- लोगों को शायद नहीं मालूम कि इमली बीज का सेवन महिलाओं का सौंदर्य बढ़ाता है और ढीली योनि को संकुचित यानि टाइट करता है। जिन महिलाओं को लिकोरिया, पीसीओडी आदि जैसे गुप्त तकलीफों में लाभकारी है।
- किसी भी तरह के स्त्री रोग हों, वे एक दिन में एक ग्राम इमली बीज का चूर्ण madhu pnchamrit में सेवन करें और रात को सोते समय 2 से 4 इमली के खड़े बीज सफेद कपड़े की पोटली बनाकर योनि में रखें।
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स्तन को गोल मटोल बनाए इमली
- 10 ग्राम इमली चूर्ण में 20 ग्राम मुल्तानी मिट्टी, 2 ग्राम हल्दी, 3 ग्राम गीला चुना और एक चमचम Madhu panchamrit मिलाकर इस पेस्ट को को सुबह की धूप में अपने वक्ष साथ पर लगाकर एक घंटे तक सूखने देवें और धोने के बाद नीचे से ऊपर की तरफ हल्के हाथ से कुमकुमादी तेल लगाकर ब्रा पहने।
नामर्द को मर्द बनाए इमली बीज
- पुरुषों को इमली बीज का पाउडर काम शक्ति वर्धकहता है। इस चूर्ण को किसी शक्ति वर्धक सेक्सुअल पावर बढ़ाने वाले माल्ट के साथ दूध से सेवन करने पर 2 दिन में ही लिंग तनने लगता है और ऐसा पुरुष बिना संभोग के नहीं रह सकता।
- आयुअयुर्वेडी के हजारों साल पुराने ग्रंथ प्रकाश निघंतु में इमली के बारे में विस्तार से जानकारी उपलब्ध है।
स्त्री पुरुषों के गुप्त विकारों में इमली बीज के फायदे
- गर्भवती स्त्री को इमली का सेवन हितकारी है और पुरुषों को इमली खाने से बचना चाहिए। इमली का गुदा वीर्य को पतला करता है।
- कच्ची इमली – अम्ल रसयुक्त, गुरु, वातनाशक, एवं पित्त-कफ तथा रुधिरविकार को करने वाली होती है। पकी इमली—अग्निदीपक, रूक्ष, सारक, उष्ण एवं – कफ तथा वातनाशक होती है।[
इमली के वैदिक श्लोक
अम्लिका—अम्लो रसोऽस्त्यास्या:।
अर्थात इमली के फल अम्ल होते हैं।
- योनि के संतुलन हेतु: इमली में अम्ल प्रचुर मात्रा में होता है, जो महिलाओं की योनि के संतुलन को बनाए रखने में मदद कर सकता है।
- नारी स्वास्थ्य रक्षा: इमली में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
- योनि के संक्रमण से बचाव: इमली के एंटीबैक्टीरियल गुण योनि के संक्रमण से बचाव में मदद कर सकते हैं।
- योनि की खुजली और जलन का उपचार: इमली के उपयोग से योनि की खुजली और जलन को कम किया जा सकता है।
- योनि के फूलने को रोकने में मदद: इमली में आंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो योनि के फूलने को रोकने में मदद कर सकते हैं।
- योनि की सुरक्षा: इमली के अम्लीय गुण योनि की सुरक्षा और स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
- कृपया ध्यान दें कि यह जानकारी केवल सामान्य रूप में दी गई है और इसके अलावा और भी अनुषंगिक चिकित्सा सलाह के बिना इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
- हिंदी में इमली। बं० – तेंतुल। म० – चिञ्च | क० – हुणिसे । गु० – आंवली । ते० – चिंत । ता० – पुलि । फा०-तिमिर हिन्दी । अ०तमर हिन्दी । अं० – Tamarind Tree (टेमरिंड ट्री) । ले० – Tamarindus indica Linn. ( टेमरीण्डस् इण्डिका ) | Fam. Caesalpiniaceae (सीझल्पीनिएसी) ।
- इमली के वृक्ष प्रायः सभी प्रान्तों में उत्पन्न होते हैं। इसका वृक्ष – बहुत बड़ा होता है और सदा हरा-भरा रहता है। शाखायें – बहुत फैली हुई होती हैं।
- पत्ते – ५ – ७.५ से.मी. लम्बे, संयुक्त पक्षाकार होते हैं। पत्रक — संख्या में १० से २० जोड़े, ८-३० x ५-८ मि.मी. बड़े, आयताकार, कुण्ठिताग्र, चिकने एवं शिराविन्यास जालीदार होता है ।
- इमली के फूल – लाली युक्त पीले रंग के आते हैं । फलियाँ – ७.५ से २० से.मी. लम्बी, २.५ से.मी. चौड़ी, १० मि.मी. मोटी कुछ टेढ़ी एवं भूरे रंग की होती हैं । बीज —३ से १२, चिकने, चमकीले, चिपटे तथा भूरे रंग के होते हैं । इमली का स्वाद अम्ल एवं मधुर रहता है तथा इसमें सुगंध रहती है।
- इमली के फल, बीज, पत्र, पुष्प एवं क्षार का चिकित्सा में उपयोग किया जाता है । खटाई के लिये भी इसका उपयोग करते हैं ।
इमली का रासायनिक संगठन –
- इसमें साइट्रिक एसिड ( Citric acid), टार्टरिक् एसिड (Tartaric acid), पोटैशियम बाइटार्टरेट (Potassium bitartrate) एवं शर्करा आदि द्रव्य होते हैं । गुण और प्रयोग – फलमज्जा तृषाशामक, रोचक एवं सौम्य विरेचक होती है। ज्वर में विबन्ध एवं दाह होने पर इसका पन्ना बनाकर देते हैं। विबन्ध में सनाय आदि के साथ इसको देते हैं यद्यपि रालीय विरेचक द्रव्यों के कार्य को यह कम करती है ।
- फली की शुष्क त्वचा की राख (क्षार) पेट के दर्द एवं मन्दाग्नि में दी जाती है। इसके छाल की राख क्षारीय एवं मूत्रजनन होती है तथा सोजाक में दी जाती है।
- इमली के पत्तों को पीसकर व्रणशोथ में बाँधते हैं। इसके बीज प्रमेह में लाभदायक होते हैं।
- विशेष—इमली का पर्याय तिन्तिडीका दिया हुआ है किन्तु तिन्तिडीक एक अन्य द्रव्य है। मसूर जैसे लाल रंग के खट्टे दाने (फल) समाक दानें के नाम से मिलते हैं। यूनानी चिकित्सक इनके छिलकों का उपयोग करते हैं।
- यह ले० – Rhus parviflora, Roxb. ( हृस् पार्विफ्लोरा); Fam. Anacardiaceae (ॲनाकार्डिएसी) के फल हैं। नमक मिलाकर इमली की तरह इनका भी उपयोग किया जाता है।
- यह ग्राही, हृद्य, दीपन, शीत एवं रक्तपित्तशामक होते हैं। इनको पैत्तिक अतिसार, रक्तातिसार, वमन एवं हल्लास में देते हैं। ज्वर में दाह एवं तृषा कम करने के लिये इनका उपयोग किया जाता है।
- -सूखी मीठी इमली विटामिन और पोषण से भरी होती है। अन्य फलों की तुलना में आश्चर्यजनक रूप से उच्च कैल्शियम सामग्री है। इसमें ई, सी, बी और कई खनिज जैसे विटामिन होते हैं।
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