इस लोक और परलोक में सुख प्राप्ति के लिए
“चार दान” श्रेष्ठ बनाएं है –
भीतेभ्यश्चाभयं देयं,
व्याधितेभ्यस्तथौषधम्।
देया विद्याथिने विद्या,
देयमन्नं क्षुधातरे।।
1. भयभीत को अभयदान
2. रोगी को औषधिदान
3. विद्यार्थी को विद्यादान
4. और भूखे को अन्नदान।
वेद-पुराणों में उपरोक्त 4 दान के अलावा
सब व्यर्थ है। इनका कोई फल नहीं मिलता।
पढ़े-अमृतमपत्रिका
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