रोग रहित रहने के लिए एक कहावत है कि……
आंता-तीता दांता नोन,
अर्थात – प्रतिदिन शुध्द ताजी हल्का
आंता-तीता दांता नोन,
पेट भरन को तीन ही कोन
आंख पानी, काने तेल,
कहे घाघ बैदाई गेल।
अर्थात – प्रतिदिन शुध्द ताजी हल्का
गरम भोजन खाने से,
दांतों में प्रतिदिन नमक लगाने से,
(क्योंकि दांत हड्डी का एक हिस्सा है,
हड्डी को नमक अति आवश्यक है)
पेट को एक चौथाई रखने से,
सुबह उठते ही आंखों में शीतल जल के छीटें देने
और कानों में तेल डालते रहने से कवि घाद्य कहते है,
कभी वैध की जरूरत नहीं पड़ती।
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