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आयूर्वेदाचार्य महर्षि चरक ने ५००० हजार साल पहले ही खोज लिए थे 88 प्रकार के वातविकार- अमृतम के इस ब्लॉग में अर्थ सहित जानिए.. ८८-वात रोगों के नाम-काम-
वायु ही समस्त चराचर जीव-जगत को चलायमान रखती है। फुर्ती-स्फूर्ति देना, बोलना, सुनना एवं जीवन को जीवन्त बनाये रखना वायु का ही कार्य है। वायु या वात के दूषित, अंसतुलित होने से अनेकों वातव्याधि, उदररोगों से घिरकर बर्बाद हो जाता है। बिगड़ा वात, बात-बात पर गुस्सा, भय-भ्रम, चिन्ता, तनाव, कर्महीनता, कामहीनता (सेक्सुअल वीकनेस), महिलाओं में मोनोपॉज, मासिक धर्म आदि समस्याओं को…