स्वस्तिक ही सर्व सम्पत्ति, धनदाता यन्त्र है!

  • इस लेख में आप जानेंगे स्वस्तिक के रोचक और वैज्ञानिक रहस्य एवं स्वस्तिक के बनाने का सही तरीका क्या है?
  • जिससे जीवन में दुख-दर्द दूर होंगे।

अमृतमपत्रिका, सम्पादक अशोक गुप्ता, चित्रगुप्त गंज, नईसड़क, ग्वालियर द्वारा स्वस्तिक के बारे में

90 प्राचीन ग्रन्थ-किताबों से लिया गया एक रिसर्च लेख पढ़कर सभी भ्रांतियों का सर्वनाश हो जाएगा।

  • स्वस्तिक एक बहुत विशाल वैज्ञानिक यन्त्र है।
  • दुनिया के सभी धर्मों ने स्वास्तिक को तोड़-मरोड़ कर इसे अपना धर्म का प्रतीक चिन्ह बनाया।
  • चित्रकूट सिद्ध अवधूत स्वामी शंकरानन्दजी कहते थे कि स्व का अर्थ है हम स्वयं, हमारी अन्तरात्मा और आस्तिक का अर्थ है-
  • धर्मिक होना अर्थात जब मनुष्य आत्मा से धार्मिक होने लगता है, तो उसमें सरलता, सहजता, त्याग, धर्म, कल्याण का भाव प्रकट होने लगता है।
  • धर्मग्रन्थों में उल्लेख है कि सभी मुख्य देवी-देवताओं का बिवास स्थान स्वस्तिक ही है।
  • अग्नि पुराण, शिव महापुराण, वामनपुराण में शिवजी के सात कमरों वाले स्वर्ण मंदिर का उल्लेख है।
  • यह स्वर्ण महल कहाँ बना, कैसे बना इसकी जानकारी “वामन पुराण” में हैै।
  • इतना भी लिखा है कि-महादेव का यह निवास स्वास्तिक की तरह ही है।
  • गणेश सहिंता में श्रीगणेशजी स्वस्तिक पर ही विराजे हैं।
  • तन्त्र शास्त्रों में स्वस्तिक निर्माण की विधि का वर्णन है, जिसे लोग बनाते नहीं हैं।

याद रखें- अधूरा स्वस्तिक तन-मन-धन तीनों का नाश कर अन्तर्मन दूषित कर देता है।

अमृतमपत्रिका अक्टूबर 2012 में इसे प्रकाशित किया था।

यह जानकारी काशी के महान ज्योतिषाचार्य गुरु वासुदेव गुप्ता द्वारा प्रदत्त की गई थी।

इसे जरूर पढ़ें और अमल करें। 100 फीसदी चमत्कारी लाभ होगा…

  • स्वस्तिक वैज्ञानिक, आध्यात्मिक जानकारी के लिए सन 1964 में छपी एक बेहतरीन पुस्क प्रतीक शास्त्र का अध्ययन करें।
  • जिसके विद्वान लेखक श्री श्री परिपूर्णानन्द जी हैं।
  • प्रतीक शास्त्र नामक यह किताब आपके दिमाग के किबाड़ में भर हुआ फालतू का कचरा, कबाड़ा बाहर निकाल देगी।
  • इसमें शिवलिंग, सूर्य, नवग्रहों, टीका, तिलक, त्रिपुण्ड लगाने के फायदे, भस्म आदि के बारे में अदभुत व्याख्या की गई है।
  • आपका सारा भ्रम मिट जाएगा…

    • सुखी-सम्पन्न जीवन और सफलता के लिए कभही भी कोई यंत्र अधूरा न बनाये।
    • ईश्वर की पूजा में जल्दबाजी न करें। इससे अच्छा है कि करें ही नहीं।
    • इससे समृद्धि, सफलता में अवरोध पैदा होता है।
    • घर में गरीबी, गृहकलेश का कारण यह सब उल्टी-सीधी पूजा ही है।
    • इन सबकी जानकारी वर्तमान के ब्राह्मणों को भी कम है।
    • सतर्क, सावधान रहकर ही एकाग्रतापूर्वक स्वस्तिक बनाकर जिंदगी को खुशहाल बना सकते हैं।
    • अभी स्वस्तिक के बारे में बहुत सी जानकारी पढ़ने से वंचित रहेंगे।
    • क्योंकि जहां स्वस्तिक हो और श्रीगनपतीजी न हों, तो सब कुछ आधा-अधूरा ही रहेगा।
    • दीपावली, धनतेरस या धन्वंतरि दिवस, नरक चौदस आदि के बारे में अभी लेख अपूर्ण है।
    • इस विषय पर भी संदर्भ ग्रन्थ-पुराणों सहित लेख दिया जाएगा।

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