भयंकर खतरनाक संक्रमण (वायरस) के आक्रमण से बचने हेतु, युद्ध जैसी तैयारी की जरूरत ।
आने वाले महीने इस जीव-जगत के लिए भयावह साबित हो सकते हैं ।

दुनिया पर बढ़ते प्रदूषण, प्राकृतिक आपदाओं व पशु-पक्षियों के कारण अनेक संक्रमण (वायरस) तथा असंख्य अनजान महामारी का खतरा मँडरा रहा है ।
चिकित्सा शास्त्री व वैज्ञानिकों ने गहन अध्ययन
से पता लगाया है कि आने वाले 7 या 8 माह
पूरी विश्व के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकते हैं ।
करीब 3 या 4 करोड़ से भी अधिक लोग
अनजान महामारी, वायरस की चपेट में
आकर मौत के मुँह में समा जाएंगे ।
ये महामारी बेक्टेरिया, संक्रमण,प्रदूषित खानपान या वायरस के द्वारा तेजी से इंसान को अपना शिकार बना सकतेे है ।
विभिन्न समाचार पत्रों के हवाले
माइक्रोसॉफ्ट के सहसंस्थापक एवं अध्यक्ष “बिल गेट्स“
ने पूरी दुनिया के लोगों को चेताया है कि
ऐसा वायरस, संक्रमण से उत्पन्न
बीमारी-महामारी आज तक देखी या सुनी
नहीं होगी ।
वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि इस ख़ौफ़नाक महामारी से बचने के लिए युद्ध जैसी तैयारी करनी चाहिये ।
बिल गेट्स द्वारा स्थापित
संक्रमित, संक्रमण से पैदा होने वाले रोगों तथा महामारी फैलाने वाली कई बीमारियों पर
अध्ययन कर रहा है, ताकि विश्व को रोग रहित रखा जा सके ।
कैसे फैलेगा वायरस–
विशेषज्ञों व वैज्ञानिकों के बताये अनुसार
गन्दगी से जन्में मच्छर, चमगादड़ या फिर
अतिसूक्ष्म कृमियों, कीटाणुओं तथा कीड़ों के
कारण इन्सानों में नित्य नई-नई बीमारियां
फैल रहीं हैं औऱ आने वाला भविष्य भयंकर
भय व बीमारियों से घिरा होगा ।
फिर क्या होगा-
शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता
(रेजिस्टेंस पावर) की कमी से कह नहीं सकते
कब कौन, किस क्षण- काल के गाल में समा जाएगा ।
ने संक्रमण या वायरस के जरिये पनपने वाली अनेकों खतरनाक बीमारियों की सूची बनाई है, जो सम्पूर्ण जीव-जगत एवं इंसानों के लिये
घातक हो सकती है । जिससे बचने का एक मात्र उपाय है –
“प्राकृतिक उपाय–
किस-किस से बचें
@- रात में दही-मठा व अरहर की दाल न लेवें !
@-गरिष्ठ व प्रदूषित खानपान से बचें !
@-अधिक मधपान न करें !
@- समय पर सोने की आदत डाले !
आयुर्वेद शास्त्रों में निद्रा की मुद्राऐं
भी बताई गई हैं
यथा –
उल्टा सोये भोगी,
सीधा सोये योगी,
दांऐं सोये रोगी,
बाऐं सोये निरोगी।
@- नित्य प्राणायाम-व्यायाम करें !
@-प्रतिदिन 10 हजार कदम रोज चलें !
आयुर्वेद के नियमानुसार
जो चला,वही फला
सुबह की वायु-आयु वृद्धिकारक है ।
वायु का उल्टा युवा होता है । इसलिये
मॉर्निंग वाक जरूरी है ।
@-श्वांस धीरे-धीरे लेवें !
