Tag: रोगनिर्णयानुसार
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आयुर्वेद की किस विधि और नियम द्वारा रोगों को केसे ठीक करें!
ग्रहशान्तिपूर्वक चिकित्साग्रहेषु प्रतिकूलेषु नानुकूलं हि भेषजम्। ते भेषजानां वीर्याणि हरन्ति बलवन्त्यपि॥३२॥ प्रतिकृत्य ग्रहानादौ पश्चात् कुर्याच्चिकिसितम् ॥३३॥ अर्थात जिस रोगी के सूर्यादि ग्रह प्रतिकूल हों, उनमें औषधि प्रयोग लाभप्रद नहीं होता है, क्योंकि वे प्रतिकूल ग्रह औषधियों के अत्यन्त बलवती शक्ति का अपहरण कर लेती हैं। अतः सर्वप्रथम ग्रहशान्ति करा कर उन ग्रहों को अनुकूल करके…