स्त्री का स्वभाव सरल हो, तो वह शक्ति के रूप में पूज्यनीय हो जाती है! शिव और शक्ति में से छोटी इ की मात्रा हटते ही शिव से शव और स्त्री शक्ति से सख्त हो जाती है! जाने क्या हैं चौकाने वाले रहस्य भाग एक

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संसार में जितनी भी देवी माँ के मन्दिर है उन्हें शक्तिपीठ कहा जाता है। मानव शरीर के पीठ में भी शक्ति का वास होता है जिसे कुंडलिनी कहते हैं। अमृतम नारी शक्ति अंक से साभार!

सख़्त स्त्री शव के समान होती है

कुण्डलिनी के सात चक्रों में से एक भी चक्र जागृत हो जाये, तो अशुद्ध बुद्धि शुद्ध हो जाती है। साधक अनेक सिद्धियों का जानकार हो जाता है।भारत के अधिकांश शास्त्र आगाह करते हैं कि स्त्री के अग्र भाग यानी मुख, वक्ष न देखकर उसकी पीठ देखना चाहिए।

सबसे बड़ी बात है कि कोई भी नारी कभी बुरे समय में पीठ नहीं दिखाती। बल्कि आत्मा से साथ निभाती है।अगर स्त्री सख़्त स्वभाव की है, वह शक्ति नहीं नारी है। वेदों में सरल, सौम्य, चरित्रवान, त्यागी, समर्पित स्त्री को ही शक्ति का दर्जा प्रदान किया है।

शक्ति शब्द में छोटी इ की मात्रा हटाने से वह सख़्त हो जाता है, जो इकार शक्ति है! वही स्त्री शक्ति से लबालब है। बिना शक्ति के सब व्यर्थ है।

अघोर साधना में शक्ति का ही आह्वान कर सिद्धी प्राप्त की जाती हैं। शरीर के रसायनिक परिवर्तन की यही प्रक्रिया है।

एक मात्रा का रहस्य और चमत्कार

शक्ति शब्द में से (छोटी इ की मात्रा) हटने से सख़्त हो जाती है वैसे ही शिव शब्द में से भी छोटी ई की मात्रा विलुप्त कर दो, तो प्रत्येक प्राणी शिव से शव बन जाता है। फिर, शव का क्या करते हैं! इसे सब जानते हैं।

शिव और शक्ति दोनों में इकार शक्ति छिपी है। सख़्त स्त्री का कोई मान सम्मान नहीं होता।वह प्रकृति को दूषित कर अपना और दूसरे का घर बिगाड़ देती है। यह शक्ति काम है। यही क्रोध बन जाती है-

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