बीमारियों से विश्व में बर्बादी हो सकती है।
एक शोध के मुताबिक
दुनिया के 20% लोग, अनेक रोग
चिकित्सा के कारण गरीबी रेखा
से नीचे जाकर कंगाल हो चुके हैं।
एक तुकबन्दी है–
समझ-समझकर, समझ-समझना,
समझ-समझना भी एक समझ है।
समझ-समझकर, जो न समझे,
मेरी समझ में वो नासमझ है।
बुजुर्गों का मत है-
नारी और बीमारी”
समय पर संभालना चाहिये।
चालीस कारण हो सकते हैं-
कोरोना वायरस के
क्या है कोरोना वायरस?
लक्षण और आयुर्वेदिक चिकित्सा…
स्तनधारियों और पक्षियों में रोग के कारक आरएनए वायरस द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे में बड़ी तेजी से फैल
रहा है -यह जानलेवा संक्रमण
कोरोना वायरस……
कोरोना वायरस या संक्रमण के बाद इंसान
का शरीर संक्रमित होकर कीटाणु एवं विषाणु
युक्त हो जाता है। कोरोना वायरस के कारण
गंभीर रूप से बीमार पड़ने या मौत की
आशंका अधिक रहती है।
कोरोना वायरस.…
इंसानों में यह श्वास तंत्र एवं फेफड़ों में संक्रमण के कारण हो जाता हैं।
यह खतरनाक वायरस है, जो दुनिया में
तीव्र गति से फैल रहा है। अभी तक
लगभग 30 फीसदी देशों में कोरोना वायरस ने तबाही मचा रखी है। यह
तुरन्त मौत की नींद सुलाने वाली
बीमारी है।
कोरोना वायरस उन मानवों को ज्यादा पीड़ित कर रहा है, जिनकी
प्रतिरक्षा प्रणाली/रोगप्रतिरोधक
क्षमता या इम्युनिटी पॉवर पूरी तरह
कमजोर हो चुका है।
एलोपैथी चिकित्सा में
कोरोना वायरस
के रोकथाम हेतु फिलहाल
कोई टीका (वैक्सीन), मेडिसिन या
वायरलरोधी (antiviral) मेडिकल
साइंस में उपलब्ध नहीं है।
आयुर्वेद में पुख्ता उपाय….
चिरायता, महासुदर्शन, सेंधा नमक, नागकेशर, जय मङ्गल रस, चतुर्ज़ात,
त्रिकटु और आवलां मुरब्बा आदि
आयुर्वेदिक ओषधियाँ संक्रमण
निवारक तथा इम्युन बूस्टर भी हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)
के अनुसार कोरोना वायरस को रोकने या वायरस के प्रभाव से बचने के लिए अभी तक किसी भी प्रकार की वैक्सीन, दवा, प्राकृतिक चिकित्सा को नहीं खोजा जा सका है।
इस वायरस से बचने के लिए
WHO ने दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
जरा सावधानी बरतें…
■ अपने हाथों को साबुन और पानी से या एल्कोहल बेस्ड लिक्विड से थोड़े-थोड़े
समय में साफ करते रहें।
■ छींकने, खांसने और बुखार के
मरीजों से कम से कम 1 मीटर (3 फीट)
की दूरी बनाकर रखें।
■ अपनी आंखों, नाक और मुंह
को बार-बार छूने से बचें।
■ अगर आपको बुखार, सांस लेने में
तकलीफ, खांसी जैसी समस्याएं होती हैं,
तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
■ कच्चे और अधपके मांस का
सेवन करने से बचें।
■ रात को दही, जूस आदि न लेवें।
एक पुरानी किताब-व्रतराज में उल्लेख है-
ज्वर-साधु और पाहुना, लंघन देय कराये।
अर्थात-जब ज्वर, साधु और रिश्तेदार जाने का नाम ही नहीं ले रहे हों, तो भोजन
आदि नहीं देवें यानि उन्हें भूखा ही
रहने देवें।
आयुर्वेदिक फ्लूकी माल्ट से करें सुरक्षा-
कोरोना वायरस से केवल वही लोग
सुरक्षित हैं, जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली
यानि इम्युनिटी पॉवर मजबूत है।
वर्तमान में विश्व के चिकित्सक
निर्जलीकरण या डीहाइड्रेशन,
ज्वर, खांसी, सर्दी आदि रोगलक्षणों
का उपचार कर रहे हैं, ताकि संक्रमण से लड़ते हुए शरीर की शक्ति बनी रहे।
लेकिन यह स्थाई इलाज नहीं है।
आयुर्वेद के हिसाब से…..
