काली कलकत्ते वाली तेरा, वचन न जाये खाली रे। या तो कर दे पार मैया, या बजवा दे ताली रे।।
- amrutam अमृतम मासिक मासिक पत्रिका का माँ महाकाली तन्त्र अंक करीब 13 साल पहले प्रकाशित हुआ था।
- मां को सपर्पित ये ये पुस्तक पढ़कर आंखों में आंसू आ जाएंगे।
- पता लगा कि इस ब्रह्मांड में केवल माँ ही है, जो अपने बच्चों के लिए अपने पति को भी चरणों में ला देती है।
- महाकाल जैसी महाशक्ति को भी माँ के चरणों में लेटना पड़ा था। ज्ञान की देवी मां को शत शत नमन।
- भोलेनाथ ने माँ के कारण ही पूर्णिमा तिथि का निर्माण किया क्यों कि इस संसार में माँ ही केवल पूर्ण है शेष सब देवता अपूर्ण हैं।
- सृष्टि में माँ छोटा कोई शब्द नही है। मां ही महान है, बच्चों की जान है। कभी एक गण भी सुना था कि मां तू कितनी अच्छी है, तू कितनी भोली है, तू फुलवारी है।
- मां बच्चों की जाँ होती है, होते हैं वे किस्मत वाले जिनकी माँ होती है।
- अमृतम पत्रिका का ये माँ महाकाली का यह लेख ऊर्जा प्रदान कर खाली दिमाग की में रखवाली करेगा और डिप्रेशन दूर करेगा।
- थाली में 9 दीपक Raahukey oil के शनिवार को महाकाली के सामने 9 दिन रखने से यह सिद्धि समृद्धि प्रदान करेगा। ये दुखी संसार की सर्वश्रेष्ठ दवा है।
- हमारा दावा भी है। बस एक बार इस उपाय को अपनाएं। मैं भी माँ होने के नाते सबसे निवेदन करती हूं। दुखी, पीड़ित, परेशान माताओं के लिए इससे अच्छा दूसरा कोई उपाय नहीं है। मैंने स्वयम आजमाया है।
- मां को समर्पित अमृतम की यह जानकारी काली तन्त्र, शिवसहिंता, हस्तलिखित प्राचीन पांडुलिपि, वेद-पुराण, ग्रन्थ एवं धर्मशास्त्रों से लिया गया यह लेख आपकी आंखें खोल देगा।
- माँ ब्रह्मांड का सबसे छोटा शब्द एवं मुक्तिदाता महामंत्र है।
- साधना करने के लिए केवल मां बोलते रहने से भटक हुआ मन प्रसन्न होने लगता है। यही महामन्त्र, गुरुमन्त्र, सर्वश्रेष्ठ मन्त्र है।
माँ के कारण है-पूर्णिमा का महत्व
- माँ सदा से ही पूर्ण है। इसलिए इस तिथि को पूर्ण+मां बोलते हैं। इस रात चन्द्रमा पूर्ण प्रकाशित रहने से इसे पूर्णिमा तिथि कहते हैं।
- माँ भी परिवार का प्रकाश है। भारतीय संस्कृति के अनुसार हर महीने पूर्णिमा तिथि आती है।
अर्थ का अनर्थ है MOTHER
- अंग्रेजी में मां को मदर कहते हैं। MOTHER में केवल “M” हटाते ही सारा संसार OTHER यानी दूसरा हो जाता है।
खतरनाक बीमारियां मिटायें
- प्रत्येक मंगलवार, शनिवार और शनिवार को राहु काल के समय माँ महाकाली का ध्यान करके घर में ही 9 दिन तक लगातार 9 दीपक Raahukey oil प्रज्ज्वलित करें।
भागमभाग ओर दुर्भाग्य मिटेगा
- इससे घर परिवार के सभी दुःख, दर्द, दरिद्रता, भयानक बीमारी, वास्तु, तन्त्र, टोटका दोष, रुकावट आदि दूर होती हैं।
- अगर 108 दिन दीपक नियमित राहु की ताल का दीपक जलाकर काली कवच का 9 बार पथ करे, तो कालीदास जैसा मूर्ख आदमी भी विद्वान हो जाता है।
- !!ॐ!! ओर माँ महाकाली दोनों ही इस चराचर जगत को उत्पन्न तथा चलायमान रखने वाली अदृश्य, गुप्त शक्तियां हैं। वही सन्सार के वन्ध और मोक्ष का कारण है। वह नित्य है। यह सारा जगत ॐ एवं भगवती माँ काली का ही विस्तार है।
