मधुमेह यानि डायबिटीज से भारत के लगभग ७० फीसदी लोग प्रभावित और पीड़ित हैं। लोग चाहें, तो आयुर्वेद के अनुसार कुछ परहेज करके इस महामारी से हमेशा के लिए मुक्ति पा सकते हैं।
हितकारी चीज यानि पथ्य-मक्खन, पनीर, घी, और मूंग आदि की दाल (थोडी), गोभी, टमाटो, ककडी आदि
बहुत थोडे हरे शाक तथा चेस्टनट के सिवाय नींबू, नारंगी आदि सब प्रकार के फल तथा तेल और अल्प मात्रा में दूध एवं सोडावाटर मधुमेह रोगियों के लिए हितकारी है।
हनिदायक वस्तु….अपथ्य- किसी रूप में भी स्टार्च या खांड, चावल, साबूदाना, आलू, आरारोट, मिठाई, खीर, दूध (थोड़ा पिया जा सकता है) और ऊपर बतलाये हुए फलों के सिवाय सब प्रकार के फल अपथ्य है ।
मधुमेह रोगी ध्यान देवें….साधारण सूचना-रोजाना नियमित कसरत करना अत्यन्त आवश्यक है परन्तु थकान न होने देना चाहिये।
शरीर पर (चमड़ी से मिला हुवा) फलालैन का कपडा पहिनना और सर्दी से बचना चाहिये।
अधिक परिश्रम, चिन्ता और अधिक चिन्तन रहित शान्त जीवन रखना चाहिये।
साधारण गर्म पानी से स्नान करने के बाद शरीर दबवाना (मुट्ठी भरवाना) और अन्य ऐसे ही उपायों से पसीना निकालना चाहिये।
मधु मेह के लिए सर्वोत्तम उपाय यह है की जब तक मूत्र बिलकुल शर्करा (शकर ) रहित न हो जाये तब तक धीरे २ मीठा या पचने के बाद शकर बनाने वाले पदार्थ कम करते जाये।
आराम होने के पश्चात् यह पदार्थ धीरे २ देने चाहिये। परन्तु यह परीक्षा करनी चाहिये की पेशाब में पुनः शकर तो नहीं जाती।
आयुर्वेदिक ओषधि… डाइब की कैप्सूल रोज सुबह शाम एक एक कैप्सूल दूध या जेल से तीन महीने तक लेवें।
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