लोंग, इलायची, त्रिकटु चूर्ण, त्रिफला,
सेंधा नमक, चिरायता, सुदर्शन का
स्ट्रांग काढ़ा घर में बनाकर दिन में
3 बार पियें।
क्यों फैल रहा है-कोरोना वायरस…
जाने-40 वजह:-
1- पाचन तंत्र की कमजोरी से
2- वात,पित्त,कफ बिगड़ने से,
3- लम्बे समय तक कब्ज हो,
4- हमेशा कब्जियत बनी रहती हो,
5- पेट का निरन्तर खराब रहना,
6- एक बार में पेट साफ न होना,
7- लेट्रिन का बहुत टाइट आना
8- पेट व छाती में दर्द सा रहना
9- अम्लपित्त, एसिडिटी रहने से
10- बार-बार खट्टी डकारें आने से
11- वायु-विकार से परेशान रहना
12- हर समय गैस का बनना
13- भूख-प्यास, पेशाब कम लगना
14- खाने की इच्छा न होना,
15- मन का सदा खराब रहना,
16- ऊबकाई सी आते रहना,
17- मानसिक अशान्ति रहना,
18- पुराना निमोनिया हो,
19- तन में सदा सर्दी बनी रहने से
20- खांसी-जुकाम से पीड़ित हो,
21- सिर में भारीपन बना रहने से
22- पेट में कृमि (कीड़े) होना
23- शरीर में खुजली सी रहना
24- हमेशा आलस्य रहता हो,
25- बहुत क्रोध, चिन्ता रहने से
26- स्वभाव चिड़चिड़ापन होने से
27- बैचेनी,चिंता,तनाव रहना
28- शरीर का कमजोर होना,
29- किसी काम में मन नहीं लगना
30- स्वास्थ्य न बनना,
31- पुरुषार्थ की कमी,
32- सेक्स से अतृप्ति,असंतुष्टि
33- वीर्य का पतलापन,
34- जल्दी डिस्चार्ज होना,
35- नवयौवनाओं व स्त्री रोग-
36-समय पर पीरियड न होना
37- पीरियड के समय दर्द रहने से
38- लिकोरिया,सफेद पानी आने से,
40- हमेशा व्हाइट डिस्चार्ज होने से।
यदि उपरोक्त दोषों में से कुछ
लक्षण प्रतीत हों अथवा इनमें से
किसी भी व्याधि से पीड़ित
या परेशान है, तो निश्चित शरीर की
प्रतिरक्षा प्रणाली खत्म हो चुकी है।
उपरोक्त तकलीफों की वजह से आप
निश्चित ही आप किसी अंदरूनी रोग
या संक्रमण से संक्रमित यानि वायरस
की जकड़ में है औऱ आप पकड़ नहीं
पा रहे हैं। अतः अकड़ छोड़
अन्यथा ज्यादा लेट-लतीफी से
पाचन तंत्र पूरी तरह खराब होकर
संक्रमित या वायरस युक्त हो सकता है।
कोरोना वायरस में उपयोगी..
