परेशानियों, तकलीफों, युद्धों से, संघर्षों से और विनाश से गुजरता रहा है।
लालसा-लोभ के कारण तीन हजार वर्ष के इतिहास में आज तक आदमी ने पंद्रह हजार से ज्यादा युद्ध लड़े। यानि हर साल पांच युद्धों का संघर्ष चलता रहा है!
नारी कभी इश्क की तैयारी पहले नहीं करती…
यह बात सही है कि प्रेम का प्रारंभ पुरुष करते हैं और निभाती स्त्री है। प्यार का इजहार कभी नारी कर ही नहीं पाती। वो प्रेम के झांसे में आकर गलत सवारी कर बैठती है। मर्दों को समझना, जाना…..बस इसी तैयारी में नारी फैल है।
प्यार से रहें होशियार….
- नारी घर बनाती है और आदमी रिश्ते। वे रिश्ते भी ऐसे होते हैं, जो सदा रिसते रहते हैं। खासकर अवैध सम्बंध बनाने में मर्दों को महारत रहती है।
- अनैतिक प्रेम करने वाले पुरुष ज्यादातर फ्रेम में टँगे मिलते हैं। हमारी तो यही नेक सलाह है कि जीवन में कोई साथ नहीं देता। अंत में एक मात्र चप्पल ही साथ देती है। अतः प्रेम में इतने भावुक होने की जरूरत नहीं है।
- पुरुष को स्त्री के तन से प्यार होता है और स्त्री को पुरुष के वेतन से यह भी एक सच्चाई है। बड़े-बड़े धनशाली लोग इस तन पाने की तरन्नुम में वे-तन यानि फटेहाल हो गए।
- प्रेम के चक्कर में स्त्री के थन-स्तन देखकर छोटे मन वाले मर्द का मन भी बड़ा हो जाता है और वे बर्बाद होते हैं।
- स्त्री के प्यार में सफाई-सच्चाई पुरुष की तुलना में अधिक होती है। मर्दों में एक रात की मुलाकात का बड़ा महत्व है। पुरुष का प्यार ऊपर से आरम्भ होकर सीधे नीचे पहुंच जाता है, जबकि नारी कुवारी हो या शादीशुदा वह भविष्य के सपने गुनती है।
- वात्स्यायन की बद्दुआ…
- महर्षि वात्सायन ने छेद का भेद बताने के लिए कामसूत्र/कामशास्त्र नामक ग्रन्थ की रचना कर डाली लेकिन वे भी हताश होकर गए और अंत में खेद व्यक्त करते हुए धरती से विदा हुए।
- प्रेम करना केवल स्त्री का ही काम है। पुरुष को तो मात्र दाम पर दिमाग लगाकर स्त्री की इच्छा पूरी करना जरूरी है।
- स्त्री पुरुष को सदैव उकसाती है, लेकिन आक्रमण नहीं करती। पुरुष का प्रेम प्रचार है, नारी का शांत।
- स्त्री तुम्हें बुलाती है, लेकिन चिल्लाती नहीं। उसका बुलाना भी बड़ा मौन है. वह तुम्हें सब तरफ से घेर लेती, लेकिन तुम्हें पता भी नहीं चलता।
- स्त्री जब प्रेम में डूबती है, तो उसका पूरा शरीर बगीचा हो जाता है तथा मर्द का गार्डन-गार्डन दिल या बगीचा उजड़ जाता है।
- प्रेम में पड़े पुरुष की देह अलौकिक खुशबू से युक्त बगीचा नहीं बन जाता यही स्त्रियोचित भव्यता है।
- प्रेम में पड़़ा पुरुष…शायद, समंदर जैसा कुछ हो जाता है। नीलवर्णीय अनंतिम, अप्रतिम, लहरों सा उछलकर जलप्रपात जैसा गिरता हुआ झरना।
- अधिकांश स्त्रियां एक- दूसरे की बुराई करते-करते नहीं थकती और पुरुष प्रसंशा करते हुए। फिर भी पुरुष ही बदनाम है।
स्त्री यदि आक्रामक होगी, तो, वह आकर्षक नहीं होती है। आक्रामक स्त्री की सुंदरता, खूबसूरती जल्दी घट जाती है।
