न से नमः नमस्कार
देवनगरी वर्णमाला में त वर्ग (त,थ,द,घ और न) का पाँचवा वर्ण है- न। न शब्द का उच्चारण स्थान दंत और नासिका है।
बिना दांत के भोजन और बिना नाक के श्वास असंभव है।
सभी प्राणी जगत को भोजन और
वायु ग्रहण करने की व्यवस्था
शिवकृपा से ही संभव है।
न से नँगा, न से नागा, न से नाग
न से निर्मित नंगा शब्द का अर्थ
शब्द कोष में शिव, महादेव है।
जिसकी देह पर कोई वस्त्र न हो
उसे निर्लज्ज, बेहया, नंगधडग़ कहा है
वही सत्य शिव है।
नंगधडग़ शिव जब निर्लज्ज और बेहया हो जाते है, तो सृष्टि में भूचाल प्रलय हो जाता है।
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