- सन्सार में केवल पूर्ण है, तो केवल मां ही है। मां में ही महामाया रूपी जगत बसता है।
माँ की महानता
- माँ हमारी हो अथवा माँ महाकाली दोनों ही हमारे लिए सबसे लड़ती रहती है। अतः माँ का स्मरण सदैव करना चाहिए।
- तन-मन और हमारी आत्मा की रक्षा के लिए सकारात्मक सोच यानी पॉजिटिव थिंकिंग बनाये रखने एवं धन की वृद्धि, रक्षा के लिए दैत्य रूपी नकारात्मक शक्तियों यानि निगेटिव थिंकिंग से महाकाली सदैव युद्ध करती रहती है।
- अतः मन की मलिनता मिटाने के लिए प्रत्येक नवरात्रि में महाकाली की उपासना अवश्य करें। यह तन और आत्मा को पुण्य-पवित्र बनाकर सभी प्रकार की सिद्धि-समृद्धि में मददगार है।
हे माँ! तुम्हे शत-शत नमन—
- काली तन्त्र, दुर्गा शप्तशती, मन्त्र महोदधि आदि प्राचीन ग्रन्थों में भगवती शिवा ने समय-समय पर सृष्टि की सुरक्षा एवं अपने बच्चों को बचाने के लिए विभिन्न रूप धारण किये…
- महर्षि मार्केंडेय ने माँ महाकाली से बुद्धि-विवेक, ज्ञान पाने के लिए स्तुति की है-
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यैः नमस्तस्यै नमस्तस्यैः नमो नमः।।
- देवी महाकाली की दस भुजाएं हैं जो दस दिशाओं की प्रतीक हैं। काल की कलना, गणना करने वाली महाकाल की शक्ति माँ महाकाली ही है।
- चरक सहिंता, अष्टांग ह्रदय कोष के मुताबिक हमारे शरीर में जो दस तरह के प्राण हैं, वही काली है-
-
-
- प्राण वायु
- अपान वायु
- समान वायु
- व्यान वायु
- उदान वायु
- नाग वायु
- कूर्म वायु
- कृकल वायु
- देवदत्त वायु
- धनंजय वायु
-
आयुर्वेदिक शास्त्रों के हिसाब से श्वेत रक्त कण और लाल रक्त कण अर्थात WBC तथा RBC जीवन के लिए दोनों जरूरी हैं।
महाकाली की कलाकारी
- माँ महाकाली की साधना से काम यानि सेक्स का काम- तमाम होकर क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर रुपी दैत्य अपने आप शान्त हो जाते हैं।
- यह महामाया का ही प्रभाव है जिसने इस सन्सार को चलाने के लिए सबको ममता के भवंर और मोह में डाल रखा है। यह भगवान शिव की योगमुद्रा है जिसकी वजह से जगत सम्मोहित हो रहा है।
- महामाया माँ काली की काली छाया से ही सूर्य ग्रहण लगता है। तन्त्रशास्त्रों में काली को राहु की माँ धुमेश्वरी बताया है।
!!दुर्गात्संत्रायते यस्माद्देवी दुर्गति कथ्यते!!(देवीउपनिषद)
- दुर्गासप्तशती के प्रथम चरित्र में देवी के जिस रूप का ध्यान किया गया है, वह दश भुजा में दस आयुध धारण करने वाली माँ महाकालिका महाकाली है।
काली कलकत्ते वाली को क्यों कहते हैं दुर्गा ?
- आयुर्वेद ग्रंथो के अनुसार देवी के दुर्गा नाम के सम्बंध में कहा जाता है कि- शरीर रूपी दुर्ग में निवास करने के कारण इन्हें दुर्गा भी कहते हैं।
- मानव शरीर के 9 छिद्र जैसे 2 आँख, 2 नाक, 2 कान, एक मुख, एक गुदाद्वार और मूत्र द्वार जिन्हें तन्त्र में नवद्वार भी कहा गया है। इसकी रक्षक महादुर्गा होने से माँ नवदुर्गा कहलायी।
- अमृतम पत्रिका में ये आर्टिकल बहुत बड़ा था हमने कुछ ही अंश दिए हैं। यदि ओर भी ज्यादा जानना चाहें, तो कमेंट्स करें। पूरा काली मन्त्र लिख देंगे।
Leave a Reply