जीने के लिए सबको साँसे मिली है,उम्र नहीं ।
अमृतम आयुर्वेद में श्वांस के उपयोग
का भी तरीका सुझाया है –
“बैठत 12,
चलत 18,
सोबत में 36,
भोग करें,तो
64 टूटें
क्या करें जगदीश” ।
इसका अर्थ, तो समझ आ गया होगा,
अन्यथा पढ़ते रहिये अद्भुत अमृतम लेख
अमृतम आयुर्वेद के अनुसार तन को
खनन व हनन से बचाना चाहिए ।
तन रूपी गाड़ी के पुर्जो (मशीनरी) की देखभाल या सर्विसिंग भी जरूरी है ।
1- रात रात भर जागने से “किडनी“
कमजोर होती है ।
2- बहुत ठंडे भोजन से उदर रोग होते हैं ।
3- फेफड़ों को धुंवे से डर लगता है।
4-गरिष्ठ भोजन से लिवर (यकृत) कमजोर होकर अपचन रोग होता है ।
5- अधिक नमक वाले भोजन से हृदय की धमनियों पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
6- पेनक्रियाज खराब हो जाता है- बहुभोजन या बार-बार खाने से
7- मांसाहारी भोजन से आँतो को
हानि होती है ।
8-मोबाइल और कंप्यूटर के स्क्रीन की
लाइट से आँखे कमजोर व खराब
होकर कम उम्र में ही
मोतियाबिंद होने लगता है।
9- समय पर सुबह का नाश्ता नहीं करने पर
गाल ब्लेडर को हानि पहुंचती है ।
10-ज्यादा ठंडे के ऊपर गर्म और गर्म ऊपर
ठण्डा एवं खट्टा खाने से
नाख़ूनों की सुंदरता
नष्ट हो जाती है ।
11-ज्यादा क्रोध करने,व्यर्थ की चिन्ता,सोचने-विचारने से केश (बाल) व कैश (नगद) दोनों झड़ जाते हैं । मधुमेह रोग प्रकट होता है ।
12-ज्यादा आलस्य व सोने से शरीर में यूरिक एसिड और वात-विकार बढ़ जाते हैं ।
13- सुबह खाली पेट पानी न पीने से
अम्लपित्त(एसिडिटी) गैस विकार, जलन, उदररोग परेशान करते हैं ।
अतः अमृतम जीवन के लिए तन रूपी इन कलपुर्जों का पूरा पूरा ख्याल रखें क्योंकि इन कलपुर्जों के कुछ वैकल्पिक पुर्जे बाजार में उपलब्ध नहीं हैं ।
अमृतम आयुर्वेद जैसा कि नाम में निहित है (‘आयु’: “जीवन” और ‘वेद’: “ज्ञान”) स्वस्थ्य रहने का ज्ञान है । इसे ही अमृत कहा गया ।
भारतीय आयुर्वेद साहित्य के साथ-साथ
प्राचीन विज्ञान (साइंस) भी है, जो सिर्फ बीमारी के इलाज तक सीमित नहीं है।
आहार से ही जीवन में बहार आती है ।
आहार गलत हो, तो दवा किसी काम की नहीं है; जब आहार सही हो,तो दवा की कोई ज़रुरत नहीं है।
आयुर्वेद में सिद्धांत है कि कुछ भी भोजन, दवा, या ज़हर हो सकता है, निर्भर करता है कि कौन खा रहा है, क्या खा रहा है, और कितना खा रहा है।
इस सन्दर्भ में एक प्रचलित कहावत है:
“एक आदमी का खाना,
दूसरे आदमी का ज़हर है।”
सामान्यतया, आयुर्वेद चावल, गेहूं, जौ, मूंग दाल, शतावरी, अंगूर, अनार, अदरक, घी (मक्खन), क्रीम दूध और शहद को सबसे अधिक लाभकारी खाद्य पदार्थ मानता है।
अमृतम आयुर्वेद के बारे में एक बहुत
अच्छी बात ये है कि इसके उपचार से हमेशा साइड बेनिफिट्स
होते हैं,
साइड इफेक्ट्स नहीं।
क्या कोई उपाय है-
अमृतम गोल्ड माल्ट
सम्पूर्ण संक्रमण (वायरस) नाशक हर्बल
ओषधि है, जो अनेक, असंख्य असाध्य
रोगों का नाशकर शरीर की रक्षा करता है ।
हमेशा स्वस्थ व सुंदर बने रहने के लिये
इसका सेवन बिना किसी रोग के- कोई भी,
कभी भी कर सकता है ।
अमृतम के अगले लेख में जाने
$- दुनिया में कितने तरह के वायरस
फेल चुके हैं .
$- इससे बचने के उपाय ।
$-अमृतम हर्बल चिकित्सा ।
$- जाने गिलोय, चिरायता, लौंग, इलायची
आदि जड़ी-बूटियों व मसालों वायरस कैसे
मिटायें ।
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