नमःशिवाय के चमत्कार….

!!ॐ नमःशिवाय!! मंत्र की उत्पत्ति 

कैसे हुई और विभिन्न भाषाओं में नाम ...

सावन माह/श्रवण मास
पर दुर्लभ जानकारी!
भजले मनवा नमःशिवाय।
व्यर्थ सुनहरा जीवन जाय।।
भगवान शिव को प्रसन्न कर रिझाने
वाले सृष्टि का महामन्त्र ॐ नमः शिवाय
की उत्पत्ति का रहस्य बहुत कम लोगों
को मालूम है।
नमः शिवाय मन्त्र का अर्थ है-
भगवान भोलेनाथ शिव को नमस्कार,
जो सदैव सबका मङ्गल करता है।
इस पंचाक्षर के अजपा
तथा सिद्ध होने से सन्सार का हर सुख साधक के साथ सूक्ष्म रूप जुड़ जाता है।
!!ॐ नमः शिवाय!! के निरन्तर जाप से
व्यक्ति की हरेक मनोकामना सोचने
मात्र से पूर्ण होने लगती है।
कहां से आया ॐ नमःशिवाय मन्त्र….
ॐ नमः शिवाय मन्त्र चार वेदों में से
एक कृष्ण यजुर्वेद रुद्राष्टाध्यायी के
हिस्से श्री रुद्रम् चमकम् में मौजूद है।
यह तैत्तिरीय संहिता के दो अध्यायों
से मिल कर बना है।
यह मंत्र “न”, “मः”, “शि”, “वा” और “य”
इस वेद के प्रत्येक अध्याय में एकादश
स्तोत्र हैं, जो महादेव शिव के एकादश
रुद्रों यानि रक्षक को समर्पित हैं।
दोनों अध्यायों में अध्याय पाँच
 का नाम नमकम् एवं अध्याय सात
नाम चमकम् कहलाता है।
इन्हें नमक-चमक भी कहा जाता है।
!!ॐ नमः शिवाय!!  महामंत्र, महादेव
को प्रसन्न करता है।
यह शैव सन्त सम्प्रदाय के गुरुमन्त्र में से लिया गया है। यह मुक्तिमन्त्र भी है।
शिष्य या साधक की साधना से प्रसन्न
होकर सदगुरु बाद में अपने परमशिष्य
को प्रदान करते हैं।
 !!ॐ!! रहित रुद्री नमकम् अध्याय
के आठवे स्तोत्र में
ॐ नमः शम्भवाय च मयोभवाय च 
नमः शङ्कराय च मयस्कराय च 
नमः शिवाय च शिवतराय च।। 
के रूप में मौजूद है। इसका अर्थ है “
शिव को नमस्कार, जो शुभ है और
शिवतरा को नमस्कार जिनसे अधिक
कोई शुभ नहीं है, जो हर असम्भव को
शिव पल में सम्भव कर देते हैं।
मंत्र का विभिन्न परंपराओं में अर्थ...
नमः शिवाय का अर्थ “भगवान शिव
को नमस्कार” या उस मंगलकारी
को प्रणाम! है।
इसे शिव पञ्चाक्षर मंत्र भी कहा जाता है।
यह भगवान शिव की महिमा एवं उनके स्वरुप को दर्शाने, बतलाने वाला मन्त्र है।
पंचतत्व का प्रतीक इस मंत्र का निरन्तर
जाप शिव भक्त की आत्मा-हृदय की गहराइयों में पहुंचकर शिव से उसका साक्षात्कार कराता है।
पांच अक्षर का महत्व..
ॐ नमःशिवाय मंत्र में पांच फ़नधारी
शेषनाग और पंचब्रह्मरूपधारी भगवान
शिव इसमें अप्रमेय होने के कारण वाच्य
है और मंत्र उनका वाचक माना गया है।
 यह मंत्र शिव तथ्य है जो सर्वज्ञ, सर्वकर्ता, सर्वव्यापी होकर कण-कण में प्रतिष्ठित हैं।
आदि वैद्य बाबा वैद्यनाथ...