फ्लू की माल्ट/FLU Key Malt
शरीर को संक्रमण से बचाकर,
रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
निम्नलिखित आयुर्वेद किताबों का
सार तत्व यही है कि-
जब तन में घट जाता है सप्त रस,
तो घेर लेता है-हर तरफ से वायरस।
जैसा वेद-पुराणों ने बताया
आयुर्वेद की ये दुर्लभ
तेरह प्राचीन ग्रन्थ, किताबें
हजारों वर्षों से हमारे स्वास्थ्य
को ठीक करने,स्वस्थ रखने
हेतु प्रेरित करती हैं-
(१)- आयुर्वेद सहिंता
(२)- भेषजयरत्नावली
(३)- योग रत्नाकर
(४)- संक्रमण की चिकित्सा
(५)- आयुर्वेद सारः-संग्रह
(६)- ज्वरान्तक चिकित्सा
(७)- हारीत सहिंता
(८)- माधव निदान
(९)- शारंगधर सहिंता
(१०)- वृंदमाधव
(११)- सिद्धभेषज्यमणिमाला
(१२)- स्वास्थ्य रक्षा
(१३)- वैद्यकचिकित्सासार
ऐसे बहुत से संस्कृत, हिन्दी
वैदिक भाष्यों, उपनिषदों, तथा
आयुर्वेद के आदिकालीन शास्त्रों में
बताया है कि-
मल की लगातार वृद्धि, त्रिदोष तथा वात,पित्त,कफ के विषम होने से
पाचन तन्त्र बिगड़ने लगता है।
जिससे शरीर में अनेक विकार,
संक्रमण उत्पन्न होने लगते है।
मल का कम विसर्जन मतलब पूरी
तरह पेट साफ न होना भी बहुत सी बीमारियों की आधारशिला है।
प्राचीनकाल के वैद्य-चिकित्सक
कहा करते थे कि-
जब तन में बढ़ जाता है,
कई तरह के “मल का एरिया”,
तो ही एक दिन होता है “मलेरिया”
उदर में मल या लैट्रिन के सड़ने से
कृमि-कीटाणु पैदा हो जाते हैं,
जिससे रोगप्रतिरोधक शक्ति क्षीण
हो जाती है, जो बाद में वायरस की
वजह बनता है।
शरीर में इम्युन सिस्टम कमजोर
होने से निम्नलिखित परेशानियों से
जूझना पड़ता है-
वायरस से पीड़ित लोगों का.…
@ शरीर थका-थका से रहता है।
@ आलस्य बना रहता है।
@ मन-मस्तिष्क में भारीपन रहता है।
@ भूख कम लगती है ।
@ खून की कमी रहती है।
@ समय पर गहरी नींद नहीं आती।
@ सप्तधातु क्षीण होने लगती है
@ वीर्य पतला होने लगता है ।
@ सहवास-संभोग की इच्छा नहीं होती।
@ सेक्स के प्रति अरुचि होने लगती है ।
@ पाचन तंत्र बिगड़ जाता है।
@ कोई भी दवा नहीं लगती !
@ बीमारी पीछा नहीं छोड़ती।
@ हमेशा पेट खराब रहता है ।
@ खट्टी डकारें आती हैं ।
@ शारीरिक क्षीणता आने लगती है।
@ जीने की इच्छा शक्ति कमजोर हो जाती है।
संक्रमण का शोषण
प्रदूषित वातावरण, प्रदूषण के कारण
ज्वर, विषम ज्वर,मलेरिया बुखार के
विषाणु, कीटाणु-जीवाणु
सबके शरीर में हमेशा
कम या ज्यादा मात्रा में निश्चित पाये
जाते हैं, जब शरीर में संक्रमण या वायरस
की अधिकता हो जाती है,
तो यह शरीर को अंदर ही अंदर
जर्जर, खोखला कर
ऊर्जा हीन बना देते हैं।
तन की शक्ति-ऊर्जा, रोगप्रतिरोधक
क्षमता, प्रतिरक्षा प्रणाली, इम्युनिटी
क्षीण हो जाती है।
आयुर्वेद के ग्रंथों के अध्ययन
से ज्ञात होता है कि-
शरीर में मल की अधिकता तथा
अंदरूनी ज्वर के बने रहने
से कोई न कोई समस्या,रोग-व्याधि
हमेशा बनी रहती है।
लेतलाली की काली छाया
लगातार लापरवाही के कारण
जीवन जीने की ताकत देने वाली
जीवनीय शक्ति नष्ट हो जाती है ।
इस कारण हमारा तन-मन
का इतना पतन हो जाता है कि-
वर्तमान के भयँकर वायरस,
संक्रमित असाध्य रोग
जैसे-कोरोना वायरस, चिकनगुनिया,
ड़ेंगू फीवर, स्वाइन फ्लू, तथा अनेक आकस्मिक फैलने वाले संक्रमण
हमें तत्काल बीमार बना देते हैं ।
तन को आराम हराम है-
अमृतम आयुर्वेद के शास्त्र
निर्देश देते हैं कि शरीर को जितना
तकलीफ या कष्ट दोगे, अथवा
थाकाओगे , तो वह आराम देगा
औऱ तन को जितना आराम दोगे
उतना ही ये कष्ट-रोग,व्याधि देगा ।
बहुत ज्यादा समय तक लगातार
बैठकर काम करने से भी
होती हैं-ये पांच परेशानियां….
