टायफाइड/मोतीझरा और बार-बार होने वाले ज्वर, मलेरिया, ड़ेंगू फीवर आदि जड़ से मिटाने के लिए लेवें यह हर्बल मेडिसिन…

टायफाइड यानी मोतीझरा के रोग से हर-भरा दिमाग भी कचरा घर बन जाता है।

आयुर्वेद ग्रन्थों में टायफाइड को मोतीझरा कहते हैं।

यह एक संक्रामक ज्वर है।

आज का कोरोना वायरस से मोतीझरा के लक्षणों में बहुत समानता है।

टायफाइड हो या ज्वर के समय स्वर बिगड़ जाता है …

मोतीझरा या टायफाइड की समस्या पाचनतंत्र की खराबी, कब्ज की शिकायत, खाना न पचना आदि के कारण उत्पन्न होती है।

टायफाइड एक विकराल ज्वर रोग है। यह इम्युनिटी को भयंकर रूप से खत्म कर देता है।

अगर यह जड़ से दूर नहीं होता, तो फेफड़ों और हड्डियों में गलाव पैदा कर सकता है।

चिरायता, नीम, त्रिफला, तुलसी, कालमेघ, धनिया, अमलताश गूदा, सनाय और मुनक्का सभी 50–50 ग्राम खड़ी हल्दी 20 ग्राम

और महासुदर्शन चूर्ण 25 ग्राम इन्हें साफ, दरदरा करके करीब 8 लीटर पानी में 20 से 30 घण्टे तक गलाकर मंदी आग में एक चौथाई रहने तक उबालें।

ठंडा होने के बाद छान कर काढ़ा निकाले। निकले हुए काढ़े में 200 ग्राम आँवला मुरब्बा, पीसकर एवं 200 ग्राम गुड़, मिलाकर पुनः

उबालकर अवलेह/चाशनी जैसा बनाएं। इसके बाद कालीमिर्च, इलायची, लौंग, सौंठ, सौफ, जीरा, अजवायन, छोटी पिप्पली, नागकेशर,

मुलेठी तथा सेंधानमक, कालानमक सभी 5–5 पीसकर पाउडर अवलेह चाशनी में मिलाकर किसी काँच के पात्र में रख लें।

यह लगभग 2 किलो के करीब माल्ट तैयार हो जाएगा।

खाने का तरीका…

सुबह खाली पेट एक चम्मच गुनगुने दूध से तथा शाम को भोजन के दो घण्टे पहले सादे जल से एक चम्मच लेवें।

यह दवा तीन महीने लगातार लेने से मोतीझरा/टायफाइड, संक्रमण, त्रिदोष विकार, हड्डियों का ज्वर, पुराना मलेरिया,

पित्तदोष आदि अनेक लगभग 56 तरह के ज्वर रोग जड़ से मिट जाते हैं।

फ्लूकी माल्ट उपरोक्त औषधियों करीब 54 आयुर्वेदिक जड़ीबूटियों, मुरब्बा, मसालों, भस्म-रसादि से निर्मित

मोतीझरा यानी टायफाइड के लिए अत्यन्त लाभकारी ओषधि है।

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फ्लूकी माल्ट – टायफाइड/मोतीझरा एवं मलेरिया की सर्वोत्तम हानिरहित आयुर्वेदिक औषधि

90 प्रकार के ज्वर, पुराना मलेरिया, डेंगू फीवरचिकिनगुनिया आदि सभी प्रकार के विषम ज्वर में बेहद लाभकारी है।

फ्लूकी माल्ट….यकृत यानी पीलिया के कारण आई कमजोरी, खून एवं भूख की कमी दूर कर बार-बार ज्वर-

मलेरिया का आना तथा अनेक अंदरूनी तकलीफों को मिटाने में सहायक है।

गाँव के बुजुर्ग कहते हैं कि……

जब शरीर में बढ़ जाता है मल का एरिया, तो हो जाता है मलेरिया

नियमित पेट साफ नहीं होने से मल यानि गन्दगी, रोगादि की वृद्धि होकर तन में संक्रमण होने लगता है।

जिस वजह से शरीर टायफाइड जैसे ज्वर से तन-मन का तरन्नुम बिगाड़ देता है।

फ्लूकी माल्ट संक्रमण और प्रदूषण की वजह से उत्पन्न बुखार, मलेरिया आदि को जड़ से मिटाकर रोगप्रतिरोधक क्षमता यानि इम्युनिटी पॉवर बढ़ाता है।

फ्लूकी माल्ट में मिली है-टायफाइड नाशक दवाएं..

महासुदर्शन काढ़ा, अमृता चिरायता, नीम अर्क, तुलसी, मुस्ता, पिपली, शुण्ठी, पटोल पत्र, कुटकी,

आँवला मुरब्बा, गुलकन्द, हरीतकी, सेव मुरब्बाआदि अदभुत और असरकारक प्राकृतिक जड़ीबूटियों एवं ओषधियों से निर्मित है।

विशेष-फ्लूकी माल्ट को खाते रहने से मोतीझरा/टायफाइड जैसी तकलीफ तथा ज्वर-मलेरिया से रक्षा होती है।

इसे कभी भी सेवन कर सकते हैं।

सभी उम्र के महिला-पुरुषों तथा बच्चों के स्वास्थ्य की रखवाली करता है।

फ्लूकी माल्ट 100 फीसदी आयुर्वेदिक औषधि है।

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