जैसे आयुर्वेदिक ओषधियाँ रोगों का
स्वभाव से दुश्मन हैं, उसी प्रकार भगवान
शिव सम्पूर्ण संसार दोषों के स्वाभाविक
शत्रु माने गए हैं।
जिस प्रकार बीमार व्यक्ति बिना वैद्य या चिकित्सक के रोग मुक्त नहीं हो सकता,
वह देह सुख से रहित होकर अनेक
परेशानी या क्लेश उठाते हैं, उसी प्रकार
 बैधनाथ शिव का ध्यान, स्मरण नहीं
करने तथा सदाशिव का आश्रय न लेने
से संसारी जीव नाना प्रकार के कष्ट,
दुःख गरीबी भोगते हैं।
एक खास बात यह भी है कि- वैद्य या
चिकित्सक केवल शरीर के रोगों का
इलाज करते हैं और बाबा बैद्यनाथ
तन-मन, अन्तर्मन और अन्तरात्मा
को रोगरहित और पवित्र कर देते है।
!!ॐ नमःशिवाय!! जपने से फायदे…
■ ॐ नमःशिवाय मन्त्र के जाप से रोग,
शोक, दुःख-दरिद्र का दमन हो जाता है।
■ पच्चाक्षर मंत्र के जप में लगा प्राणी
चाहें किसी भी वर्ग या जाती का हो।
■ महा कपटी महापापी हो।
पंडित, मूर्ख, अंत्यज अथवा
अधर्मी भी हो, तो वह पाप जनित
दुःखों से मुक्त होकर तर जाता है।
■ ॐ नमः शिवाय मंत्र आदमी के
अहंकार और आक्रामकता को झुकाकर शालीन बनाता है।
■ ॐ नमःशिवाय मन्त्र गुरु रूप में
समय-समय पर सही मार्गदर्शन कर
सफलता, सम्पत्ति दिलाता है
■ और साधक के अतिरंजित मन से
विकार, तनाव को  मिटाता है।
■ नवग्रहों की विपरीत चाल से उत्पन्न परेशानियां, अड़चनें, रुकावट दूर करता है।
■ हानि, अपमान तथा नकारात्मक
प्रभाव को मिटाता है।
■ शिव को समर्पित इस पांच अक्षर के
मन्त्र में अनंत रहस्य,  बहुमुखी प्रतिभा
और महान शक्ति छुपी है।
■ शिव भक्त ब्रह्मचारी साधु शैव संप्रदाय
में नमः शिवाय को भगवान शिव के पंचमहाभूतों का बोध कराकर भोलेनाथ
की पाँच तत्वों पर सम्पूर्ण सत्ता,
सार्वभौमिक एकता को दर्शाता मानते हैं ।
■ ॐ नमः शिवाय मन्त्र का हर अक्षर
बताता है कि सार्वभौमिक चेतना एक है।
■ इस मन्त्र के पांचों अक्षर पंचतत्व को ऊर्जावान बनाये रखते हैं। जिससे सन्सार चल रहा है।
ॐ नमःशिवाय मन्त्र पंचतत्व का 
प्रतिनिधित्व करता है-जाने कैसे….
” ध्वनि पृथ्वी का प्रतिनिधित्व करता है
मः” ध्वनि पानी का प्रतिनिधित्व करता है।
शि” ध्वनि अग्नि का प्रतिनिधित्व करता है।
वा” ध्वनि प्राणवायु अर्थात श्वांसों का
प्रतिनिधित्व करता है।
” ध्वनि आकाश का प्रतिनिधित्व करता है।
सृष्टि को बैलेंस में रखने के लिए सभी
को ॐ नमःशिवाय मन्त्र की कम से
कम एक माला जपकर हम प्रकृति का
ऋण चुका सकते हैं, जिससे सृष्टि चल
रही है। यह मन्त्र जपकर इन पंचमहाभूतों
को अर्पित करने से कभी दुख नहीं सताते। मानसिक सन्ताप नहीं होता।
आदि शंकराचार्य के गुरु गोविंदपाद 
स्वामी के अनुसार पंचाक्षर नमःशिवाय 
से ही सन्सार चलायमान है।
 
सृष्टि संचालक नमःशिवाय के रहस्य
” शब्द भोलेनाथ की  तिरोधान शक्ति
ईश्वर के रहस्यों को गुप्त रखने की शक्ति
का प्रतिनिधित्व करता है।
मः” शब्द सम्पूर्ण चराचर जीव-जगत का प्रतिनिधित्व करता है।
शि” मानव के शिवरूपी शिंवलिंग का प्रतिनिधित्व करता है।
वा” यह नटराज की अनुग्रह शक्ति
यानि खुलासा करने वाली शक्ति का
प्रतिनिधित्व करता है।
” सृष्टि में हरेक आत्मा का
प्रतिनिधित्व करता है।
सार यही है कि ॐ का अर्थ मैं
शिवांश रूपी आत्मा देह नहीं,
नमः अर्थात नमन-नमस्कार करता हूँ….शिवाय मतलब परम सत्ता
परमात्मा को।
दक्षिण में धूम….