1- लिवर की प्रॉब्लम,
2- लिवर में सूजन,
3- आँतो की कमजोरी,
4- गैस पास न होना
5- हमेशा कब्ज बने रहना
ये ऐसे अज्ञात रोग हैं जिनके कारण
पाचनतंत्र निष्क्रिय होने लगता है।
लगातार पाचन तंत्र की खराबी से
हेमोग्लोबिन कम हो जाता है ।
स्वास्थ्य साथ छोड़ने लगता है ।
किसी काम में मन नहीं लगता है ।
जिसका ज्ञान या ध्यान किसी को
नहीं रहता। ये अल्प रोग भविष्य
में विकराल रूप ले लेते हैं।
पुराने बुजुर्ग लोगों का कहना था कि-
“नारी और बीमारी”
समय पर संभालना चाहिये।
विश्व के वैज्ञानिकों का कहना है…
विश्व अब प्राकृतिक, प्राचीन तथा घरेलू
चिकित्सा तरफ लौट रहा है।
दुनिया के 20% लोग, रोग की
चिकित्सा एवं वायरस के कारण
गरीबी रेखा से नीचे जा चुके हैं ।
“विश्व स्वास्थ्य संगठन”
के अनुसन्धान कर्ताओं, ने दुनिया को
चेताया है कि अंग्रेज दवाएँ
बहुत ही ज्यादा हानिकारक हैं।
इसके विषैले दुष्प्रभाव से
कर्कट रोग (केन्सर) एवं नपुंसकता
जैसा पुरुष रोग तेज़ी से फेल रहा है।
सभी व्याधियों से बचने के लिए
हेतु सर्वश्रेष्ट स्वास्थ्य वर्द्धक
दवाई है।
यदि कायदे से चलो ,तो
आयुर्वेद के बहुत फायदे हैं….
सर्दी-खांसी,जुकाम सामान्य बीमारी
तन से पित्त के प्रकोप को दूर करती है ।
गर्मी या उष्णता के बढ़ने से ऐसा साल
में दो या तीन बार होता है।
वर्ष में 3 से 4 बार जुकाम का होना
शरीर सारे विकार निकालने में सहायक है।
इन छुट-पुट रोगों के होने पर दवा न लेवें।
यदि आवश्यक हो, तो कोई देशी दवा लें।
इनसे मुक्त होने हेतु घरेलू या
दादी माँ के फार्मूले अपनाएं ।
चिकित्सक के भरोसे न रहें ।
तुरन्त लाभ या फायदा लेने के चक्कर में मनमर्जी से अथवा विज्ञापन वाली दवाएँ बहुत नुकसान पहुँचा सकती हैं।
कोरोना वायरस मिटाने में सहायक और
विशेष कारगर ओषधि है-
संक्रमण काल का कोई समय निश्चित
नहीं होता। जब कभी दुनिया प्रकृति
के विपरीत चलती है, तब
कीड़े-मकोड़ो, जीवाणुओं का पृथ्वी
पर प्रकोप हो जाता है।
अधिकांश बीमारियां इसी समय फैलती है।
दूसरा कारण खानपान भी है।
तीसरी वजह यह भी है कि-
वायुमण्डल प्रदूषित होने से भी वायरस
तेजी से फैलकर सन्सार को रोगों-वायरस
की चपेट में ले-लेते हैं।
चौथा कारण नालों के आस-पास गंदगी फ़ैलने से
तथा कीचड़,के कारण सम्पूर्ण विश्व संक्रमित तथा
दूषित हो जाता है।
इन दिनों ही कोरोना जैसे वायरस
मलेरिया के मच्छर एवं डेंगू
का लार्वा बीमारियां, संक्रमण फेलाने
भूमिका निभाते हैं ।
अतः जब सन्सार संक्रमण या वायरस विकारों
से ग्रसित होने लगे, तो
का सेवन हर रोज परेशानी से रक्षा करता है।
यह किसी तरह के संक्रमण, कोरोना
अथवा अन्य कोई भी वायरस आदि
रोगों को शरीर में पनपने नहीं देता।
रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि कर, कभी
बीमार नहीं पड़ने देता।
स्वस्थ्य रहने के लिए करें ये उपाय….
