Amrutam Chawanprash

कैसे रोके-रोगों का रायता फैलने से…

च्यवनप्राश त्रिदोषनाशक होता है। 

यह शरीर के सिस्टम को पूरी तरह
ठीक कर “रोगप्रतिरोधक क्षमता
में वृद्धि करता है। बशर्ते इसे कम
से कम 3 माह तक सेवन करें।

स्वस्थ्य जीवन के लिए सजग रहें….

सन्सार में स्वस्थ्य न रह पाना बड़ी
समस्या है। आयुर्वेद को समझने वाले
लोग हमेशा च्यवनप्राश का सेवन कर
सदैव स्वस्थ्य रहकर औरों को भी
मस्त रखते हैं।
Amrutam Chawanprash
हर व्यक्ति अपने भोजन में च्यवनप्राश
को जोड़ ले, तो उसको कभी कब्ज नहीं
होगी। पेट साफ रहने से शरीर में आलस्य नहीं रहता। फुर्ती बनी रहती है।
सभी कोशिकाऐं, नाड़ियां क्रियाशील
बनी रहती है।
अमॄतम च्यवनप्राश पाचनतंत्र को मजबूत बनाकर शरीर के सिस्टम को ठीक करता है, जिससे बार-बार होने वाली तकलीफों जैसे सर्दी-
खांसी, जुकाम, फेफडव के संक्रमण, सान लेने में दिक्कत, श्वसनक्रिया में रुकावट
आदि समस्याओं से मुक्ति दिलाकर श्वास नलिकाओं को साफ रखता है, ताकि व्यक्ति आसानी से सांस ले सके।
शरीर सुप्त-सुस्त पड़ी प्रणाली को
चलाने में से राहत रहती है।
ध्यान रखें….
हमारा खान-पान ही हमारी जान है।
जिसने भी खानपान पर ध्यान दिया,
उनका खानदान भी सम्भल गया।
तन के प्रति रत्तीभर रूसवाई ओर
लापरवाही शरीर की रग-रग
को रोग का रेगिस्तान बना देती है।
जिंदगी में रोग से ही रास्ते रूकते है,
फिर , राजा हो रंक! रोगों का रायता 
फैलने के कारण राग-रोग के रंग में 
रमा व्यक्ति रोज-रोज रोज़ा (उपवास), भूख न लगना आदि रोगों के रहस्यों में उलझकर राम-रहीम का भी रोज स्मरण नहीं कर पाता है।

आयुर्वेद का नियम है.……

रस-ओषधि शास्त्रों में उल्लेख है कि-
जिनका इम्युन सिस्टम मजबूत होता है,
उनको कभी कोई बीमारी नहीं घेरती।
अतः अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को
शक्तिशाली बनाने के लिए
अमॄतम च्यवनप्राश” का नियमित
सेवन करें। यह आत्मविश्वास बढ़ाता है।
तीन महीने लगातार लेने से आप 
हमेशा के लिए भूल जाएंगे कि- 
बीमारियों का विकार क्या होता है।
जब तक रोगप्रतिरोधक क्षमता
बढ़ाने के लिए कुछ खाओगे नही,
तो शरीर से पाओगे क्या ?
खानपान की लापरवाही राम-रहीम की रहमत से भी नही बचा सकती। आखिर जल्दी रूकसत होना। कम उम्र में ही
परिवार को गम झेलना पड़ता है।
अतः तन ही वतन है। इसको पतन से
बचाने हेतु सभी जतन करना करना
हमारा धर्म है

स्वस्थ्य तन-स्वच्छ वतन….

के लिए एक बार जरूर लेवें
पुराणों में प्रकृति प्रदत्त प्रवचनों
का हवाला है।
हमारे कर्म से ही चर्म (त्वचा) में
चमक रहती है–
रूप रंग के सब संग है। स्वस्थ जीवन
हमारी प्रथम प्राथमिकता है।
अमृतम च्यवनप्राश” सभी तरह के
लगभग 90 से अधिक व्याधियों, रोगों का काम खत्म करने में सहायक है।
पुराने से पुराने असाध्य विकारों को
मिटाने में आयुर्वेदिक औषधियां अत्यंत असरकारक सर्वरोग नाशक होती हैं।

सन्सार में स्वास्थ्य सबसे बड़ा साथी है.

स्वास्थ्य है तो सौ साथी साथ है।
सौभाग्य-स्वास्थ्य सुख हेतु
अमृतम आपके साथ है।
100 फीसदी पूर्णतः आयुर्वेदिक यह
शरीर के लिए हानिरहित है।
च्यवनप्राश के साइड बेनिफिट बहुत
ज्यादा हैं।
क्षीण जीवनीय शक्ति को क्षय होने
से बचाता है।
इसका वर्ष भर नियमित सेवन
सभी वर्ग आयु के बच्चे, बड़े-बुजुर्ग और महिलाओं को हमेशा करना चाहिये।
यह इम्युनिटी बढ़ाने में चमत्कारी है।
45 से ज्यादा तरह की प्राकृतिक
असरकारक जड़ीबूटियों, मुरब्बों
और रस-ओषधियों का समिश्रण है।
ओनली ऑनलाइन उपलब्ध

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Comments

3 responses to “कैसे रोके-रोगों का रायता फैलने से…”

  1. Dharmendra patel avatar
    Dharmendra patel

    Perfect

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