ॐ नमःशिवाय मन्त्र का सर्वाधिक
प्रचार ऋषि दुर्वासा, गुरु परशुराम,
महर्षि अगस्त्य, शुक्राचार्य, राहुदेव,
दशानन रावण, मार्केंडेय ऋषि,
ने किया।
तिरुमंतिरम, तमिल भाषा में लिखित
शास्त्र, इस मंत्र का अर्थ बताता है ।
शिव पुराण के विद्येश्वर संहिता के
अध्याय १/२/१० और वायवीय संहिता
के अध्याय १३ में ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र
लिखा हुआ है।
तमिल शैव शास्त्र, तिरुवाकाकम,
न”, “मः”, “शि”, “वा” और “य
अक्षरों से शुरू हुआ है।
ॐ नमःशिवाय कैसे सिद्ध करें..
प्रातः सुबह स्नान के बाद किसी भी
स्वच्छ स्थान पर एक दीपक अमृतम
राहु की तेल का जलाकर आसन पर
बैठ जाएं और गहरी-गहरी सांस नाभि
तक धीरे-धीरे तीन बार लेकर छोड़े।
रुद्राक्ष की या अन्य कोई माला से
।।ॐ नमःशिवाय।।मन्त्र कण्ठ से
जपते हुए नाभि में स्टोर करें अर्थात
अपना ध्यान केवल नाभि पर लगाएं।
हमारे सद्गुरु बताते हैं कि कोई भी
मन्त्र जपते समय शरीर के किसी हिस्से में संकलित करना जरूरी है।
जैसे हम समृद्धि, सम्पत्ति को अलमारी
आदि में संग्रहित करते हैं, तभी वह सिद्ध होता है।
आवश्यक नहीं है कि आप रोज
10-20 या 100 माला जाप करें।
एक माला भी यदि अपने नाभि में
ध्यान लगाकर स्टोर करने का अभ्यास
कर लिया, तो मात्र 54 दिन में आपको
अपनी सिद्धि-शक्तियों का अहसास या अनुभव होने लगेगा। यह अत्यंत गूढ़ और रहस्यमयी ज्ञान है।
शेष जानकारी अगले किसी लेख में दी जावेगी। फिलहाल यह प्रयोग कर अपना अनुभव साझा करें।
ऐसा नहीं है कि यह पंचाक्षर मन्त्र
केवल हिंदुओं या भारतवासियों के
लिए महत्वपूर्ण है।
दुनिया में ॐ नमःशिवाय मन्त्र का 
जाप करने वाले अनेकों साधक हैं….
यह पाँच तत्वों पर सार्वभौमिक एकता
को दर्शाता है। ऐसी वैदिक मान्यता है।
शिव के इस मन्त्र में लय-प्रलय,
कला-काल और महाकाल की
शक्ति समाहित है।
डमरू में ब्रह्माण्ड की लय-ताल गूंजती है।
त्रिशूल में तीन शूलों अर्थात तीन
तकलीफों को मिटाने की क्षमता है।
ये शिव के वैज्ञानिक यंत्र यानि अस्त्र हैं।
सृष्टि में विष-अमृत और गंगाजल के
स्वामी हैं।
कंकर-कंकर में शंकर होने की मान्यता
आदिकाल से चली आ रही है।
किसी शिवालय में अपने घर के
शिवलिंग के पास भी मंत्र जप करना
उत्तम बताया गया है।
ॐ नमः शिवाय के जाप से विष्णुजी 
को मिला था सुदर्शन चक्र.
भगवान विष्णु ने नमः शिवाय मन्त्र
द्वारा शिंवलिंग पर १००८ पुष्प चढ़ाने
का संकल्प लिया, किंतु एक पुप्ष अंत में घटने से श्रीहरि अपना नयन अर्पित करने लगे, तभी महादेव उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर प्रकट हुए और उन्होंने भगवान विष्णु को नवीन नाम कमलनयन और  सुदर्शन चक्र प्रदान किया था, जो सदैव उनकी कनिष्ठका उंगली पर विराजमान रहता है।
सुदर्शन चक्र की विशेषता यह है कि
यह ब्रह्माण्ड का एक ऐसा अस्त्र है,
जो वार करके पुनः वापस आ जाता है।
इसिलए इसे अस्त्र कहतें हैं। शस्त्र सदृ
हाथ में या पास रहकर ही आक्रमण करता
है। शास्त्र के अनुसार बनने के कारण
इनका निर्माण हुआ। लेकिन अस्त्र की
खाशियत के बारे में शास्त्रों में जानकारी
उपलब्ध है, परन्तु बनाने की विधि अज्ञात
है। यही अस्त्र-शस्त्र में अंतर है।
 सुना है – आज तक ऐसा अस्त्र सम्पूर्ण
ब्रह्माण्ड में दूसरा नहीं बना।
किस-किसने जपा यह मन्त्र…
@ भगवान परशुरामजी न ॐ नमः शिवाय
मन्त्र का 11 करोड़ पुनश्चरण किया, तो
भोलेनाथ ने उन्हें धनुष दिया, जिसे
षित स्वयंवर में राम ने तोड़ा था।
@ दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने ॐ नमःशिवाय
मन्त्र के 11 करोड़ पुरुश्चरण किये, तो
जीवित करने वाली संजीवनी विद्याका
ज्ञान दिया था।
@ दशानन रावण ने 11 करोड़
!!ॐ नमःशिवाय!! मन्त्र
का जप किया तो उन्हें आत्मलिंग और
सोने की लंका प्रदान की।
@ गुरुद्रोणाचार्य ने शिव को अपना गुरु बनाकर ॐ नमःशिवाय पंचाक्षर का
अजपा जप किया, तो वे युद्ध गुरु कहलाये।
गुड़गांव या गुरुग्राम में गुरुद्रोणाचार्य द्वारा स्थापित प्राचीन शिवालय दर्शनीय है।
@ धनुर्धर अर्जुन की भक्ति से प्रसन्न होकर
भोलेनाथ ने इन्हें अर्जुन नाम दिया।
@ कर्ण भी परम गुरु एवं शिव भक्त थे।
ॐ नमःशिवाय के अजपा जाप से आज भी वे दानवीर कर्ण के नाम से प्रसिद्ध हैं।
करनाल का पुराण नाम कर्णपाल भी बताते हैं।
राजा कर्ण ने लगभग 108 स्वयम्भू शिवालय का जीर्णोद्धार कराया था। जिसमें करनाल हरियाणा,
कोटा राजस्थान, कर्णावद निमाड़ मालवा मप्र, सिहावा धमतरी 36 गढ़ का कर्णेश्वर महादेव मंदिर
सिद्ध प्रसिद्ध हैं।
उत्तरांचल में पांडुकेश्वर के पास हिम में स्थित कर्णेश्वर शिंवलिंग सभी चमत्कारी हैं।
सूर्य कृपा हेतु यह अदभुत हैं।
ॐ नमःशिवाय मन्त्र अन्य भाषाओं में
नेपाली  भाषा में~ ॐ नम: शिवाय
रूसी भाषा में~ Ом Намах Шивайа
चीनी भाषा में~ 沒有Om Namah
अंग्रेजी में~ Om Namah Shivaya
कन्नड़ भाषा में~ ಓಂ ನಮಃ ಶಿವಾಯ
मलयालम में~ ഓം നമഃ ശിവായ
तमिल में~ ஓம் நம சிவாய
तेलुगु में~  ఓం నమః శివాయ
बांग्ला में~ ওঁ নমঃ শিবায়
गुजराती में~ ૐ નમઃ શિવાય
पंजाबी में~© ਓਮ ਨਮਃ ਸ਼ਿਵਾਯ
ओड़िया में~ ଓଁ ନମଃ ଶିଵାୟ
उर्दू में~ اوم نامہ شیوا
अरबी में~ بدون ام نعمة
डच भाषा में~ Zonder Om Namah
इंडोनेशिया में~ Tanpa Om Namah
टर्किश भाषा में~ Om Namah olmadan
अफ्रीकन में~ Sonder Om Namah
थाई भाषा में~ โดยไม่ต้อง Om Namah
यह मंत्र के मौखिक या मानसिक रूप
से दोहराया जाते समय मन में भगवान
शिव की अनंत व सर्वव्यापक उपस्थिति
पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।
परंपरागत रूप से इसे रुद्राक्ष माला
पर १०८ बार दोहराया जाता है।
इसे जप योग कहा जाता है।
इसे कोई भी गा या जप सकता है,
परन्तु गुरु द्वारा मंत्र दीक्षा के बाद
इस मंत्र का प्रभाव बढ़ जाता है।
मंत्र दीक्षा के पहले गुरु आमतौर पर
कुछ अवधि के लिए अध्ययन करता है।
मंत्र दीक्षा अक्सर मंदिर अनुष्ठान जैसे कि पूजा, जप, हवन, ध्यान और विभूति लगाने का हिस्सा होता है। गुरु, मंत्र को शिष्य के दाहिने कान में बोलतें हैं और कब और कैसे दोहराने की विधि भी बताते हैं।
मन्त्र का शुभ प्रभाव…
यह मंत्र प्रार्थना, परमात्मा-प्रेम, दया, सत्य और परमसुख जैसे गुणों से जुड़ा हुआ है। सही ढंग से मंत्र जप करने से यह मन को शांत, आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि और ज्ञान लाता है । यह भक्त को शिव के पास भी लाता है। परंपरागत रूप से, यह स्वीकार किया गया है कि इस मंत्र में समस्त शारीरिक और मानसिक बीमारियों को दूर रखने के शक्तिशाली चिकित्सकी गुण हैं।
ॐ नमःशिवाय मंत्र के भावपूर्ण पाठ
करने से दिली शांति और आत्मा को
प्रसन्नता मिलती है।
विश्व के अनेक वैज्ञानिकों का कहना
 कि इन पाँच अक्षरों का ॐ नमःशिवाय
मन्त्र को निरन्तर, नियमित गुनगुनाना
अथवा दोहराना शरीर के लिए साउंड
थैरेपी और आत्मा के लिए अमृत की
भाँति है।
शक्तिशाली मंत्र ॐ नमः शिवाय के पीछे छिपा है चमत्कारी रहस्य….
