बाबा फरीद द्वारा लिखी रचना/कविता पढ़ने योग्य है।

इसका आध्यात्मिक अर्थ नीचे की व्याख्या से स्वतः ही समझ आ जाएगा।

वेख फरीदा मिट्टी खुल्ली, *(कबर)*

मिट्टी उत्ते मिट्टी डुली; *(लाश)*

मिट्टी हस्से मिट्टी रोवे, *(इंसान)*

अंत मिट्टी दा मिट्टी होवे *(जिस्म)*

ना कर बन्दया मेरी मेरी, *(पैसा)*

ना ऐह तेरी ना ऐह मेरी; *(खाली जाना)*

चार दिना दा मेला दुनिया, *(उम्र)*

फ़िर मिट्टी दी बन गयी ढेरी; *(मौत)*

ना कर एत्थे हेरा फेरी, *(पैसे कारन झुठ, धोखे)*

मिट्टी नाल ना धोखा कर तू, *(लोका नाल फरेब)*

तू वी मिट्टी मैं वी मिट्टी; *(इंसान)*

जात पात दी गल ना कर तू, (जाति, धर्म)

जात वी मिट्टी पात वी मिट्टी, *(पाखंड)*

*जात सिर्फ खुदा दी उच्ची,* (वही सर्वेश्वर है )

*बाकी सब कुछ मिट्टी मिट्टी*। (बाक़ी सब …..!)

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