12 मई….आज नर्स दिवस है..
सन्सार की सभी सिस्टर्स/नर्स
का बहुत ही विनम्रतापूर्वक
अभिवादन करते हुए
अमृतम परिवार
शुभकामनाएं साझा करता है।
स्वार्थ रहित सेवा भाव के लिए
सम्पूर्ण विश्व को आज इन्हें
नमन करना फर्ज बनता है।
चिकित्सा क्षेत्र सम्माननीय
सिस्टर, जो सबको अपना
बना लेती हैं, छूकर दर्द मिटा
देती हैं।
लगभग 200 वर्ष पहले जन्मी
दुनिया की प्रथम नर्स फ्लोरेंस
के सम्मान में यह हर साल
12 मई नर्स दिवस के रूप में
सम्पूर्ण विश्व में मनाने की
शुरुआत हुई। इनके प्रयास से
ही संक्रामक बीमारियों
के आंकड़े यानि डेटा जुटाना
प्रारम्भ हो सका।
चिकित्सा व्यवसाय में नर्सिंग
को आधुनिक रूप देने के
कारण सिस्टर फ्लोरेंस का
स्मरण किया जाता है।
अपना गम कितना कम है....
लोगों को शायद कम ही मालूम
है कि-नर्स रोगी का अत्याधिक दर्द
सहती हैं, मरीज से भी ज्यादा।
इंडियन नर्सिंग काउंसिल
के मुताबिक 3 मरीजों पर एक
नर्स होना जरूरी है और रात्रि
सेवा अर्थात नाईट ड्यूटी में 5
रोगियों पर एक नर्स अवश्य हो।
देश में कुल 30 लाख नर्स हैं
इसमें अकेले 18 लाख नर्स
केरल की हैं।
भारत में इस समय 20 लाख
से ज्यादा नर्सों की जरूरत है।
2030 तक 60 लाख के करीब।
रुक जाना नहीं, कहीं तुम हार के…
एक सिस्टर/नर्स 12 घण्टे की
पाली/शिफ्ट में औसतन
10 से 12 किलोमीटर चलती हैं,
जबकि एक व्यक्ति दिनभर में
4 से 5 किलोमीटर।
ये रिश्ता क्या कहलाता है..
सृष्टि में कोई तो हो, जो दूसरों
के लिए संघर्ष कर सके। इसी भावना
के चलते ईश्वर ने हमें नर्स के रूप
में सिस्टर दी, जो बहिन की तरह
निःस्वार्थ भाव से सेवा कर सके।
इन सिस्टर्स का ह्रदय सरलता,
सहजता, सहयोग और सेवा से
लबालब रहता है।
दुनिया में एक मात्र नर्स/सिस्टर्स
ही है, जो दूसरों की तकलीफ़
महसूस करती है। देवी स्वरूप
इनकी मंद-मंद मुस्कान हर दर्द
को हरा देती हैं।
यह भी श्याम खाटू की तरह
ये भी “हारे का सहारा है”।
शव रूप व्यक्ति को शिव बनाने
की दक्षता इन्हें प्राकृतिक तरीके
से प्राप्त है।
हाथों में ऐसा जादू है कि
सुई की चुभन का एहसास ही न हो।
जन्म ओर मृत्यु को देखने का
साहस रखने वाली चिकित्सा जगत
की इस महाशक्ति को बारम्बार
सादर प्रणाम है।
बेहतरीन ब्लॉग पढ़ने के लिए
अमृतमपत्रिका पढ़ें।
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