“ॐ नमः शिवाय” केवल मंत्र नहीं है!
यह एक पंथ है! इसमें एक आत्मा
मौजूद है। यह मंत्र वाणी के माध्यम
से आत्मा की शुद्धि करता है।
ॐ नमः शिवाय सिर्फ आवाज़ है!
तरंग है!
महर्षि चरक ने इसे औषधीय गीत भी
कहा हैं। संगीत की किताबों में इसे
आत्मा-गीत बताया है।
व्याकरण की पुस्तकों में नमः शिवाय से निकलने वाली मधुर आवाज़ किसी भी विशेषण से संबोधित नहीं है।
जीवन में कभी भी आप परेशान
होते हैं या आप अपना आपा
खो बैठते हैं, तब आप सभी चाहते हैं कि शांति रहे, लेकिन यह आपको छोड़ने का विकल्प चुनता है।
भौतिक सन्सार में जो भी पीड़ित
 ॐ नमः शिवाय मन्त्र की मधुर आवाज में डूबता है, वह सुरक्षित हो जाता है।
उसके बाद सब कुछ बहुत ही
सकारात्मक हो जाता है।
ॐ नमः शिवाय का मंत्र आपको
अंदर से ठीक कर मजबूत बना देता है।
अपनी आत्मा को शांत करने के लिए
इसे 24 घण्टे चलते-फिरते जपने
की आदत बना डालें।
शिवपुराण में आया है कि महिलाओं
को हमेशा ॐ नमः शिवाय के स्थान पर
केवल शिवाय नमः का जाप
ज्यादा चमत्कारी है।
द हिंदू’ में प्रकाशित ‘ॐ नमः शिवाय’
और ‘ॐ शिवाय नमः’ के बीच का
अंतर कुछ इस प्रकार से हैं…
इन मंत्रों में से प्रत्येक शब्द का
महत्व है।
‘न” शब्द हमारे गौरव का प्रतिनिधित्व
करता है,
‘मा’ हमारे दिमाग में अशुद्धियों का प्रतिनिधित्व करता है।
 ‘शि’ भगवान शिव का प्रतिनिधित्व करता है, ‘वा’ देवी शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
‘या’ शब्द आत्मा का प्रतिनिधित्व करता है।
जब हम ‘शिवाय नमः कहते हैं,, तो
आत्मा को ‘या’ द्वारा बीच में सम्बोधित
किया जाता है। एक तरफ गर्व और अन्य अशुद्ध विचार क्रमशः ‘ना’ और ‘मा’ द्वारा प्रतिनिधित्व करते हैं। ‘या’ के दूसरी तरफ, हमारे पास भगवान शिव और देवी शक्ति है जिसे ‘शि’ और ‘वा’ द्वारा दर्शाया गया है।
मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप सांसारिक उद्देश्यों कि पूर्ति करने के लिए किया जाता है।
मंत्र ‘ॐ शिवाय नमः’ का जाप मोक्ष
(मुक्ति) प्राप्त करने में सहायक है।
ॐ शिव पंचाक्षर स्तोत्र
पंचाक्षर स्तोत्र (श्रीशिवपंचाक्षरस्तोत्रम्)
एक स्तोत्र है। स्तोत्र संस्कृत साहित्य में किसी देवी-देवता की स्तुति में लिखे गये काव्य को कहा जाता है। इस स्तोत्र में शिव जी की प्रार्थना की गई है। ‘ॐ नम: शिवाय’ पर निर्धारित यह श्लोक संग्रह (श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र) अत्यंत मनमोहक रूप से शिवस्तुति कर रहा है, जो काफी लोकप्रिय है।
इस स्तोत्र के रचयिता श्री आदि शंकराचार्य जी हैं जो महान शिव भक्त, अद्वैतवादी, एवं धर्मचक्रप्रवर्तक थे। सनातनी ग्रंथ एवं विद्वानों के अनुसार वे भगवान शिव के अवतार थे।
 ‘ॐ नमः शिवाय’ यह मंत्र प्रतिष्ठित है, उसे दूसरे बहुसंख्यक मंत्रों और अनेक विस्तृत शास्त्रों से क्या प्रयोजन है?