भूल या भाग्यवश यदि कोई नारी या कुंवारी पुरुष के पीछे पड़ जाए और प्रेम का निवेदन करने लगे तो आदमी घबरा जायेया, वह वहां से भागेगा।
क्योंकि पटाना, भगाना, इम्प्रेष करना यह सब काम पुरुषजन के होते हैं। मानव मन घबरा जाता है कि वह स्त्री पुरुष जैसा व्यवहार कर रही है यानि उसमें स्त्रैण के गुण नहीं है। स्त्री का स्त्रैण होना, उसका माधुर्य इसी में है कि वह सिर्फ प्रतीक्षा करती है।
स्त्री और मिस्त्री हमेशा अपने मूड से चलते हैं। इनकी इच्छा है, तो घर बेहतरीन बना दें अन्यथा घर खराब कर दें।
मौसम की तरह स्त्री का प्रेम भी परिवर्तन शील रहता है। आपके प्यार का वो क्या साभार देगी पता नहीं।
मर्द की वजह से स्त्री के पैर भारी होने से वह उसकी आभारी रहती है। पैर भारी होने के बाद कि तैयारी में व्यक्ति का पूरा जीवन उहापोह में गुजर जाता है।
प्रेम एक ऐसी अबूझ पहेली है, जिसके रहस्य को जानने की कोशिश में जाने कितने प्रेमी दार्शनिक, कवि और कलाकार बन गए।
अंत में सन्त वचन….केवल पुरुषों के लिए
स्त्री जातक एवं स्त्री रहस्य नामक पुस्तक के मुताबिक़ 22 और 38 उम्र की आयु के बीच हरेक स्त्री शारीरक सम्बध अथवा सेक्सुअल रिलेशन बनाने की इच्छा ज्यादा रहती है।
अगर इस उम्र में स्त्री की शरीक काम वासना पति से पूर्ण नहीं होती है, तो वह नारी किसी अन्य गैर पुरुष के साथ अनैतिक शारीरक सम्बध बना लेती है।
आयुर्वेदिक शास्त्रों के हिसाब से भी इस उम्र को सम्भोग या सेक्स करने के लिए सर्वश्रेष्ठ बताया गया है और इस आयु में सेक्स के लिए महिला में सर्वाधिक उमंग-ऊर्जा होती है अर्थात सहवास का उत्साह चरम पर होता है।
अनुभवी काम शास्त्रियों के अनुसार एक महिला लगभग 25 से 30 मिनट के लगातार सेक्स से संतुष्टि हो पाती है। स्त्रियों को मर्दों के मुकाबले संतुष्ट होने में ज्यादा समय लगता है।
अगर कोई मर्द सम्भोग के समय आधा घण्टे का भोग नहीं लगा पा रहा हो, तो तत्काल बी फेराल गोल्ड माल्ट और कैप्सूल 2 से 3 महीने दूध के साथ लेना शुरू करें।
यह आयुर्वेदिक औषधि सेक्स की समय सीमा बढ़ाकर वीर्य को गाढ़ा करने में कारगर है।
सेक्स-सम्भोग के समय इतना रखें ख्याल….
खाल से ही खाल को आनंद की प्राप्ति होती है। केवल ख्याल में खोए रहने से स्त्री को संतुष्टि नहीं मिला करती संभोग से पहले भगनासा को छूने, सहलाने, दबाने या मलने से स्त्री कामातुर हो उठती है। सेक्स से पूर्व स्त्री को गर्म अवश्य करें।
सहवास करने से पहले क्या करें?…
सहवास के समय यदि पुरुष अपना लिंग स्त्री के भगनासा/योनि पर फिराता है या उससे घर्षण करता है तो स्त्री कम समय में ही चर्मोत्कर्ष पर पहुंचकर कामाक्षी हो जाती है और वह सेक्स में पूर्ण संतुष्टि और तृप्ति की अनुभूति करती है। मर्द का भी सहयोग करती है।
नारी की बीमारी का देशी इलाज…
अगर आप स्त्री से प्रेम करते हैं, तो उसकी सुंदरता और खूबसूरती बढ़ाने के लिए 3 महीने तक नारी सौंदर्य माल्ट और कैप्सूल का सेवन अवश्य कराएं। नारिसौन्दर्य ऑयल से मालिश करवाएं
Leave a Reply