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बाबा फरीद द्वारा लिखी रचना/कविता पढ़ने योग्य है।
इसका आध्यात्मिक अर्थ नीचे की व्याख्या से स्वतः ही समझ आ जाएगा। वेख फरीदा मिट्टी खुल्ली, *(कबर)* मिट्टी उत्ते मिट्टी डुली; *(लाश)* मिट्टी हस्से मिट्टी रोवे, *(इंसान)* अंत मिट्टी दा मिट्टी होवे *(जिस्म)* ना कर बन्दया मेरी मेरी, *(पैसा)* ना ऐह तेरी ना ऐह मेरी; *(खाली जाना)* चार दिना दा मेला दुनिया, *(उम्र)* फ़िर मिट्टी…