जिसने ‘ॐ नमः शिवाय’ इस मंत्र का जप दृढ़तापूर्वक अपना लिया है, उसने मानो संपूर्ण शास्त्र पढ़ लिया और समस्त शुभ कृत्यों का अनुष्ठान पूरा कर लिया।
आदि में ‘नमः’ पद से युक्त ‘शिवाय’ ये तीन अक्षर जिसकी जिह्वा के अग्रभाग में विद्यमान हैं, उसका जीवन सफल हो गया।
जब आप यह मानना शुरू करते हैं कि
जीवन आपके खिलाफ षड्यंत्र कर रहा है और कोई शांति नहीं है अब उथल-पुथल है, तो यह मंत्र आपको सही और सत्य मार्ग दिखाकर तत्काल
मानसिक परेशानियों को हर लेगा।
हर हर हर महादेव का जयकारा सबको
अधिभौतिक, आधिदैविक और आध्यत्मिक
झंझटों छुटकारा दिलाता है।
पीड़ा देने वाले दुष्टों को यह मन्त्र का जाप सद्बुद्धि देता है।  आपको सम्मान के साथ जवाब देने के लिए स्पष्टता और आत्मानुभूति बुद्धि प्रदान करेगा।
ॐ नमः शिवाय मंत्र आपके अहंकार और आक्रामकता को झुकाता है, यह आपको सही रास्ते दिखाता है और अपके अतिरंजित मन से तनाव को दूर करता है।
यह एक मात्र मंत्र ऐसा है जिसकी कोई जप संख्या निर्धारित नही है | आप जितना इसका जप करेंगे उतना ही यह सिद्ध होता जायेगा। सामान्यतः १०८ मन्त्र जप की एक माला, इसप्रकार १०८ माला जप से यह सिद्ध होकर चमत्कारी प्रभाव उत्पन्न करने लगता है।
*ॐ नमः शिवाय मंत्र जितना सरल है उतना ही चमत्कार से भरा हुआ है | ब्रहमस्वरुप महा शिव की कृपा पाने का सबसे आसान रास्ता है।
यदि आप किसी पवित्र नदी के किनारे शिवलिंग स्थापना और पूजन के बाद जप करेंगे तो उसका फल सबसे उत्तम प्राप्त होगा।
आप किसी पर्वत और शांत वन में भी यह शिव पंचाक्षर मन्त्र का जाप कर सकते है।
भजवं शिव के बारे में बहुत ही छुपे हुए
और अप्रकाशित लेख पढ़ने के लिए
अमृतम पत्रिका गूगल पर पढ़ें-
 
माथे पर अमृतम चन्दन का त्रिपुण्ड लगाएं….
चन्दन के 108 फायदे जाने
नमःशिवाय मन्त्र के पहले अक्षर न के बारे
में जानकर न को नमन करेंगे….
 
नमःशिवाय मन्त्र के जप से
कैसे करें दसों इंद्रियों की शुद्धि….
नमः शिवाय पांच अक्षरों से बनने वाले इस महामंत्र को पंचाक्षर मंत्र भी कहते है। यह मंत्र प्रणव “ऊँ” का स्थूल रूप है। पंचतत्व से समाहित इस मंत्र के निरन्तर जाप से पांच कर्म इन्द्रिया और पांच ज्ञानइन्द्रियां जाग्रत रहती है। पूर्व तथा इस जन्म के पाप-शाप, दुःख-दारिद्र, शोक-रोग, लोभ-मोह तथा पतित-पापी जीवन संवर जाता है और भोलेनाथ
की शरण प्राप्त होती है। “नमः शिवाय” मंत्र में पांचों तत्व समान मात्रा में पाये जाते है।
न को नमस्कार….
