Tag: अञ्जन
-
२५ तरह के नेत्ररोग से बचाती है, या आयुर्वेदिक ओषधि…
भेषज्य रत्नावली ग्रंथ, नेत्ररोगाधिकार से साभार मधुकादि लौह मधुकं त्रिफलाचूर्णं लौहचूर्णं तथैव च। भक्षयेन्मधुसर्पिर्ध्यामक्षिरोगप्रशान्तये। मुलेठीचूर्ण, आमलाचूर्ण, हरीतकीचूर्ण, बहेड़ाचूर्ण और लौहभस्म सभी समभाग लें। इन पाँचों द्रव्यों को एक खरल में एक साथ मिलाकर ३ घण्टे तक मर्दन कर कांचपात्र में संग्रहीत करें। सेवन विधि…१ ग्राम की मात्रा में इस औषधि को १ ग्राम मधु पंचामृत…