◆ सुबह उठते ही खाली पेट
कम से कम 2 से 3 गिलास पानी पीवें ।
◆ प्रतिदिन व्यायाम-प्राणायाम,
कसरत की आदत डालें
◆ रोजाना कम से कम 5000 कदम
लगभग 5 से 7 किलोमीटर पैदल चले।
◆ सप्ताह में 2 से 3 बार अमॄतम
में मालिश करें।
◆ हर माह अपने स्वास्थ्य का
परीक्षण नियमित कराते रहें ।
◆ हमेशा अमृतम दवाएँ घर में रखें
◆ अमृतम द्वारा विभिन्न रोगों के
का निर्माण किया जा रहा है।
दुनिया की यह पहली हर्बल
माल्ट (अवलेह) बनाने वाली
आयुर्वेदिक कम्पनी है।
ये जैम की तरह स्वादिष्ट
एवं स्वास्थ्य वर्द्धक हैं।
अमृतम के सभी माल्ट
1-आँवला मुरब्बा,
2-सेव मुरब्बा,
3-हरीतकी मुरब्बा
4-करोंदा मुरब्बा
5-पपीता मुरब्बा,
6-बेल मुरब्बा,
7-गाजर मुरब्बा
8-गुलकन्द, त्रिफला आदि तथा
9-बादाम मेवा
10-त्रिकटु व त्रिसुगन्ध
जैसे मसाले और प्रकृति प्रदत्त
अनेक असरकारक जड़ीबूटियों के
काढ़े से निर्मित किये जाते हैं !
अमॄतम द्वारा निर्मित 100%
निर्मित आयुर्वेदिक उत्पाद…
【1】दिमाग की शान्ति हेतु
वात रोगों के लिये
बाल बढ़ाने के लिये
अमृतम की सर्वाधिक
बिक्री होने वाली दवाएं हैं ।
इन सब अमृतम दवाओं की
जानकारी हमारी वेबसाइट पर उपलब्ध है ।
इन ओषधियों को ऑनलाइन घर बैठे
आसानी से मांग सकते हैं ।
आयुर्वेद के फायदे
अपने भोजन का हिस्सा बनाएं।
सुबह खाली पेट 2 से 3 चम्मच
गुनगुने दूध या गर्म पानी
के साथ सदैव लेते रहने से कभी भी
किसी तरह के रोग पैदा नहीं होते।
नाश्ते या खाने के साथ ब्रेड,पराठे,
रोटी पर जैम की तरह लगाकर
भी ले सकते हैं।
विनम्र आग्रह-
जल्दी आराम या रोग मुक्ति
के चक्कर में तन का पतन न करें।
तन ही हमारा वतन है।
अंग्रेजी या विषदायी चिकित्सा
को पूर्णतः त्यागने का भरसक
प्रयास करें। ये शरीर के लिए
बहुत भयँकर हानिकारक हैं।
प्राकृतिक,घरेलू चिकित्सा करें।
अमृतम आयुर्वेदिक पद्धति अपनाएं।
हर्बल ओषधियों का अधिक से अधिक
सेवन करते रहें।
आयुर्वेद के बारे में विशेष जानकारी
के लिए अमॄतम पत्रिका पढ़ें।
का नियमित सेवन करते रहें ।
यह पूर्णतः आयुर्वेदिक ओषधि है ।
इसमें मिलाया गया
“चिरायता”
“महासुदर्शन काढ़ा”
“कालमेघ”
“शुण्ठी-पिप्पलि, मारीच”
आँवला, सेव मुरब्बा तथा गुलकन्द
आदि औषध शरीर के अंदरूनी
तकलीफों-रोग, वायरस का जड़
से सफाया कर देता है। यह
माल्ट ओषधि ज्वर,मलेरिया एवं
अनेक विषरूपी मल
को नष्ट कर देती हैं ।
के नियमित उपयोग से
जीवनदायिनी कुदरती खूबियाँ,
खूबसूरती,सुंदरता
ज्यों की त्यों बनी रहती हैं ।
यह सर्वरोग नाशक तथा
स्वास्थ्य वर्द्धक भी है
पाचन तन्त्र को मजंबूती देकर
भूख व खून में वृद्धि करती हैं ।
में ऐसी प्राकृतिक हर्बल
जड़ीबूटियों का अनुपातिक मिश्रण है
जो शरीर में सभी प्रकार के
विटामिन्स,
प्रोटीन,
मिनरल्स एवं
खनिज पदार्थो
की पूर्ति कर तन के असाध्य व अज्ञात
मल, विष तथा दोषों को दूर करने में
सहायता करता है।
को तन में पनपने नहीं देता।
पाचन तन्त्र को ठीक रखने
में मदद करता है ।
मांसपेशियों और
हड्डियो को शक्ति
देकर प्रभावी ईंधन का काम करता है।
वेद-ग्रन्थों का सार….