नमःशिवाय मन्त्र में पहला अक्षर न शब्द का अर्थ नभ होता है। यह आकाश यानि गगनगामी है।
नभ का अर्थ है- वायु देवता, जो आकाश में विचरित है।आकाश गंगा- आकाश में स्थित एक नरक का नाम भी नभः है।
शब्दकोश में नभ के और भी अर्थ है जैसे आश्रय, आसमान, आकाश, सावन का महिना, मेघ जल आदि। भगवान विष्णु के प्रिय वाहन श्री गरूड़ जी का एक नाम “नभगेश” भी है, जिनकी अतिसूक्ष्म दूर-दृष्टि है, जो सूर्य को एक टक लगातार देख सकते है। आकाश में विचरने वाले सभी देवगण सूर्य, चंद्र ग्रह-नक्षत्र, वायु, बादल और पक्षी नभचर कहे जाते है।
नभस्य का अर्थ है-भाद्रपद यानि भरा हुआ। भादों के महीने में प्रकृति, पृथ्वी हरि कृपा और हरियाली से लबालब हो जाती है।
पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र इस नक्षत्र का स्वामी गुरू और उत्तराभाद्रपद
 इसका स्वामी शनि है। श्रावण तथा भादौ मास में सृष्टि के सभी प्राणियों पर गुरू व शनि की पूर्ण कृपा बनी रहती है। इसलिए सावन का महीना परम गुरू भगवान शिव की साधना रूद्राभिषेक और अपने गुरू मंत्र के जाप हेतु सर्वश्रेष्ठ है।
भादौ मास में उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के दिन यदि शनिवार हो, तो अति शुभ होता है। इस दिन किसी शिवालय की रंगाई.पुताई, जीर्णोद्वार तथा साफ.सफाई घंटा, नाग और नंदी की स्थापना करने करवाने से एक वर्ष तक शनि ग्रह सभी अनिष्टों का नाश कर सहृदयता, समृध्दि एवं शुकुन प्रदान करते है।
श्रावण मास में श्रवण नक्षत्र के दिन रूद्राभिषेक कराने से सारे दुःख-दारिद्र, कष्ट मिट जाते हैं।
श्रवण का अर्थ होता है सुनना। इस महीने सूर्य कर्क राशि में होते हैं, जो चन्द्रमा की स्वग्रही राशि है। चन्द्रमा मन का कारक ग्रह है। चन्दमा ने ही सन्सार के लोगों का मन चंचल और चलायमान बना रखा है। दुनिया की सारी मानसिक अशांति, मानसिक रोग, शारीरिक विकार तथा अप्रसन्नता का कारण चन्द्रमा ही है। अतः श्रावण मास में शिंवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का विधान वैज्ञानिक है, ताकि चन्द्र का दुष्प्रभाव और मन की चंचलता कुछ हद तक कम हो सके।
सारा संसार शिव का प्रतिरूप हैं। महादेव का ही अंश है।
 वेद मन्त्र उदघोष करते हैं-
चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षोः सूर्यो अजायत।
श्रोत्राद्वायुश्च प्राणश्च हृदयात्सर्वमिदं जायते।।
अर्थात 
महादेव के मन से चन्द्रमा, महादेव के चक्षु यानि आंखों से सूर्य, श्रोत्र यानि कानों से वायु और प्राण-हृदय से सम्पूर्ण जगत उत्पन्न हुआ।
सृष्टि की समस्त विष रूपी नकारात्मक ऊर्जा के मालिक महाकाल ही हैं। हमारे विष रूपी विकारों का नाश “नमःशिवाय” मन्त्र के निरन्तर जप से होने लगता है।
बाबा कल्यानेश्वर सबका कल्याण करते हैं, सबकी
प्रार्थना सुनते है। भगवान शिव सारे जीव जगत के वैद्यनाथ चिकित्सक भी हैं। सभी की नब्ज इन्ही के हाथों में है। ये बिना नब्ज पकड़े नरक से निकाल देते है।
न शब्द की विशाल नगरी.. .
देवनागरी वर्णमाला में  वर्ग  और  ये 5 शब्द होते हैं। “न” – इसका पांचवां वर्ण है। ‘न’ शब्द का उच्चारण स्थान दंत और नासिका है। बिना दांत के भोजन और बिना नाक के श्वास लेना असंभव है। सभी प्राणी जगत को भोजन और वायु ग्रहण करने की व्यवस्था शिव कृपा से ही संभव है।
“न” कि नियति
न से निर्मित नंगा शब्द का अर्थ शब्दकोश में शिव महादेव कहा गया है। जिसकी देह पर कोई वस्त्र न हो उसे निर्लज्ज बेहया नङ्गघडंग कहा है। वही सत्य शिव है। नंगघडंग शिव जब निर्लज्ज और बेहया हो जाते है तो सृष्टि में भूचाल प्रलय हो जाता है।
“नमः” को नमन…..
नमः का अर्थ है नमन, प्रणाम, नमस्कार, भेंट, समर्पण करने वाले लोग सदा नफा लाभ तथा फायदे में रहते है। नम अर्थात आर्द्र तरल व गीला होता है। शिव के इस स्वरूप का ध्यान करने वाले महासागर की तरह शांत होते है। शिव को सदा तर गीला रखने के कारण शिंवलिंग पर जल धारा अर्पित करने की प्राचीन परम्परा है।
जल का जलजला….
जल जीवन शक्ति है। शिवलिंग पर जल अर्पित करने का भाव यही है कि शिव मैंने अपना जीवन आपको अर्पण कर दिया है। अब जैसी तेरी इच्छा। ग्रामीण क्षेत्रों में यह भजन सुनकर आत्मा आत्म विभोर हो जाती है। गांवों के ग्रामीण गाते हैं कि…
 
अब छोड़ दिया इस जीवन का,
 सब भार तुम्हारे हाथों में!
