- भगवान सूर्य का गायत्री मंत्र है –
- !!ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्त्रो सूर्यः प्रचोदयत!!
- भविष्य पुराण के अनुसार सुबह प्रातः 4.30 से 6 बजे के बीच ही सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस समय शक्ति, ऊर्जा की वृद्धि होती है। इसके बाद समय बेसमय अर्घ्य देना स्वास्थ्य के लिए हितकारी नहीं रहता बल्कि हानिकारक है।
- वैदिक रसायन का काम करती है सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा उच्चारण के साथ सूर्य को अर्घ्य भारत की सनातन परंपरा है।
अर्घ्य देने की वैदिक रीति
एक तांबे या चांदी, सोने के पात्र में सादा जल, गंगाजल, 2 पुष्प और एक रेशा केशर मिलाकर सूर्य के सामने १२ सूर्यों के लिए 12 बार !!ॐ घृणि आदित्यॐ!! और ७ बार
- !!ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्त्रो सूर्यः प्रचोदयत!!
- कहते हुए थोड़ा डोडा जल अपने आगे प्रथ्वी पर गिराए और अन्त में पात्र अपनी तरफ करके जल को अप आई और गिराए।
सूर्य देवता को अर्घ्य देने के फायदे
- सूरज कॉस्मिक ऊर्जा का बड़ा यूनिट है। वैज्ञानिक भाषा में सूरज को मल्टी स्टेज व मल्टी रिएक्टर हायड्रोज यून बम मान सकते हैं, जिसमें हायड्रोजन से हीलियम का फ्यूजन होता है और लाखों मैगा किलोवॉट की थर्मोन्यूक्लियर एनर्जी निकलती है।
- सूरज का हर ग्रह पर अलग असर पड़ता है। पृथ्वी के जल तत्व पर भी विपरीत दिशाओं में काम करने वाले बल गर्म और ठंडी जल धाराओं के यंत्र के बीच संतुलन कायम करते हैं।
- समुद्र का जल विज्ञान भी मानता है कि तापमान का तारतम्य और जीवन व विकास का क्रम तय करने में मदद करता है।
- सूर्य उदय और अस्त व गर्म और ठंडी धाराओं के बहने के विज्ञान को सूर्य शोधकथाओं ने हायड्राडायनॉमिक्स बताया है।
- पंच अग्नि विद्या पृथ्वी पर जल को बनाए रखती है। जल चक्र सूर्य द्वारा सक्रिय होने के बाद पांच चरणों में पृथ्वी तक पहुंचता है।
- छान्दोग्य और बृहदारण्यक उपनिषद के अनुसार हम स्वयं ब्रह्मांड का सूक्ष्म स्वरूप हैं इसलिए इस जल को सूर्य को लौटाने के लिए हम उसे अर्ध्य देते हैं। इससे हमारे भीतर मौजूद सूर्य या चैत्य पुरुष और सूर्यदेव या विराट पुरुष का योग होता है।
- आयुर्वेद की जल चिकित्सा का आधार भी सूर्य द्वारा जल के आयन का चार्ज- डिस्चार्ज होना है।
- सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूरज की किरणे विटामिन डी के रूप में हमारे ह्रदय और हड्डियों की मजबूती के लिए जरूरी हैं।
- इसके अलावा ये किरणें हमारे शरीर के जल तत्व में मौजूद इलेक्ट्रोलाइट्स व हारमोन के संतुलन को कायम रखती हैं।
- इतना ही नहीं यह शरीर के पंचभूतों के बीच भी जरूरी संतुलन बनाने में मददगार है। साथ ही स्वादिष्टान्न चक्र का शुद्धिकरण होता है।
- सूर्य को अर्घ्य देने का प्रभाव दरअसल एक प्रकार का वैदिक रसायन का प्रभाव है।
- धर्म का विज्ञान यह है कि रोज जल अर्पित करने से सूर्य से चार्ज हुए जल के आयन शरीर-मन को संतुलित करते हैं।
- आयुर्वेद जल चिकित्सा का आधार भी सूर्य द्वारा जल के आयन का चार्ज व डिस्चार्ज होना है।
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