का फार्मूला आयुर्वेद की
प्राचीन पुस्तकों से लिया गया है।
हर्बल ओषधि है, जो शरीर में जाते ही
शारीरिक ताकत को दोगुना कर देती है ।
यह शक्ति वृद्धि में सहायक है।
आयुर्वेद का यह स्वास्थ्य वर्द्धक
रामबाण नुस्खा है ।
दर्द दूर भगाए-
के निरन्तर सेवन से
ज्वर से जुड़े जकड़न-अकड़न,
शरीर का दर्द,
बार-बार जुकाम, सर्दी, निमोनिया,
गले का दर्द, आलस्य मिट जाता है।
सौ रोग का एक योग….
अमॄतम फ्लूकी माल्ट-
शरीर के अंदर पनप रहे,
अंदरूनी वायरस, विकार, संक्रमण
के कारण हो रहे रोगों को
जड़ से मिटा देता है ।
यदि नई उम्र के युवक-युवतियाँ
जिन्हें लम्बे समय तक बैठकर
काम करना पड़ता है, उनके लिए
बहुत ही ज्यादा लाभकारी दवा है।
पुराने उदर विकारों को मिटाने के
लिए भी कर सकते हैं।
ऑर्डर देने के लिए लॉगिन करें-
अमृतम आयुर्वेद के एक प्राचीन ग्रंथ-
“विषम ज्वरः चिकित्सानी:”
में बताया है कि-
जब शरीर संक्रमण, वायरस,
विकार, मलादि त्रिदोषों से घिर जाता
है, तो
रग-रग में रोगों की रासलीला
शुरू हो जाती है ।
तन वायरस रूपी ज्वर से घिर जाता है,
तब ज्वर शरीर को जर्जर कर देता है।
आयुर्वेद बचाता है-सभी संक्रमण/वायरस से
सुरक्षा हेतु-फ्लू की माल्ट-लेना आरम्भ करें।
क्या आप संक्रमण (वायरस) को जड़
से मिटाने वाली जड़ीबूटियों के बारे
जानना चाहते हैं।
इस लेख को पूरा पढ़कर अनेक
रोगों से मुक्त हो सकते हैं।
कोरोना वायरस, डेंगू फीवर,
स्वाइन फ्लू, मलेरिया,बुखार
आदि 88 तरह के वायरस, वायरल फीवर
का नाश करने में सहायक एक अदभुत
आयुर्वेदिक जड़ीबूटी “गुडुची“
से निर्मित फ्लू की माल्ट से करें
स्वास्थ्य की हर समस्या का समाधान
गुडुची युक्त “अमृतम फ्लूकी माल्ट”
समस्त वायरस, कोरोना वायरस से शरीर
की रक्षा करने में सक्षम है।
इसे अनंत रोगों का अन्त करने की
वजह से इसे जबरदस्त संक्रमण नाशक,
ज्वरान्तक ओषधि कहा गया है।
गुडुची या गिलोय के सारतत्वों से बनाया गया
“फ्लूकी माल्ट” का नियमित सेवन शरीर को अनेक संक्रमण, कोरोना वायरस
के अतिरिक्त स्वाइन
फ्लू,डेंगू फीवर,मलेरिया आदि अनेक
बीमारियों से बचाता है।
केवल ऑनलाइन ही उपलब्ध
400 ग्राम के कांच जार में
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