 हर जीत तुम्हारी हाथों में, 
हर हार तुम्हारी हाथों में!!
इन गीत-भजनों से अंर्तमन की गंदगी तन से गल-गल कर निकल जाती है।
न से नमक की नम्रता…
संसार में सभी को सुन्दरता, लावण्य, सलोनापन प्रदान करने वाला सबसे महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ नमक एक प्रकार से ईश्वर की नकारात्मक शक्ति का प्रतीक है। नमक दुःख है, तो मीठा सुख है।
नम्र-विनम्र नरम भाव से कर्म करने वाले नागरिक की अक्सर
आंखे नम हो जाती हैं, जब उसे दुनिया में बहुत कठोर और नीच लोगों से पाला पड़ता है। नश्वर शरीर की रक्षा करने वाला शिव ही है।
नमक से निदान और नुकसान…
नमक न खाने वाला प्राणी जहरीला होता है। ज्यादा नमक खाने से हड्डियां गलने लग जाती हैं। रक्त प्रवाह की कमी, रक्तचाप का कम होना तथा बीपी लो होने में नमक अधिक मात्रा में देने से रोगी स्वस्थ हो जाता है। नमक के अधिक सेवन से रक्तचाप बढ़ जाता है यानि बीपी में वृद्धि हो जाती है, जिससे हृदयघात एवं लकवा हो सकता है।
नमक रखने के पात्र को नमक दान और जहां नमक निकलता है या प्राकृतिक रूप से निर्मित होता है उसे नमक सार कहते है। स्वामी मालिक अर्थात शिव से द्रोह छल करने वाला नमकहराम कहा जाता है। तुलसी दास ने लिखा है कि-
“शिवद्रोही मम दास कहावा”!
लेकिन कटनी जिले के अंतर्गत विजयराघवगढ़ ग्राम से
कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित कैमोर नामक स्थान पर भारत की सुप्रसिद्ध और सबसे पुरानी एसीसीACC  सीमेंट फैक्टरी है। यहां एक राम कथा चल रही थी। रामकथा वाचक अपने प्रवचन में सुना रहे थे कि संसार में जितने भी शिव द्रोही है वे ही मेरे भक्त हैं।
 शिव को मानने वाले राम भक्त नहीं हो सकते। कभी.कभी झूठी प्रसंशा के खातिर कथा वाचक उटपटांग बोलकर भक्तों को भ्रमित कर देते है।
नमक के बिना नमकीन व्यंजन या पकवान भोजन का निर्माण असंभव है। उज्जैन के विक्रम घाट में साधनारत एक अघोरी ने बताया कि जीवन में आराम, हराम, विराम, विषराम, या
विश्राम बेकाम की कामना है तो तुलसीदास के राम को उच्चारण करें। अग्नि तत्व की जागृति पूर्ति  शरीर शुध्दि सुख.समृध्दि की इच्छा हो तो नाभि च्रक को जागृत करने वाले अग्नि तत्व का बीज मंत्र “रं” का मनसा जाप करें। हानि को लाभ में, मृत्यु को जीवन में और दुःख को सुख में पूर्व जन्म के पाप-प्रारब्ध के पुर्नमूल्यांकन तथा बार.बार की मृत्यु से मुक्ति एवं संसार की समस्त एैश्वर्य की कामना हो तो केवल शिव की साधना करें। सदा !!ॐ नमः शिवाय!! मंत्र का इतना जाप करें कि यह अजपा हो जावे।
दुर्भाग्य को दूर भगाएं शिव…
■ भगवान शिव दुर्भाग्य को दूर करते हैै, तो
■ माँ भगवती भाग्य को जगा देती है।
■ श्री गणेश गरीबी दूर करते है!
 ■ श्री कृष्ण और कार्तिकेय का स्मरण कष्ट निवारक है।
■ नंदी जीवन में नयापन और नम्रता लाते है।
■ नाग नवग्रहों की वक्रता नाश करते है।
■ महाकाली काल की काली छाया को उजयाली कर जीवन को लाल एवं लाली बना देती है।
■ शिव का त्रिशुल तीन शूलों, त्रिदोषों का नाशकर्ता है।
■ शिव के सिर पर सधा चन्द्र चंचलता का नाश कर साधक को स्थिरता प्रदान करता है।
■ शिव के हाथ में डमरू दम-दम भरी घूटन से मुक्त करता है।
अमृतम पत्रिका गूगल पर पढ़ें-

आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से बात करें!

अभी हमारे ऐप को डाउनलोड करें और परामर्श बुक करें!

Comments

One response to “नमःशिवाय के चमत्कार….”

  1. Dhananjay Kumar Singh avatar
    Dhananjay Kumar Singh

    Namah shivay

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *